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    तेज बारिश से धान की फसल को भारी नुकसान, ग्रेटर नोएडा के किसानों ने उठाई ये बड़ी मांग

    Updated: Wed, 08 Oct 2025 08:23 AM (IST)

    मानसून के अंत में हुई भारी वर्षा ने नोएडा के किसानों की धान की फसल को भारी नुकसान पहुंचाया है। दादरी जेवर और दनकौर क्षेत्रों में कटी फसलों में पानी भरने से भारी बर्बादी हुई है। जिला प्रशासन ने किसानों से नुकसान की जानकारी 72 घंटे के अंदर देने की अपील की है ताकि बीमित किसानों को बीमा का लाभ मिल सके। किसानों ने सर्वे कराकर मुआवजे की मांग की।

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    मानसून की वापसी के वक्त जोरदार वर्षा से किसानों की फसलों को भारी नुकसान

    जागरण संवाददाता, ग्रेटर नोएडा। मानसून की वापसी के दौरान अचानक दो दिन हुई तेज हवा के साथ वर्षा से किसानों की धान सहित खरीफ की फसलों में भारी नुकसान हुआ है। सोमवार दिन में हुई वर्षा ने किसानों को संभलने तक का मौका नहीं दिया।

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    दादरी,जेवर, दनकौर व रबूपुरा और जहांगीरपुर क्षेत्र में कटी फसलों में पानी भरने से ज्यादा नुकसान हुआ है। मंगलवार तड़के भी तेज हवा के साथ हुई जोरदार वर्षा ने किसानों की खड़ी फसलों को बुरी तरह से प्रभावित किया है। किसानों ने प्रशासन से सर्वे कराकर उन्हें इस प्राकृतिक आपदा से हुए नुकसान की भरपाई की मांग की है।

    जिले की जेवर, दादरी और सदर तहसील में 59 हजार किसानों ने 35 हजार हेक्टेयर जमीन पर धान की फसल बोई थी। वर्षा के मौसम में लगातार अच्छी वर्षा होने के चलते किसानों को इस बार बंपर पैदावार की उम्मीद थी। जानकारों की मानें तो इस बार जिले में एक से डेढ़ लाख क्विंटल धान की उपज का अनुमान था, लेकिन मानसून की वापसी से सोमवार व मंगलवार को जमकर हुई वर्षा ने किसानों के सपनों पर पानी फेरने में कोई कसर बाकी नहीं छोड़ी है।

    किसानों की पकी हुई धान की फसल को 30 से 50 प्रतिशत नुकसान व कच्ची फसल को 40 प्रतिशत तक का नुकसान अनुमान है, जिन किसानों की फसलें खेतों में कटी हुई पड़ी थी जलभराव में डूबने से उनमें 50 प्रतिशत से अधिक नुकसान हुआ है।

    जिला प्रशासन ने किसानों को फसलों में हुए नुकसान की जानकारी 72 घंटे के अंदर टोल फ्री नंबर, एप या तीनों तहसीलों में फोन पर जानकारी देने की अपील की है जिससे फसलों को हुई क्षति के नुकसान का तत्काल आंकलन कराते हुए बीमित किसानों को समय पर बीमा का लाभ प्राप्त हो सके।

    किसान 72 घंटे में कहां दे फसलों में हुए नुकसान की जानकारी

    उप कृषि निदेशक राजीव कुमार ने बताया कि प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत फसल कटाई के बाद 14 दिनों तक खेतों में सूखने के लिए रखी फसलों में यदि प्राकृतिक आपदा ओलावृष्टि, वर्षा आदि से नुकसान होता है तो 72 घंटे के अंदर सूचना देना अनिवार्य है।

    किसान फसलों में हुई क्षति की सूचना भारत सरकार के फसल बीमा टोल फ्री नंबर 14447 या क्राप इंश्योरेंस एप पर दर्ज करा सकते हैं। इसके अलावा जिला प्रबंधक फसल बीमा टोल फ्री नंबर 18002091111 और 18008896868 पर भी सूचना दे सकते हैं।

    उप कृषि निदेशक ने बताया कि किसानों की फसलों को हुई क्षति की विकास खंडवार आंकलन कर तत्काल कार्यालय को सूचना दें, जिससे बीमित किसानों को समय पर फसल बीमा का लाभ मिल सके। दादरी तहसील के किसान देवराज सिंह 7906769211, सदर तहसील में धीरज कुमार 7579561257 व जेवर तहसील में रामोवतार 7754924114 पर भी जानकारी दे सकते हैं।

    अच्छी फसल और पैदावार की उम्मीद से कुछ सपने थे जो अचानक वर्षा ने चकनाचूर कर दिए इस बार की दीपावली फीकी रहेगी। सरकार को जल्द से जल्द सर्वे कराकर किसानों के नुकसान की भरपाई करानी चाहिए। - जुगेंद्र सिंह

    सरकारी क्रय केंद्र चालू न होने से किसानों को पहले से ही प्राइवेट मंडी में शोषण हो रहा था। वर्षा ने किसानों की मुश्किलें और बढ़ा दी है। - राजकुमार

    इस सीजन लगातार अच्छी वर्षा से धान की फसल में डीजल की भी कम खपत हुई थी फसल में बंपर पैदावार की उम्मीद थी। लेकिन पकी फसल पर आई वर्षा ने सब चौपट कर दिया। 50 प्रतिशत से अधिक फसल खराब होने की संभावना है। - हरि सिंह

    जमींदार से पेशगी पर एक वर्ष के लिए खेत लेकर फसल तैयार की थी, लेकिन हर साल प्राकृतिक आपदाओं के कारण उन्हें भारी नुकसान झेलना पड़ता है। समय पर राहत नहीं मिलने से उसकी माली हालत बिगड़ती जा रही है। - ओमपाल

    तीन दिन से हो रही वर्षा के कारण मंडी में जलभराव हो गया है। पिछले तीन दिनों में मंडी में धान की आवक पर 30 से 40 से प्रतिशत की कमी आई है। - ओमेश राणा, आढ़ती, दादरी नवीन मंडी

    पिछले तीन दिन से हो रही वर्षा ने किसानों की कमर तोड़ने का काम किया है। पहले बाढ़ और अब वर्षा से अन्नदाता के सामने रोजी रोटी का संकट खड़ा हो गया है। जिला प्रशासन को फसलों का सर्वे कराकर उचित मुआवजा देना चाहिए, जिससे किसान के नुकसान की भरपाई हो सके। - कृष्ण नागर, राष्ट्रीय महासचिव, किसान मजदूर संघर्ष मोर्चा