मरीजों को महंगे इलाज से मिलेगी राहत, जेवर में बन रहा 100 बेड का ट्रामा सेंटर; मिलेंगी बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं
नोएडा के प्राइवेट अस्पतालों में महंगे दामों पर इलाज करवाने से परेशान लोगों को राहत मिलेगी। ग्रेटर नोएडा के जेवर में 100 बिस्तरों वाले ट्रामा सेंटर का निर्माण शुरू हो गया है। यहां मरीजों को बेहतर इलाज की सुविधा मिलेगी। इसके साथ ही क्लीनिकल और अस्पतालों का नवीनीकरण और पंजीकरण जैसी सुविधाओं के लिए मरीजों को परेशान नहीं होना पड़ेगा। जानिए और भी बहुत कुछ।

जागरण संवाददाता, नोएडा। गौतमबुद्ध नगर में मरीजों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं मुहिया कराने के लिए स्वास्थ्य विभाग लगातार प्रयास में जुटा है। इसके लिए जेवर में 100 बेड का ट्रामा सेंटर बनाया जा रहा है, जिसका निर्माण कार्य शुरू हो चुका है। जल्द ही मरीज इसका लाभ ले सकेंगे।
अब तक गंभीर मरीजों को निजी अस्पताल का रुख करना पड़ता था। अब जिले में ट्रामा सेंटर की सुविधा मिलने के बाद मरीजों को निजी अस्पतालों में महंगे दामों पर इलाज नहीं कराना पड़ेगा। इसके साथ ही क्लीनिकल और अस्पतालों का नवीनीकरण और पंजीकरण जैसी सुविधाओं के लिए लोगों को परेशान नही होना पड़ेगा।
इसके लिए विभाग ने अहम कदम उठाएं हैं। मरीजों को सुविधाओं को लेकर जिले के डिप्टी सीएमओ एवं नोडल आफिसर आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन डॉ.चंदन सोनी से दैनिक जागरण संवाददाता चेतना राठौर की बातचीत के पेश हैं प्रमुख अंश :
क्या आप आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन (एबीडीएम) माइक्रोसाइट्स की शुरुआत में शामिल हुए थे, डिजिटल आइडी बनने में क्या तेजी आई है?
हां मैं शामिल था, डिजिटल आईडी बनाने में लगातार अच्छा काम कर रहे हैं। हेल्थ फैसिलिटी रजिस्ट्री (एचएफआर) का 600 का टारगेट मिला था लेकिन तय टारगेट से भी अधिक यानि 671 आईडी बना चुके हैं।
हेल्थ प्रोफेशनल रजिस्ट्री (एचपीआर) 750 का टारगेट था, 667 कर चुके हैं बाकी का भी वेरिफिकेशन चल रहा हैं, सरकार की योजना का लाभ अधिक से अधिक लोग लाभ ले सकें, इसके लिए लगातार प्रयासरत रहते हैं।
अस्पताल और क्लीनिक के लाइसेंस नवीनीकरण कराने में क्या दिक्कत आ रही है, कबतक समाधान?
अप्रैल से यह प्रक्रिया फिर शुरू होगी। स्वास्थ्य विभाग की ओर से इस प्रक्रिया को आसान बनाने का प्रयास किया जा रहा हैं उम्मीद हैं अप्रैल माह से पांच साल के लिए रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट जारी होगा। इस सुविधा के लिए पोर्टल पर काम चल रहा है। 5 साल का पंजीयन मिलने के बाद लोगों को बार-बार परेशान नहीं होना होगा।
अस्पताल और क्लीनिक के लाइसेंस के दस्तावेज अधूरे होने पर आवेदन न कर सकें ऐसी व्यवस्था क्यों नहीं हैं ?
अस्पताल और क्लीनिक के मालिक अधूरे दस्तावेजों के साथ आवेदन न कर सकें। इस व्यवस्था के लिए एक पोर्टल पर काम चल रहा है। पोर्टल तैयार होने के बाद दस्तावेज अधूरे पाए जाने पर आवेदन प्रक्रिया पूरी नहीं होगी, निरस्त होगा आवेदन क्योंकि कई बार अधूरे दस्तावेज मिलने को लेकर काफी परेशानी होती है।
आबादी तेजी से बढ़ रही है ऐसे नए सुपरस्पेशलिटी और प्राइवेट अस्पतालों की सुविधा क्या मिल सकेगी?
अस्पतालों में जनसंख्या को संबोधित करने वाली प्रणालियां, प्राथमिक और द्वितीयक स्वास्थ्य केंद्रों में सुविधाएं बढ़ाना, ताकि तृतीयक केंद्रों पर भार कम हो भंगेल में 50 बेड का सरकारी अस्पताल शुरू होने जा रहा है। साथ ही शासन स्तर से डॉक्टर और पैरामेडिकल स्टाफ की नियुक्ति की जाएगी। जिससे मरीजों को आसानी से इलाज मिल सके। प्राइवेट अस्पताल भी कई निर्माणाधीन हैं।
50 बेड से अधिक के कई अस्पतालों में कमियां है, क्या क्लीनिकल एब्लिसमेंट एक्ट के तहत कोई कार्रवाई?
हां लगातार कार्रवाई की जा रही है,और भविष्य में भी कमियां पाए जाने पर संबंधित स्टाफ पर कार्रवाई की जाएगी। इसपर रोकथाम के लिए प्रयास भी जारी हैं।
स्वास्थ्य विभाग पर चिकित्सकों की कमी है ऐसे में मोटो जीपी जैसे बड़े आयोजनों में चिकित्सकों सुविधा कैसे दी जा सकेगी?
बीते वर्ष मोटो जीपी एक बडा आयोजन हुआ। यहां पर 10 बेड का एक सुपरस्पेशिलिटी अस्पताल बनाया गया। भविष्य में ऐसे बडे आयोजन होते हैं तो शासन की ओर से लगातार लेवल 2 में स्पेशलिस्ट की भर्ती की जा रही है, जिससे समय-समय पर आयोजनों में चिकित्सकों की पूर्ति कर सकें।
मौजूदा समय में विभाग के पास कौन-कौन सी सबसे बड़ी चुनौतियां हैं?
स्पेशलिस्ट डाक्टर की भर्ती की जाना, नए एम्बुलेंस की मांग की गई हैं, ट्रामा सेंटर का निर्माण हो रहा है। हर चुनौती का सामना करने के लिए स्वास्थ्य विभाग जिलाधिकारी और मुख्य चिकित्सा अधिकारी के नेतृत्व में तैयार हैं सरकार की प्राथमिकता के अनुरूप कार्य किया जा रहा है।
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