ओखला से सूरजपुर तक संकट... NCR में प्रवासी पक्षियों की संख्या में भारी गिरावट, क्या है असली वजह?
नोएडा में प्रदूषण और जलवायु परिवर्तन के कारण प्रवासी पक्षियों का रास्ता बदल रहा है। दिल्ली-एनसीआर में पक्षियों की संख्या में कमी आई है, जिसका मुख्य का ...और पढ़ें

ओखला पक्षी विहार में विचरण करते पेंटेड सारस। जागरण
चेतना राठौर, नोएडा। किसी भी राज्य में पक्षियों को समृद्धि का प्रतीक माना जाता है, लेकिन पक्षियों का अस्तित्व खतरे में है। प्रदूषित हवा और जलवायु परिवर्तन का असर सिर्फ इंसानों तक ही सीमित नहीं है। अब इसका कहर पक्षियों पर भी पड़ रहा है। दिल्ली-एनसीआर में प्रवासी पक्षियों की संख्या कम होने लगी है। प्रदूषित शहर की हवा ही एकमात्र कारण नहीं है। सूखे तालाब और सूरजपुर वेटलैंड में पूरे साल जलकुंभी का जमाव पक्षियों के लिए अच्छा ठिकाना नहीं दे रहा है।
यह ध्यान देने वाली बात है कि यह समस्या सिर्फ गौतम बुद्ध नगर तक ही सीमित नहीं है; दिल्ली-एनसीआर में प्रवासी पक्षियों की घटती संख्या चिंता का विषय है।

सर्दियों की शुरुआत के साथ ही प्रवासी पक्षी ओखला पक्षी अभयारण्य में आने लगते हैं। हालांकि, पिछले चार सालों में वेटलैंड में पक्षियों की प्रजातियों की संख्या में लगभग 27 प्रतिशत की कमी आई है।
कम हो रही है इन प्रजातियों की संख्या
टफ्टेड डक, नॉर्दर्न शोवेलर, यूरेशियन विजन, फेरुगिनस डक, बार-हेडेड गूज, स्पॉट-बिल्ड डक और रेड-नैप्ड आइबिस जैसे पक्षी कम संख्या में दिख रहे हैं या बिल्कुल नहीं आ रहे हैं।

इसके मुख्य कारण पानी की कमी, प्रदूषण और उनके प्राकृतिक आवासों का सिकुड़ना है, जिसके कारण वे नजफगढ़ और सूरजपुर जैसे बेहतर पानी के स्रोतों वाली जगहों पर पलायन कर रहे हैं।
25 देशों से आते हैं पक्षी
एशियाई वाटरबर्ड जनगणना हर साल जनवरी में 25 देशों के वेटलैंड में रहने वाले और प्रवासी पक्षियों की संख्या जारी करती है। इकोलॉजिस्ट टी.के. राय ने कहा कि प्रदूषण के कारण एनसीआर में जलवायु परिवर्तन हो रहा है। जो मौसम आमतौर पर अक्टूबर के अंत में देखा जाता है, वह नवंबर के पहले दो हफ्तों में भी नहीं दिख रहा है।

सर्दियों का देर से आना, हवा के पैटर्न में बदलाव और बेमौसम बारिश इसके मुख्य कारण हैं। प्रदूषण इंसानों की तरह ही पक्षियों के स्वास्थ्य को भी प्रभावित करता है। ओखला पक्षी अभयारण्य दिल्ली और नोएडा से आने-जाने वाले ट्रैफिक से घिरा हुआ है। ट्रैफिक का शोर पक्षियों को परेशान कर रहा है।
पक्षी नहीं आए
मध्य एशिया से बार-हेडेड गीज, ग्रेलेग गीज़, ब्लैक-हेडेड गल, रेड-क्रेस्टेड पोचार्ड, गार्गेनी, टफ्टेड डक और उत्तरी एशिया से यूरेशियन विजन यहां आते हैं। कॉमन पोचार्ड, जो लुप्तप्राय श्रेणी में है, और पेंटेड स्टॉर्क, जो एक स्थानीय प्रजाति है, भी यहां प्रवास करते हैं। प्रवासी पक्षी मार्च से अप्रैल तक यहां रहते हैं।
| वर्ष | स्थान | प्रजातियों की संख्या | पक्षियों की संख्या |
|---|---|---|---|
| 2022 | ओखला पक्षी अभयारण्य | 46 | 9,143 |
| 2023 | ओखला पक्षी अभयारण्य | 36 | 6,083 |
| 2024 | सूरजपुर वेटलैंड | 32 | 2,205 |
| 2025 | सूरजपुर वेटलैंड | 34 | 2,306 |

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