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    Noida: राम मंदिर शिलान्यास से राम की स्तुति में हर दिन रच रहीं एक नया भजन, सरोज मिश्र बना चुकी हैं 966 भजन

    By Ajay ChauhanEdited By: Geetarjun
    Updated: Sun, 02 Apr 2023 06:32 PM (IST)

    अयोध्या में राम मंदिर निर्माण का कार्य तेजी से चल रहा है। भगवान राम के भक्त व्याकुलता के साथ मंदिर निर्माण कार्य पूर्ण होने का इंतजार कर रहे हैं। भक्त ...और पढ़ें

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    राम मंदिर शिलान्यास से राम की स्तुति में हर दिन रच रहीं एक नया भजन।

    नोएडा, जागरण संवाददाता। अयोध्या में राम मंदिर निर्माण का कार्य तेजी से चल रहा है। भगवान राम के भक्त व्याकुलता के साथ मंदिर निर्माण कार्य पूर्ण होने का इंतजार कर रहे हैं। भक्तों ने कार्य पूरा होने तक अलग-अलग प्रण ले रखा है। इसके लिए निरंतर साधना करने रहे हैं। ऐसे भक्तों में शामिल हैं सेक्टर-110 में रहने वाली संगीतकार सरोज मिश्रा। सरोज मिश्रा राम मंदिर के शिलान्यास से प्रतिदिन प्रभु श्रीराम को समर्पित प्रतिदिन एक नए भजन की रचना कर रही हैं।

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    उन्होंने प्रण लिया है कि जब तक राम मंदिर का कार्य पूरा होने तक उनकी यह साधना नियमित जारी रहेगी। खुद लिखने के बाद भजन को स्वयं ही संगीत देती है। प्रतिदिन भजन को इंटरनेट मीडिया के विविध प्लेटफार्म पर भी साझा करती है। उन्होंने बताया पांच अगस्त 2020 को जब राम मंदिर का शिलान्यास हो रहा था। तब वह संगीत का अभ्यास कर रही थी।

    इस दौरान उन्होंने भगवान राम को समर्पित भजन बनाया और गाया। यहीं से उनके मन में विचार आया और उन्होंने गंगाजल हाथ में लेकर प्रतिदिन एक भजन गाने का संकल्प लिया, जो नियमित जारी है। अब तक 965 भजन गा चुकी है। बिना क्रम तोड़े और बिना दोहराव के कार्य नियमित जारी है।

    सरोज मिश्रा ने प्रयाग संगीत समिति प्रयागराज से प्रभाकर, भात्खंडे लखनऊ से निपुण व हिंदुस्तानी संगीत गायन में स्नातकोत्तर किया है। विभिन्न राष्ट्रीय कार्यक्रमों में प्रस्तुति दे चुकी है। सानिया घराने के संगीतज्ञ पद्मविभूषण उस्ताद गुलाम मुस्तफा खान व बनारस घराने के पंडित भोला नाथ मिश्रा से भी संगीत का प्रशिक्षण लिया है।

    विकट परिस्थिति में भी नहीं टूटा क्रम

    सरोज मिश्रा ने बताया कि प्रभु की ही कृपा है कि उनका भजन बनाने और गाने का क्रम नियमित जारी है। शुरू में परेशानी भी हुई लेकिन समय के साथ वह इसमें अभ्यस्त हो गई, लेकिन दिक्कत तब बढ़ी, जब कोरोना काल में वह गंभीर रूप से बीमार पड़ गई। उनके नजदीकी लोग साथ छोड़ कर चले गए। खासकर उनके गुरू पद्मविभूषण उस्ताद गुलाम मुस्तफा खान का जाना उनके लिए कष्टकारी रहा, लेकिन उन्होंने अपना संकल्प नहीं तोड़ा।

    प्रधानमंत्री भी कर चुके हैं प्रशंसा

    अपने इस संकल्प के चलते उनको प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से भी मिलने का अवसर मिला। उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री ने प्रभु श्रीराम के प्रति उनके संकल्प की सराहना की। उनको हौंसला बढ़ाया। इससे उनको भी प्रोत्साहन मिला। उनको लोगों का भी प्राप्त सहयोगी मिल रहा है। इंटरनेट मीडिया पर भी लोग नियमित उनके संकल्प प्राप्ति के लिए हौंसला बढ़ाते हैं। बीते वर्ष जनवरी में यूएसए की द अमेरिकन यूनिवर्सिटी ने उनको डाक्टरेट की मानद उपाधि से भी सम्मानित किया है।