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    CAG रिपोर्ट ने किया सत्ता के आगे नतमस्तक ग्रेनो के अफसरों का राजफाश, मायावती के कार्यकाल में किए 'गलत काम'

    Updated: Fri, 15 Aug 2025 12:48 PM (IST)

    ग्रेटर नोएडा में बसपा शासनकाल के दौरान अधिकारियों ने सत्ता के दबाव में मास्टर प्लान 2021 का उल्लंघन करते हुए बादलपुर में जमीन का अधिग्रहण किया। बफर जोन में अवैध निर्माण पर करोड़ों खर्च किए गए जबकि प्राधिकरण के पास पर्याप्त धन नहीं था। सीएजी रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ कि एनसीआर प्लानिंग बोर्ड के सुझावों को अनदेखा किया गया।

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    माया के राज में सत्ता के इशारों की धुन पर नाचे ग्रेनो के अधिकारी

    अरविंद मिश्रा, ग्रेटर नोएडा। प्रदेश में बसपा शासन काल में ग्रेटर नोएडा के अधिकारी सत्ता के इशारे पर नाचते रहे। नियम कायदों की लक्ष्मण रेखा को भी पार करने में गुरेज नहीं किया। बसपा सुप्रीमो के गांव बादलपुर में मास्टर प्लान 2021 से बाहर जाकर जमीन का अधिग्रहण किया। कैग की रिपोर्ट में यह खुलासे देख विभाग में हड़कंप मच गया है।

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    बैंक से ऋण लेने से भी परहेज नहीं किया

    यही नहीं बफर जोन में उन कार्यों पर करोड़ों रुपये खर्च दिए जो हरित बफर जोन के लिए मान्य ही नहीं थे। प्राधिकरण अधिकारियों की दरियादिली यहीं तक सीमित नहीं थी। जमीन अधिग्रहण के लिए खजाने में रकम न होने के बावजूद बैंक से ऋण लेने से भी परहेज नहीं किया। सीएजी की रिपोर्ट के बाद अधिकारियों का सत्ता के सामने नतमस्तक होने वाला चेहरा सामने आ गया है।

    मास्टर प्लान की सीमा लांघी

    ग्रेटर नोएडा के मास्टर प्लान 2021 में 124 गांव शामिल थे। बसपा सुप्रीमो मायावती के पैतृक गांव बादलपुर और सादोपुर फेज दो के मास्टर प्लान 2031 में प्रस्तावित था, लेकिन सत्ता के इशारे पर अधिकारियों ने मास्टर प्लान की सीमा को लांघ दिया। 2007 में मुख्यमंत्री के सचिव, प्राधिकरण के एसीईओ, जिला प्रशासन के अधिकारियों ने बादलपुर का दौरा किया और मास्टर प्लान से गांव के बाहर होने के बावजूद 2008-09 से 2010-11 के दौरान जमीन का अधिग्रहण किया।

    बफर जोन विकसित नहीं हुआ

    अर्जेंसी क्लाज के तहत बादलपुर गांव की 226.28 हे. व सादोपुर की 126.74 हे. जमीन का अर्जन किया गया। यह जमीन बफर जोन यानि हरित क्षेत्र विकसित करने के लिए अधिगृहीत की गई, लेकिन 12 वर्षों बाद भी इस पर बफर जोन विकसित नहीं हुआ। दाेनों गांव की 353.928 हे. जमीन के अधिग्रहण पर प्राधिकरण ने 290.60 करोड़ रुपये खर्च किए।

    जमीन अधिग्रहण को नहीं था रकम

    जमीन अधिग्रहण के प्रस्ताव के साथ जिला प्रशासन को अर्जन व प्रतिकर का दस प्रतिशत रकम देना जरूरी है, लेकिन बादलपुर व सादोपुर में जमीन अधिग्रहण के वक्त प्राधिकरण के पास दस प्रतिशत रकम 30.05 करोड़ भी खजाने में नहीं थी। केवल 17.74 करोड़ की प्राधिकरण के पास था। इसलिए अर्जन शुल्क की राशि के लिए ओबीसी से 16 करोड़ का ऋण लिया गया।

    विकास पर खर्च किए 183.38 करोड़

    प्राधिकरण ने सादोपुर और बादलपुर में विकास पर 183.38 करोड़ खर्च किए। इसमें 146.58 कराेड़ रुपये में से बारात घर के नवीनीकरण पर 0.19 करोड़, हेलिपैड के निर्माण पर 18.91 करोड़ , डा. भीमराव आंबेडकर पार्क पर 86.16 करोड़ और गौतमबुद्ध पार्क पर 41.32 करोड़ खर्च किए। शेष 36.80 करोड़ सात प्रतिशत आबादी भूखंड व उनके विकास कार्यों पर खर्च हुई।

    1532 लोग हुए प्रभावित

    जमीन अधिग्रहण से दाेनों गांव के कुल 1532 किसान प्रभावित हुए। उनका विस्थापन हुआ और भूमिहीन हो गए। मुआवजे के एवज में उन्हें 290.60 करोड़ रुपये मिले।

    एनसीआर प्लानिंग बोर्ड का मकसद नहीं हुआ पूरा

    एनसीआर प्लानिंग बोर्ड ने अतिक्रमण की आशंका को देखते हुए ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण को रेलवे लाइन से जीटी रोड तक बफर जोन बनाने का सुझाव दिया था। प्राधिकरण ने इसे मास्टर प्लान 2031 में शामिल करने का हवाला दिया था, लेकिन सत्ता के इशारे पर 2021 मास्टर प्लान के दौरान ही जमीन अधिगृहीत कर लिया। लेकिन बफर जोन विकसित नहीं किया, बल्कि पार्क, हेलिपैड आदि का निर्माण कर दिया जो बफर जोन में मान्य ही नहीं था।

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