अब मरीज नहीं भूलेंगे दवा खाने का समय, एपीआइ की कान्फ्रेंस में उठा ये खास मुद्दा
कान्फ्रेंस के अंत में एपीआइ की ओर से मुद्दा उठाया गया कि डाक्टर मरीज को परामर्श देने के दौरान प्रिस्क्रिप्शन पर्चे पर दवा को खाने का समय भी लिखे। अभी ज्यादातर डाक्टर मरीजों को सुबह दोपहर और रात के समय दवा को खाने के बारे में प्रस्क्रिप्शन करते हैं।
नोएडा [मोहम्मद बिलाल]। सेक्टर-18 स्थित रेडिसन होटल में आयोजित तीन दिवसीय एसोसिएशन आफ फिजीशियन आफ इंडिया (एपीआइ) और वर्ल्ड कांग्रेस आन क्रोनोमेडिसिन(डब्ल्यूसीसी)-2021 की सातवीं वार्षिक कान्फ्रेंस का रविवार को समापन हो गया। कान्फ्रेंस के अंत में एपीआइ की ओर से मुद्दा उठाया गया कि डाक्टर मरीज को परामर्श देने के दौरान प्रिस्क्रिप्शन पर्चे पर दवा को खाने का समय भी लिखे। जिससे मरीज दवा को खाने का समय नहीं भूले।
मेट्रो अस्पताल के डॉ एस चक्रवर्ती ने बताया कि क्रोनोमेडिसिन के कारण रात में काम करने वाले लोगों में मोटापा, हृदय, मधुमेह, हाइपरटेंशन सहित अन्य बीमारियां ज्यादा होती है। ऐसे लोगों को दवाओं की सही डोज दी जाए। इसके लिए डाक्टरों को चाहिए कि वह मरीजों को परामर्श के दौरान प्रिस्क्रिप्शन पर्चे पर दवा को खाने का समय भी लिखे।
अभी ज्यादातर डाक्टर मरीजों को सुबह, दोपहर और रात के समय दवा को खाने के बारे में प्रस्क्रिप्शन करते हैं। लेकिन क्रोनोमेडिसिन के कारण लोगों को ही रही बीमारियों की समय पर उपचार के लिए दवाओं का समय पर सेवन जरूरी है। जिससे मरीजों को यह पता रहे कि उसे कब कौनसी दवा कितने देर बाद खानी है, क्योंकि हर एक दवा की डोज एक निश्चित समय के बाद खाना जरूरी होता है। अन्यथा इसका असर नहीं दिखाई देता है।
रात्रि शिफ्ट में काम करने वालों को मिले अधिक मानदेय :
कैलाश अस्पताल के डा एके शुक्ला ने कहा कि क्रोनोमेडिसिन के कारण रात्रि में ड्यूटी करने वालों को हो रही बीमारियों को आधार बनाकर वर्करों को अधिक मानदेय दिलाने का प्रस्ताव एसोसिएशन आफ फिजीशियन आफ इंडिया के माध्यम से केंद्र सरकार के समक्ष रखा जाएगा। मल्टीनेशनल कंपनियों में काम करने वाले लोगों और प्रबंधकों को स्थिति से अवगत कराया जाएगा। इससे संबंधित शोध एक अमेरिकी जनरल में प्रकाशित होने वाला है। इसके बाद देश-दुनिया में नियम को लागू कराने में मदद मिल सकेगी।
पूर्व सीएमएस ने डा वीबी ढाका ने सर्कैडियन रिदम पर रखे विचार
कान्फ्रेंस में मौजूद रहे जिला अस्पताल के पूर्व सीएमएस व वर्तमान में केंद्रीय राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम) में सलाहकार डा वीबी ढाके ने सर्कैडियन रिदम पर अपने विचार रखे। उन्होंने कहा कि बायोलाजिकल क्लाक (शरीर की घड़ी) में आए बदलाव के कारण लोगों बीपी, शुगर, हार्ट अटैक, मानसिक रोग के साथ समय से पहले बूढ़े हो रहे हैं। इसलिए बदलती जीवनशैली में बदलाव जरूरी है।