नोएडा के चाइल्ड पीजीआई में होगा कमजोर मांसपेशियों का इलाज, पश्चिमी यूपी के लोगों को मिलेगी राहत
नोएडा के चाइल्ड पीजीआई में जल्द ही बच्चों में जेनेटिक बीमारियों की जांच शुरू होगी। थैलेसीमिया स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी जैसी बीमारियों का पता लगाया जाएगा। मरीजों को दिल्ली जैसे शहरों के चक्कर काटने से मुक्ति मिलेगी। डॉ. मयंक निलय ने डाउन सिंड्रोम के इलाज की भी जानकारी दी। संस्थान में मामूली पंजीकरण शुल्क पर जांच कराई जा सकेगी। इससे समय पर बीमारी की पहचान और इलाज में मदद मिलेगी।

जागरण संवाददाता, नोएडा। चाइल्ड पीजीआई में पश्चिमी उत्तर प्रदेश के बच्चों की मांसपेशियां कमजोर होने का इलाज जल्द ही शुरू होगा। जेनेटिक विभाग अगले 15-20 दिनों में थैलेसीमिया, स्पनाइल मस्कुलर ट्राफी, डयूशेने मस्कुलर डिस्ट्राफी व फ्रैजाइल एक्स की जांच शुरू करेगा।
प्रारंभिक प्रक्रिया के लिए टीम ने दो मरीजों के सैंपल लिए हैं। राहत की बात है कि प्रदेश के मरीजों को अब दिल्ली, गुरूग्राम या लखनऊ के एसजीपीआई में चक्कर नहीं काटने पड़ेंगे। संस्थान के डीन डा. डीके सिंह ने बताया कि स्पाइनल मस्कुलर ट्राफी सामान्य बीमारी है। यह देश के पांच हजार बच्चों में से किसी एक में होती है।
मांसपेशियां कमजोर होने से बच्चे का विकास रुक जाता है। इस बीमारी का जल्दी पता नहीं चलता है। भारत में नेशनल रेयर डिजीज पालिसी के तहत इसकी दवाइयां निश्शुल्क मिलती हैं जबकि प्राइवेट अस्पताल में जांच महंगी होती है। वही डयूशेने मस्कुलर डिस्ट्राफी की भी जांच होगी।
ये भी मांसपेशियाें की बीमारी होती है। डाउन सिंड्रोम में बच्चों के अंदर क्रोमोजोन-21 ज्यादा हो जाता है। जेनेटिक विभाग के हेड डा. मयंक निलय ने बताया कि दो वर्षों में डाउन सिंड्रोम के 65 मरीजों का इलाज हुआ है। इसमें अभिभावकों की भी काउंसिलंग की जाती है। डाउन सिंड्रोम भी एक सामान्य मानसिक बीमारी होती है। मशीन इंस्टालेशन के बाद जांच की जिम्मेदारी डा. दिनेश शाहू और डा. मयंक निलय के पास रहेगी।
डा. दिनेश साहू के मुताबिक, बाल मरीजों में जेनेटिक बीमारी का आसानी से पता चल सकेगा। इस सुविधा का लाभ संस्थान में आने वाले मरीजों के साथ दूसरे राज्यों के लोगों को भी राहत मिलेगी। चाइल्ड पीजीआई आकर अभिभावक 10 रुपये का पंजीकरण कराकर सशुल्क जांच का लाभ ले पाएंगे। इससे न सिर्फ बीमारी की समय रहते पहचान में मदद करेगी, बल्कि बचाव व इलाज में भी मिलेगी।
निदेशक डॉ. अरूण कुमार सिंह का कहना है कि जल्द ही जेनेटिक बीमारियों की जांच शुरू हो जाएगी। मशीन आने के बाद पार्ट्स इंस्टालेशन का काम पूरा हो जाएगा।
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