23 वर्षों से देश में मात्र एक बचा है यह 'वन्यजीव', प्रजाति के लुप्त होने का सता रहा डर
पर्यावरण के लिहाज से जीवों की किसी भी एक प्रजाति का लुप्त हो जाना बड़ा महत्व रखता है लेकिन एक प्रजाति के जीव के लुप्त होने की स्थिति आने पर भी सरकार ने अपनी आंखें मूंदी हुई हैं। इस प्रजाति का एकमात्र जीव ही भारत में बचा हुआ है। कई बार इस प्रजाति के नर और मादा एक साथ तो रहे लेकिन संख्या में बढोत्तरी नहीं हो सकी।

लोकेश चौहान, नोएडा। पर्यावरण के लिहाज से जीवों की किसी भी एक प्रजाति का लुप्त हो जाना बड़ा महत्व रखता है, लेकिन एक प्रजाति के जीव के लुप्त होने की स्थिति आने पर भी सरकार ने अपनी आंखें मूंदी हुई हैं। वर्ष 2000 से लेकर अब तक इस प्रजाति का एकमात्र जीव ही भारत में बचा हुआ है।
वर्ष 2000 के बाद से कई बार इस प्रजाति के नर और मादा एक साथ तो रहे, लेकिन इनकी संख्या में बढोत्तरी नहीं हो सकी। इस प्रजाति का नाम है कस्तूरी मृग। यह जानकारी आरटीआई के जवाब में नेशनल जू अथार्टी (National Zoo Authority) ने दी है।
कुफरी के पार्क में एक नर कस्तूरी मृग
आरटीआई के जवाब में बताया गया कि कस्तूरी मृग की देश में स्थिति यह है कि हिमाचल प्रदेश के कुफरी के नेचर पार्क में मात्र एक नर कस्तूरी मृग जीवित है। इसके अलावा हो सकता है कि कुछ गिने चुने जंगलों में कस्तूरी मृग हों, लेकिन इसका कोई डाटा सरकार के पास नहीं है।
प्रजनन की कराई गई थी कोशिश
नोएडा के समाजसेवी रंजन तोमर को आरटीआई के जवाब में दी गई जानकारी के अनुसार 1995-96 से लेकर 2022-23 तक कई बार कैप्टिव ब्रीडिंग अर्थात प्रजनन की कोशिश करवाई गई, लेकिन वह असफल रही है। वर्ष 1995-96 में तीन नर और 2 मादा कस्तूरी मृग थे, लेकिन 1996 में तीनों नर मृग की मृत्यु हो गई।
चिड़ियाघर-केंद्र को उठाने होंगे कदम
वर्ष 2000 में जब एक नर लाया गया, तब तक दोनों मादा मृग की भी मृत्यु हो गई। तब से लेकर 2022-23 तक कुफरी में मात्र एक नर कस्तूरी मृग बचा है। रंजन तोमर का कहना है कि चिड़ियाघर और केंद्र सरकार को इस बाबत जरूरी कदम उठाने होंगे।
इस प्रजाति को जीवित रखने और संरक्षित करने के लिए चाहे तो जंगल से या विदेश से कस्तूरी मादा मृग लानी चाहिए। जिस प्रकार चीता प्रजाति की पुनर्स्थापना हुई उसी प्रकार कस्तूरी मृग को बचाना भी आवश्यक है। आरटीआई में जवाब मिलने के बाद उन्होंने मंत्रालय और प्रधानमंत्री को भी पत्र लिखा है।
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