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    Noida News: बाढ़ राहत शिविर में बच्चों की पढ़ाई का इंतजाम, लेखपाल बनीं टीचर

    Updated: Sun, 07 Sep 2025 04:09 PM (IST)

    ग्रेटर नोएडा में यमुना नदी की बाढ़ से प्रभावित बच्चों की पढ़ाई जारी रखने के लिए जिला प्रशासन ने राहत शिविर में ही अस्थायी कक्षाएं शुरू की हैं। लेखपाल ममता और रेनू शर्मा बच्चों को पढ़ा रही हैं। टूटे दरवाजे को ब्लैकबोर्ड बनाकर शुरुआत की गई अब 100 से ज्यादा बच्चे पढ़ रहे हैं। अभिभावक भी इस पहल की सराहना कर रहे हैं।

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    बच्चों की पढ़ाई जारी रखने के लिए जिला प्रशासन ने राहत शिविर में ही कक्षाएं शुरू की हैं। फाइल फोटो

    रंजीत मिश्रा, ग्रेटर नोएडा। यमुना नदी में आई भीषण बाढ़ से करीब चार हजार परिवार प्रभावित हुए हैं। उनका जीवन अस्त-व्यस्त हो गया है। बाढ़ प्रभावित लोगों के बच्चों की पढ़ाई भी प्रभावित हुई है। इसे देखते हुए जिला प्रशासन ने राहत शिविर में ही बच्चों के लिए अस्थायी कक्षाएं चलाने का फैसला किया है।

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    इसकी जिम्मेदारी क्षेत्र में बाढ़ ड्यूटी कर रही लेखपाल ममता और रेनू शर्मा को सौंपी गई है। दोनों लेखपाल अपनी ड्यूटी के साथ-साथ बच्चों के भविष्य को संवारने में भी योगदान दे रही हैं।

    दरअसल, जिला प्रशासन ने बाढ़ प्रभावित लोगों के लिए सेक्टर-135 स्थित बारात घर में राहत शिविर की व्यवस्था की है, ताकि उनकी बुनियादी जरूरतें पूरी हो सकें। इसी बीच, प्रभावित बच्चों की पढ़ाई जारी रखने के लिए अस्थायी स्कूल चलाने की अनूठी पहल शुरू की गई है।

    एसडीएम सदर आशुतोष गुप्ता ने बताया कि सेक्टर 135 स्थित बारात घर में राहत शिविर लगाया गया है, जहां बाढ़ प्रभावित परिवारों को ठहराया गया है। इन परिवारों के बच्चों की पढ़ाई में व्यवधान की समस्या को देखते हुए, डीएम मेधा रूपम के निर्देश पर राहत शिविर में एक अस्थायी स्कूल शुरू किया गया है।

    स्कूल में लेखपाल ममता और रेनू शर्मा बच्चों को पढ़ाने की ज़िम्मेदारी संभाल रही हैं। वे कक्षा एक से आठ तक के बच्चों को विभिन्न विषय पढ़ा रही हैं।

    टूटे हुए दरवाजे को बनाया ब्लैकबोर्ड

    कहते हैं डूबते को तिनके का सहारा, कुछ इसी अंदाज़ में दोनों लेखपालों ने पहले दिन टूटे हुए दरवाज़े को ब्लैकबोर्ड बनाकर बच्चों को पढ़ाना शुरू किया। दोपहर 12 बजे से 2 बजे तक चलने वाली इस कक्षा में धीरे-धीरे बच्चों की संख्या बढ़ने के बाद, दोनों लेखपालों ने अपने खर्चे बचाकर बच्चों के लिए एक ब्लैकबोर्ड खरीदा और बच्चों को बेहतर तरीके से पढ़ाना शुरू किया। जिससे बच्चों की संख्या 100 के करीब पहुँच गई। पढ़ने वाले ज़्यादातर बच्चे चार से 10 साल की उम्र के हैं, हालाँकि कुछ बड़ी कक्षाओं के बच्चे भी हैं, जिन्हें अलग से पढ़ाया जा रहा है।

    100 से ज्यादा बच्चे ले रहे हैं शिक्षा

    राहत शिविर के इस स्कूल में हर दिन 100 से ज़्यादा बच्चे पढ़ने आ रहे हैं। लेखपाल ममता और रेनू शर्मा बच्चों को हिंदी, गणित, अंग्रेज़ी और सामान्य ज्ञान जैसे विषय मौखिक रूप से पढ़ा रही हैं। बच्चों का मनोबल बढ़ाने के लिए कहानियाँ और नैतिक शिक्षा भी दी जा रही है। शिविर में पढ़ाई के लिए किताबें, कॉपियाँ और स्टेशनरी किट भी तैयार की गई हैं। सोमवार को इन्हें बच्चों को वितरित किया जाएगा। लेखपाल ममता का कहना है कि बच्चों का भविष्य उज्ज्वल बनाने के लिए उनकी पढ़ाई जारी रखना बेहद ज़रूरी है।

    अभिभावकों को भी किया गया जागरूक

    ज़िला प्रशासन की टीम ने बच्चों की पढ़ाई के लिए अभिभावकों को भी प्रेरित किया है। इसका असर यह देखने को मिल रहा है कि दोनों लेखपालों के आते ही बच्चों की माताएँ उन्हें तैयार करके पढ़ाई के लिए भेजने लगी हैं। अभिभावकों द्वारा भी इस पहल की सराहना की जा रही है।

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