ऑफिस में देर तक बैठना कर रहा हड्डियां कमजोर, लगातार 2 घंटे से ज्यादा बैठना कमर के लिए खतरनाक
कॉरपोरेट ऑफिस में काम करने वाले युवाओं की रीढ़ की हड्डियां कमजोर हो रही हैं। डॉक्टरों का कहना है कि लगातार दो घंटे से ज्यादा कुर्सी पर बैठे रहना इसका मुख्य कारण है। नोएडा के जिला अस्पताल में आठ महीनों में 10 हजार से ज्यादा मरीज फिजियोथैरेपी कराने पहुंचे हैं जिनमें गृहणियों के मुकाबले पुरुष व युवाओं की संख्या ज्यादा है।

जागरण संवाददाता, नोएडा। घर में काम करने वाली गृहणियों के मुकाबले कॉरपोरेट ऑफिस में वर्कलोड के चलते युवाओं की रीढ़ की हड्डिया जल्दी कमजोर हो रही हैं। चिकित्सकों का मानना है कि कॉरपोरेट या अन्य ऑफिस में काम का दबाव इस बीमारी की मुख्य वजह है। इसमें लगातार दो घंटे से ज्यादा युवाओं को कुर्सी पर बैठे रहना अधिक खतरनाक साबित हो रहा है।
आठ महीनों में जिला अस्पताल में करीब 10 हजार मरीज फिजियोथैरेपी कराने पहुंचे हैं। हैरानी की बात है कि इनमें गृहणियों के मुकाबले पुरुष व युवाओं की संख्या 5500 के करीब है जबकि 4455 महिला मरीजों ने फिजियोथैरेपी कराकर जिंदगी को सुरक्षित किया है।
मरीजों को हो रही ये शिकायतें
जिला अस्पताल में फिजियोथैरेपिस्ट अभिनव कुमार ने बताया कि पीठ, कमर, गर्दन, कंधे, घुटने का दर्द मरीजों को ज्यादा दिक्कत दे रहा है। अस्पताल में महिलाएं और युवाओं की संख्या पिछले कुछ माह में बढ़ गई है। युवाओं में यह दिक्कत बढ़ने के जो मुख्य कारण देखे गए हैं, उनमें कम्प्यूटर, लैपटॉप पर एक ही जगह घंटों बैठकर काम करना है।
फिजियोथैरेपी से मरीजों को मिला फायदा
महिलाएं रसोई में काम के दौरान खुद के स्वास्थ्य पर ध्यान नहीं दे पाती हैं। इतना ही नहीं, खराब खानपान, धूप में न टहलना, विटामिन-डी की कमी, व्यायाम न करना हड्डी कमजोर होने का सबसे बड़ा कारण है। अस्पताल में फिजियोथैरेपिस्ट समय के अनुसार मशीनों से इलाज करते हैं। यही नहीं, मरीजों को आइएफटी और टीइएनएस आदि मशीनों से थैरेपी दी जाती है।
फिजियोथैरेपी से मरीजों को जीवन सुरक्षित करने में लाभ मिला है। बीते वर्ष 12 हजार से ज्यादा मरीजों ने इलाज कराया था। इस वर्ष यह आंकड़ा बढ़कर 15 हजार के ऊपर पहुंच सकता है। विशेष बात है कि मरीजों के लिए अत्याधुनिक मशीनें भी आने से हाइटेक इलाज की सुविधा मिलेगी। - डॉ. अजय राणा, कार्यवाहक मुख्य चिकित्सा अधीक्षक
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