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    नोएडा के 30 हजार होम बॉयर्स को मिलेगी राहत! क्रेडाई वेस्ट यूपी ने मुख्य सचिव को लिखी चिट्ठी

    Updated: Tue, 05 Aug 2025 10:32 AM (IST)

    नोएडा में स्पोर्ट्स सिटी परियोजनाएं बकाया की गलत गणना और मंजूरी में देरी के कारण रुकी हुई हैं जिससे लगभग 30 हजार होम बॉयर्स परेशान हैं। क्रेडाई वेस्ट यूपी ने उत्तर प्रदेश सरकार से हस्तक्षेप करने की मांग की है ताकि इन परियोजनाओं को फिर से शुरू किया जा सके और होम बॉयर्स को राहत मिल सके।

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    बकाया की गलत गणना मंजूरी में देरी, प्रतिबंधों से अटकी स्पोर्ट्स सिटी परियोजनाएं

    जागरण संवाददाता, नोएडा। स्पोर्ट्स सिटी परियोजनाओं में फंसे करीब 30 हजार होम बॉयर्स को राहत दिलाने के उद्देश्य से क्रेडाई वेस्ट यूपी ने उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव को पत्र लिखा है। इसकी प्रतिलिपि प्रधानमंत्री व मुख्यमंत्री कार्यालय, प्राधिकरण चेयरमैन व सीईओ समेत को भेजी है।

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    संस्था का कहना है कि नोएडा की स्पोर्ट्स सिटी परियोजनाएं कई तकनीकी व नीतिगत अड़चनों के चलते रुकी हुई हैं। इससे न केवल डेवलपर्स, बल्कि हजारों खरीदार भी संकट में हैं। करीब दो साल पहले ही लोक लेखा समिति ने कैग की सभी आपत्तियों पर क्लीन चिट देते हुए उनके सभी रिमार्क्स को हटा दिया। इसके बावजूद देरी हो रही है।

    क्रेडाई वेस्ट यूपी अध्यक्ष दिनेश गुप्ता ने बताया कि इलाहाबाद उच्च न्यायालय द्वारा भूमि बकाया भुगतान को लेकर दिए गए आदेश के खिलाफ लोटस ग्रीन कंसट्रक्शंस प्राइवेट लिमिटेड ने सुप्रीम कोर्ट में स्पेशल लीव पिटीशन (एसएलपी) दायर की है, मामला विचाराधीन है।

    जब तक सुप्रीम कोर्ट का अंतिम निर्णय नहीं आता, तब तक कठोर कार्रवाई न की जाए। प्रस्तावित किया है कि 25 प्रतिशत बकाया राशि 90 दिनों में और शेष 75 प्रतिशत राशि तीन वर्षों में एमसीएलआर ब्याज दर के साथ चुकाने की अनुमति दी जाए। यह पत्र डेवलपर्स और होमबायर्स दोनों के हितों को ध्यान में रखते हुए भेजा गया है।

    इन बिंदुओं पर राहत की मांग

    • बकाया गणना में विसंगतियां : वर्ष 2020 में यूपी सरकार द्वारा ब्याज दरों को एमसीएलआर से जोड़ा गया, लेकिन अब तक डिमांड लेटर में संशोधन नहीं हुआ। टाइम एक्सटेंशन चार्ज में राहत : स्पोर्ट्स सिटी में केवल 0.5 प्रतिशत भूमि व्यावसायिक उपयोग के लिए है, जबकि 29.5 प्रतिशत आवासीय उपयोग के लिए। ऐसे में व्यावसायिक दर से शुल्क लगाना गलत है। कोविड और प्राधिकरण की ओर से लगाए गए प्रतिबंधों की अवधि का चार्ज माफ करने की मांग।
    • अतिरिक्त किसान मुआवजा दोबारा वसूलना अनुचित : क्रेडाई ने स्पष्ट किया कि भूखंड आवंटन के समय ही अतिरिक्त 64.7 प्रतिशत किसान मुआवजा दर में शामिल किया गया था, इसे दोबारा वसूलना गैरवाजिब।
    • जीरो पीरियड की असमानता : वर्ष 2017 तक घोषित ज़ीरो पीरियड का लाभ सभी परियोजनाओं को समान रूप से नहीं मिला, इसमें समानता लाने की अपील की गई।
    • अमिताभ कांत रिपोर्ट का क्रियान्वयन : अधूरी और वित्तीय संकट से जूझ रही परियोजनाओं के लिए बनी इस रिपोर्ट में सुझाए गए उपाय स्पोर्ट्स सिटी पर भी लागू किए जाएं। मंजूरी में देरी : कई डेवलपर्स ने मानचित्र संशोधित और ओसी / सीसी के लिए आवेदन किया था। इसमें आज तक निर्णय नहीं हुआ। इस कारण खरीदारों की यूनिट्स की रजिस्ट्री नहीं हो पा रही, बैंकों से फंडिंग भी रुकी है।
    • 2021 के प्रतिबंधों का असर : बोर्ड बैठक में लगाए गए बैन से स्पोर्ट्स सिटी की कई परियोजनाएं ठप हो गई हैं। जो प्रोजेक्ट्स खेल सुविधाओं से संबंधित नहीं हैं, उन्हें इन प्रतिबंधों से मुक्त किया जाए।