40 देश में कारोबार बढ़ाकर होगी US टैरिफ से होने वाले नुकसान की भरपाई, नोएडा के कपड़ा व्यापारियों को मिलेगी राहत
सिडबी और नोएडा के कपड़ा निर्यातकों ने अमेरिका के टैरिफ़ से निजात पाने के लिए चार दिवसीय मंथन किया। विशेषज्ञों ने गुणवत्ता स्थिरता और नवाचार पर ध्यान देने की सलाह दी। भारत सरकार 40 देशों में निर्यात बढ़ाने की योजना बना रही है जिससे कारोबार में 50-70% तक की वृद्धि हो सकती है। निर्यातकों को नई रणनीतियों पर ध्यान देना होगा।

कुंदन तिवारी, नोएडा। ऑस्ट्रेलिया, बेल्जियम, कनाडा, फ्रांस, जर्मनी, इटली, जापान, मेक्सिको, पोलैंड, रूस, स्पेन, दक्षिण कोरिया, तुर्की, नीदरलैंड, संयुक्त अरब अमीरात, यूके समेत 40 देश 590 अरब डॉलर से अधिक का कपड़ा और परिधान आयात का प्रतिनिधित्व करते हैं। इससे भारत को अपनी बाजार हिस्सेदारी बढ़ाने के अपार अवसर मिलते हैं। जो वर्तमान में केवल 5-6 प्रतिशत के आसपास है।
इसे ध्यान में रख भारत सरकार इन 40 देशों में से प्रत्येक में समर्पित आउटरीच कार्यक्रमों की योजना बना रही है। इसमें पारंपरिक बाजारों और उभरते बाजारों दोनों पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा। इससे 50 से 70 प्रतिशत कारोबार को बढ़ाया जा सकता है।
इन बाजारों पर काम करने के लिए जिन चार बातों पर ध्यान दिया जाना है। इसमें गुणवत्ता, स्थिरता, नवाचार और कपड़ा उत्पादों में मुक्त व्यापार समझौते / व्यापार समझौते (एफटीए / पीटीए)। यह बात चार दिवसीय मंथन में निकलकर नोएडा कपड़ा व परिधान चार हजार निर्यातकों के सामने आयी है।
बता दें कि सेक्टर-62 स्थित पार्क एसेंट होटल में चार दिन तक भारतीय लघु उद्योग विकास बैंक (सिडबी) और निर्यातकों के बीच अमेरिका के ट्रैरिफ से निजात को लेकर प्रत्यक्ष परिधान निर्यात बाजार मास्टर क्लास चल रही थी। इस क्लास को अहमदाबाद के अंतरराष्ट्रीय व्यापार विशेषज्ञ डॉ. जगत शाह ने संचालित की।
इस दौरान सिडबी नोएडा के उप महाप्रबंधक स्वप्निल साहिल ने इस बात पर ज़ोर दिया कि यह कार्यक्रम परिधान निर्माताओं को अमेरिकी बाजार से परे विविधता लाने के लिए उन्नत रणनीतियों से लैस करने के लिए डिजाइन किया गया था। इससे बदलते व्यापार परिदृश्य और हाल ही में लगाए गए अमेरिकी कपड़ा शुल्कों के बीच उभरते बाज़ारों में कदम रखने से भारत की वैश्विक सोर्सिंग उपस्थिति को मजबूत करने के महत्वपूर्ण अवसर मिलते है।
डॉ. जगत शाह ने भारतीय निर्यातकों से कहा कि प्रतिस्पर्धी बने रहने के लिए गुणवत्ता, स्थिरता और नवाचार पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता है। टैरिफ के कारण पारंपरिक व्यापार प्रवाह में बदलाव आने के साथ एमएसएमई के लिए उभरते बाज़ारों में प्रवेश करने और भारत की वैश्विक उपस्थिति को मजबूत करने का एक बड़ा अवसर है।
निर्यातकों को इन बिंदुओं पर देना होगा ध्यान
- एक मजबूत निर्यात रणनीति विकसित करना।-वैज्ञानिक निर्यात बाजार अनुसंधान तकनीकों का प्रयोग।
- विश्वसनीय आयातक लीड उत्पन्न करना और उन्हें आर्डर में परिवर्तित करना।
- भौतिक प्रदर्शनियों और डिजिटल रूप से संचालित बीटूबी बैठकों में भाग लेना।
- विदेशी एजेंटों की पहचान और नियुक्ति।
- लीड जनरेशन के लिए एआइ का उपयोग।
- निर्यात कार्यों का समर्थन करने के लिए विदेशों में गोदाम खोलना।
- 100 से अधिक देशों में विदेशी सरकारी निकायों और संयुक्त राष्ट्र को निर्यात करना।
- गैर अमेरिकी बाज़ारों, विशेष रूप से मध्य पूर्व और अफ्रीका तक पहुंच बनाना।
- परिधान निर्यात के लिए नवाचार को बढ़ावा देना।
- बाजार में प्रवेश के वास्तविक जीवन के केस स्टडीज़ का प्रदर्शन।
- निर्यात विस्तार के लिए ई कामर्स का लाभ उठाना।
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