Noida News: 17.25 लाख ने कराई पैथोलाजी जांच, रिपोर्ट लेने को नहीं पहुंचे एक लाख लोग
नोएडा के जिला अस्पताल में मुफ्त पैथोलॉजी जांच की सुविधा का दुरुपयोग हो रहा है। लाखों मरीजों ने जांच कराई लेकिन रिपोर्ट लेने नहीं आए जिससे अस्पताल पर आर्थिक बोझ बढ़ रहा है। अस्पताल ने डिजिटल व्यवस्था भी की है फिर भी कई मरीजों ने गलत नंबर दिए। सीएमएस ने डॉक्टर की सलाह पर ही जांच कराने की अपील की है ताकि अस्पताल पर आर्थिक नुकसान न हो।

सुमित शिशोदिया, नोएडा। शासन से मिलने वालीं पैथोलाजी जांच की निश्शुल्क सुविधा मरीज के साथ अस्पतालों में आने वाले उनके तीमदारों के लिए शौक का हिस्सा बनती नजर आ रही है। हालात यह है कि जिला अस्पताल प्रबंधन काे जांच के लिए आर्थिक दबाव झेलना पड़ रहा है।
अप्रैल 2024 से अगस्त 2025 तक 17.25 लाख मरीजों ने सीबीसी, ईएसआर, बीटी-सीटी, टाइफायड , ब्लड शुगर, एलएफटी, केएफटी, लिपिड प्रोफाइल, सीरोलाजी, हार्मोंस, यूरिन व प्रेग्नेंसी समेत 130 से ज्यादा जांच कराकर लाभ लिया, लेकिन एक दिन बाद रिपोर्ट लेने के समय एक लाख से ज्यादा लोगों ने अस्पताल न पहुंचकर दूरी बना ली।
अस्पताल प्रबंधन ने मरीजों की सुविधा के लिए डिजिटल व्यवस्था भी चालू की हुई है, जिसमें मरीजों के फोन नंबर से विभिन्न इंटरनेट मीडिया ऐप पर रिपोर्ट भेज दी जाती है। लेकिन, 45 हजार से ज्यादा मरीजों ने पंजीकरण काउंटर पर फोन नंबर दर्ज नहीं कराए। या फिर उनके ओपीडी पेपर पर संपर्क नंबर अधूर रहते हैं।
जिला अस्पताल में अप्रैल 2024 में 48 हजार से ज्यादा नए और पुराने मरीजों ने ओपीडी में पंजीकरण कराया जबकि पैथोलाजी जांच की सुविधा 76 हजार से ज्यादा मरीज व तीमारदारों ने ली। 2024 में सितंबर तक नए मरीज 62 हजार तक पहुंच गए।
इसी तरह पैथोलाजी जांच बढ़कर 1.21 लाख तक हो गई। अब लैब में विभिन्न तरह की जांच में प्रबंधन को 300 से दो हजार रुपये तक का खर्चा वहन करना पड़ता है। जांच में पैथोलाजी इंचार्ज व स्टाफ की मेहनत भी लगती है। मगर मरीजों द्वारा रिपोर्ट न लेने पर स्वास्थ्य विभाग को आर्थिक झटका झेलना पड़ता है।
महत्वपूर्ण तथ्य:
- अप्रैल से दिसंबर 2024 तक 9.84 लाख से ज्यादा ने कराई जांच
- 6.34 मरीजों ने पेपर रिपोर्ट एकत्रित की।
- 2.78 लाख मरीजों ने डिजिटल रिपोर्ट ली।
- 70 हजार मरीजों के फोन नंबर गलत थे या वो नहीं आए।
- जनवरी से अगस्त 2025 तक 7.40 लाख मरीजों की हुई जांच।
- 4.66 लाख से ज्यादा मरीजों ने पेपर रिपोर्ट ली।
- 2.45 लाख ने फोन पर ऐप से डिजिटल रिपोर्ट ली।
- 29.128 हजार मरीजों रिपोर्ट लेने नहीं पहुंचे या उनके फोन नंबर गलत मिले।
कई बार लोग पंजीकरण कराकर रूटिन तौर पर निश्शुल्क जांच करा लेते हैं। फिर रिपोर्ट लेने नहीं पहुंचते हैं। सभी से अपील है कि बीमार होने पर डॉक्टर के परामर्श पर ही जांच कराए । अस्पताल में आर्थिक नुकसान न होने पर शहरवासियों के लिए अन्य सुविधाएं भी बढ़ाने में मदद मिलेगी।
-डॉ. अजय राणा, कार्यवाहक, सीएमएस जिला अस्पताल
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