Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    विदेशियों को लुभा रही थारू महिलाओं की बनाई जूट और जलकुंभी की टोपी-चप्पल, ट्रेड शो में पहली बार मिला मंच

    Updated: Mon, 29 Sep 2025 10:23 AM (IST)

    यूपी इंटरनेशनल ट्रेड शो में समाज कल्याण विभाग ने पहली बार स्टाल लगाकर थारू जनजाति की महिलाओं को मंच दिया। लखीमपुर की महिलाओं द्वारा जूट और जलकुंभी से बने उत्पाद प्रदर्शित किए गए हैं। इसके साथ ही तमिलनाडु के केपी धर्मानी की लकड़ी की बनी देवी-देवताओं की मूर्तियां भी आकर्षण का केंद्र हैं जिनकी मांग विदेशों तक है।

    Hero Image
    एक्सपो मार्ट में स्टाल पर मौजूद थारू जनजाति की महिलाएं।

    जागरण संवाददाता, ग्रेटर नोएडा। यूपी इंटर नेशनल ट्रेड शो थारू जनजाति की महिलाओं के हाथों के हुनर को देश विदेश तक प्रदर्शित करने का मंच दे रहा है। समाज कल्याण विभाग द्वारा पहली बार एक्सपो मार्ट में लखीमपुर की थारू महिलाओं के एकीकृत स्वयं सहायता समूह का स्टाल लगवाया गया है। स्टाल पर जूट से बनीं टोपियां, चप्पलें, डलिया और टोकरी व जलकुंभी से बनी तमाम सामग्री सजाई गई है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    लखीमपुर के बलेरा गांव में थारू जनजाति के लोग रहते हैं। यह गांव दुधवा नेशनल पार्क के पास है। थारू महिलाएं जूट व जलकुंभी से घरेलू कामों में उपयोग होने वाली सामग्री बनातीं थी। वर्ष 2012 में राजकुमारी ने समूह का गठन किया। महिलाएं जूट व जलकुंभी से डलिया, चप्पलें, मोबाइल फोन पर्स, टोकरी, टोपी, रोटी बाक्स आदि बनाकर दुधवा में आने वाले विदेशी पर्यटकों को बेचतीं हैं।

    विदेशी पर्यटकों में महिलाओं की बनाई सामग्री का काफी आकर्षण है। योगी सरकार हर समाज की महिलाओं की आर्थिक स्थिति में सुधार का प्रयास कर रही है। इसी के चलते इसी वर्ष मई में समाज कल्याण विभाग ने समूह की अध्यक्ष राजकुमारी व अन्य से संपर्क किया। उनके समूह को आर्थिक मदद उपलब्ध कराकर बलेरा में सेंटर खुलवाया। अब समूह द्वारा तैयार सामग्री की काफी मांग रहती है। एक्सपो मार्ट में महिलाओं द्वारा तैयार की जा रही सामग्री लोगों को काफी आकर्षित कर रही है। उनके स्टाल पर बड़ी संख्या में खरीदार पहुंच रहे हैं।

    देवी-देवताओं की मूर्तियों की अमेरिका से कनाडा तक मांग

    इंडिया एक्सपो मार्ट में तमिलनाडु निवासी केपी धर्मानी ने लकड़ी से बनी देवी देवताओं की मूर्तियों का स्टाल लगा रखा है। इनकी बनाई मूर्तियों की कीमत तीस हजार से तीन लाख रुपये तक है। केपी मूलरूप से तमिलनाडुु के रहने वाले हैं। मयूर बिहार मेंं उनका गोदाम है।

    केपी की तीन पीढ़ियों से लकड़ी से देवी देवताओं की मूर्तियां बनाने का काम किया जा रहा है। उनकी बनाई मूर्तियाें की मांग भारत के अलावा अमेरिका, कनाडा समेत कई देशों तक है। सिर्स नामक पेड़ की लकड़ी से यह मूर्तियां बनती हैं। यह पेड़ सिर्फ तमिलनाडु में ही पाये जाते हैं।

    इस लकड़ी से बनी मूर्तियों की उम्र करीब 100 रहती है। तीन फीट की मूर्ति तैयार करने में करीब छह माह में पांच कारीगर तैयार करते हैं। इसी कीमत करीब तीन लाख रुपये होती है। तीन फीट की छोटी मूर्ति एक माह में तैयार हो जाती है, यह 35 से 40 हजार की होती है। केपी का कहना है कि उनकी बनाई मूर्तियां लोग घरों के अलावा फार्म हाउस, होटल और रेस्टोरेंट आदि में लगाते हैं। एक्सपो मार्ट में तीन मूर्तियां बिक्री हुई हैं।