Noida News: छेड़छाड़ के आरोपी तकनीशियन के समर्थन में डेढ़ घंटे ओपीडी बंद, स्टाफ ने लगाए मुर्दाबाद के नारे
नोएडा के सेक्टर-30 स्थित बाल चिकित्सालय में कर्मचारियों ने छेड़छाड़ के आरोपी तकनीशियन के समर्थन में हंगामा किया जिससे ओपीडी डेढ़ घंटे बंद रही। कर्मचार ...और पढ़ें

जागरण संवाददाता, नोएडा। सेक्टर-30 के बाल चिकित्सालय में मंगलवार को छेड़छाड़ के आरोपित तकनीशियन के समर्थन में कर्मचारियों ने करीब डेढ़ घंटे तक हंगामा और प्रदर्शन कर ओपीडी बंद करा दी। गुस्साए कर्मचारियों ने प्रबंधन के खिलाफ मुर्दाबाद के नारे करते हुए पंजीकरण सेवा भी ठप कर दी।
इस बीच मरीजों काे डॉक्टर से परामर्श लेने में दिक्कतें हुईं। सूचना पर दौड़े वरिष्ठ प्रबंधकों ने नाराज कर्मचारियों को समझाकर शांत कराया। निदेशक ने बातचीत में पीड़िता की शिकायत पर कानूनी कार्रवाई होने की हवाला दिया।
संस्थान में नाराज कर्मचारियों ने सुबह करीब नौ बजे जैसे ही हंगामा और नारेबाजी की। उसके बाद अन्य स्टाफ ने ओपीडी में जाकर डॉक्टरों से मरीजों को परामर्श देने से भी रोकने का प्रयास किया।
क्या है पूरा मामला?
आरोप था कि युवती ने तकनीशियन पर गलत आरोप लगाकर साजिश के तहत फंसाया है। उन्होंने प्रबंधन के खिलाफ मुर्दाबाद के नारे भी लगाए। ओपीडी और सभी सुविधाएं बंद कराने के बाद भड़के कर्मचारी भूतल पर पंजीकरण काउंटर के पास एकत्रित हो गए। चिकित्सा अधीक्षक डॉ. आकाश राज ने सभी कर्मचारियों को समझाने का प्रयास किया , लेकिन कोई नहीं माना।
उसके बाद सभी कर्मचारियों ने संस्थान के निदेशक से मुलाकात की। उनकी मांग की थी कि तकनीशियन को झूठे आरोप में फंसाया गया है , लिहाजा उसे पुलिस कार्रवाई से छुड़ाया जाए। इस पर निदेशक ने उन्हें कानूनी कार्रवाई का हवाला देकर समझाया।
काफी जद्दोजहद के बाद कर्मचारी शांत होकर अपने-अपने काम पर लौटे। सुबह करीब 11 बजे संस्थान में काम चालू हुआ। गौरतलब है कि किशोरी अपनी बहन के साथ रविवार दोपहर डेढ़ बजे बाल चिकित्सालय में पहुंची थी। डॉक्टर ने उसे ईसीजी कराने के लिए कहा था।
वह ईसीजी व टीएमटी के लिए आगरा निवासी तकनीशियन के पास पहुंची। कुछ देर बाद किशोरी ने तकनीशियन पर छेड़छाड़ का आरोप लगाकर हंगामा कर दिया। सूचना पर सेक्टर-20 थाना पुलिस ने आरोपित को कब्जे में लेकर जांच शुरू की।
संस्थान में कार्यरत कर्मचारियों ने तकनीशियन को छुड़ाने की मांग पर ओपीडी को प्रभावित किया। प्रदर्शन करने वालों को कानूनी कार्रवाई का हवाला देकर समझाया। इस दौरान पौने घंटे ओपीडी प्रभावित हुई। - प्रो. डॉ. अरूण कुमार सिंह- निदेशक, बाल-चिकित्सालय

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