गर्भावस्था में अनदेखी इन बीमारियों को दे सकता है जन्म, JIMS के डॉक्टरों की चेतावनी
ग्रेटर नोएडा के जीआईएमएस अस्पताल के डॉक्टरों ने पाया कि गर्भावस्था में सांस लेने में तकलीफ जैसे लक्षणों को अनदेखा करना खतरनाक हो सकता है। पांच मामलों के अध्ययन में पेरिपार्टम कार्डियोमायोपैथी एक गंभीर हृदय स्थिति की पहचान की गई। समय पर इलाज से कुछ महिलाओं की जान बचाई जा सकी लेकिन एक महिला की मृत्यु हो गई।

आशीष चौरसिया, ग्रेटर नोएडा। गर्भावस्था के दौरान सामान्य प्रतीत होने वाले लक्षणों की उपेक्षा करना गर्भवती महिलाओं के लिए अंतिम तिमाही में या प्रसव के तुरंत बाद महंगा साबित हो सकता है।
ग्रेटर नोएडा स्थित राजकीय आयुर्विज्ञान संस्थान (जीआईएमएस) के प्रसूति विभाग के डॉक्टरों ने पांच मामलों के आधार पर निष्कर्ष निकाला है कि सांस लेने में तकलीफ, असामान्य थकान, पैरों, टखनों या पेट में सूजन, तेज़ दिल की धड़कन, चक्कर आना और खांसी जैसे लक्षण पेरिपार्टम कार्डियोमायोपैथी के संकेत हैं।
जीआईएमएस के प्रसूति विभाग में देखी गई 5,000 गर्भवती महिलाओं में से पाँच मामलों में गर्भावस्था की सामान्य जटिलताएँ पाई गईं, लेकिन जाँच करने पर पता चला कि वे पेरिपार्टम कार्डियोमायोपैथी से पीड़ित थीं। यह स्थिति गंभीर और दुर्लभ दोनों है, जो हज़ार में से केवल एक में होती है।
एक केस सीरीज़ अध्ययन में पाया गया कि 22 से 30 वर्ष की आयु की महिलाएँ सबसे अधिक प्रभावित होती हैं। सभी पाँचों रोगियों में तीसरी तिमाही में हृदय गति रुकने के लक्षण दिखाई दिए। उच्च रक्तचाप सबसे आम जोखिम कारक है। समय पर बहु-विषयक उपचार से पाँच में से चार रोगियों की जान बच गई। प्रसव के दो घंटे बाद एक मरीज़ की स्ट्रोक से मृत्यु हो गई।
प्रसूति विभाग की डॉ. पिंकी मिश्रा, डॉ. रितु शर्मा और डॉ. रुचि वर्मा, पेरिपार्टम कार्डियोमायोपैथी के अध्ययन में शामिल थीं। इसमें हृदय की पंपिंग क्षमता में 45% की कमी आ जाती है। इसके लक्षण अक्सर सामान्य गर्भावस्था संबंधी जटिलताओं जैसे ही होते हैं। देर से निदान से माताओं के लिए जोखिम बढ़ जाता है।
विकसित और विकासशील दोनों देशों में हृदय रोग मातृ मृत्यु दर का एक प्रमुख कारण बना हुआ है, और यह दर लगातार बढ़ रही है। जन्मजात हृदय रोग से पीड़ित ज़्यादा महिलाएं प्रजनन आयु तक जीवित रह रही हैं। JIMS अनुसंधान विभाग के सह-नोडल अधिकारी, सहायक प्रोफेसर डॉ. देवेश शर्मा ने कहा कि संदिग्ध हृदय गति रुकने वाली गर्भवती महिलाओं की प्रारंभिक जाँच में इकोकार्डियोग्राफी को शामिल किया जाना चाहिए।
पेरिपार्टम कार्डियोमायोपैथी के लक्षण अक्सर गर्भावस्था के सामान्य शारीरिक परिवर्तनों से मिलते-जुलते हैं। इससे अक्सर निदान में देरी होती है, जिसके गंभीर परिणाम भी हो सकते हैं। यह केस सीरीज़ समय पर पहचान और उपचार के लिए प्रसूति विशेषज्ञों और प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल चिकित्सकों के बीच अधिक जागरूकता की आवश्यकता पर ज़ोर देती है।
- डॉ. पिंकी मिश्रा, प्रसूति विभाग, जेआईएमएस
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