स्वच्छ वायु सर्वेक्षण में पिछड़ा नोएडा बजट का भी नहीं कर सका इस्तेमाल, एनसीएपी से मिला 55 करोड़ का फंड
नोएडा में प्रदूषण नियंत्रण के प्रयासों में कमी आई है। स्वच्छ वायु सर्वेक्षण में शहर की रैंकिंग गिरी है जिसका मुख्य कारण एनसीएपी फंड का सही उपयोग न होना जागरूकता कार्यक्रमों का अभाव और सीएसआर फंड का कम उपयोग है। शहर को नौवां स्थान मिला जबकि पिछले साल छठा स्थान था।

प्रवेंद्र सिंह सिकरवार, नोएडा। एनसीआर में प्रदूषण सबसे गंभीर मुद्दा माना जाता है, लेकिन इस वर्ष नोएडा स्वच्छ वायु सर्वेक्षण में बडा कमाल करना तो दूर वर्तमान स्थिति पर भी काबिज नहीं रह रखा।
तीन से 10 लाख की आबादी वाले शहराें में नोएडा ने स्वच्छ वायु सर्वेक्षण में नौवीं रैंक हासिल की है। बीते वर्ष इस श्रेणी में नोएडा ने छठवीं रैंक हासिल की थी। एक वर्ष में नोएडा तीन पायदान नीचे फिसला।
200 नंबरों के लिए नोएडा ने आवेदन किया था। इसमें 184.2 नंबर मिले। एनीएपी (नेशनल क्लीन एयर प्रोग्राम) के तहत तीन वर्ष में मिले 55 करोड़ के बजट में से सात करोड़ ही खर्च कर हो सके। शहर में एयर क्वालिटी इंडेक्स (एक्यूआइ), उद्योगों में ग्रीन एनर्जी के जागरूकता कार्यक्रमों का अभाव रहा।
बता दें एसीएपी के तहत 130 शहरों में स्वच्छ वायु के लिए बजट जारी होता है। इन 10 लाख से अधिक आबादी वाले 48, तीन से 10 लाख की आबादी वाले 42 और तीन लाख से कम आबादी वाले 40 शहर प्रतिभाग करते हैं।
नोएडा ने तीन से 10 लाख की आबादी वाली श्रेणी में प्रतिभाग किया। बीते वर्ष के मुकाबले नोएडा की रैंक तीन पायदान फिसलकर नौवे पर पहुंच गई। शहर में प्रदूषण को लेकर स्थिति गंभीर रही है। उड़ती धूल और निर्माणाधीन साइटों पर प्रदूषण के स्तर को कम नहीं किया जा सका है।
प्राधिकरण और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की ओर से भी आधी अधूरी तैयारी और निगरानी के साथ किए गए सभी प्रयास असफल ही साबित हुए। यूपी के झांसी और मुरादाबाद जैसे शहरों ने दूसरी रैंक हासिल की जो वहां के प्रयासों को दर्शाता है।
नौ बिंदुओं पर कई में रही चूक
स्वच्छ वायु सर्वेक्षण को लेकर नौ बिंदुओं पर नंबर मिलते हैं। नोएडा में कई स्थानों सड़कें उखड़ी हैं और बीच-बीच में उखड़ी हैं। मैकेनिकल स्वीपिंग की कमी भी देखी गई।
सीएसआर फंड से कंपनियां और नागरिक आगे नहीं आए
नोएडा में कई बडी-बडी कंपनियां और उद्योग हैं। करोड़ों रुपये का सीएसआर फंड है। कंपनी और उद्योग संचालक भी शहर में प्रदूषण को कम करने में आगे नहीं आए। जगह-जगह लगे गंदगी और कचरे के ढेर आम आदमी की लापरवाही को दर्शाता है। शहर को स्वच्छ रखना और सर्वेक्षण में भागीदारी में जनहित और सामूहिक भागीदारी भी जरूरी है।
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