किसानों को लीजबैक के लिए करना पड़ेगा इंतजार, लीजबैक प्रकरणों की दोबारा जांच के लिए गठित हो सकती है समिति
यमुना प्राधिकरण में लीजबैक मामलों का निपटारा फिलहाल टल गया है। प्राधिकरण लीजबैक प्रकरणों की दोबारा जांच के लिए समिति गठित कर सकता है जो मामलों को गुण-दोष के आधार पर श्रेणीबद्ध करेगी। पूर्व में किसानों को 18 जून की बैठक में फैसले की उम्मीद थी लेकिन ऐसा नहीं हो पाया। अब नई समिति सैटेलाइट चित्रों से जांच कर अपनी रिपोर्ट देगी।

जागरण संवाददाता, ग्रेटर नोएडा। यमुना प्राधिकरण में किसानों को लीजबैक के लिए अभी और इंतजार करना पड़ेगा। लीजबैक प्रकरणों की दोबारा जांच के लिए समिति गठित की जा सकती है।
समिति प्रकरणों की जांच कर उसे गुण दोष के आधार पर अलग-अलग सूचीबद्ध करेगी। इसके बाद लीजबैक के प्रकरणों को बोर्ड में रखा जाएगा। लीजबैक प्रकरणों को 85 बोर्ड बैठक में विचार के लिए रखा गया था, लेकिन इसे अगली बैठक के लिए टाल दिया गया था।
यीडा की 18 जून में हुई बोर्ड बैठक में लीजबैक और शिफ्टिंग प्रकरणों को लेकर किसानों को फैसला लिए जाने की काफी उम्मीद थीं। प्राधिकरण के पूर्व सीईओ डॉ. अरुणवीर सिंह ने गांववार लीजबैक व शिफ्टिंग प्रकरणों पर सुनवाई कर प्रस्ताव तैयार कराए थे।
राजस्व संहिता व 2014 में बनी नियमावली के तहत लीजबैक के 319 प्रकरण व शिफ्टिंग के 88 प्रकरण हैं। नोएडा इंटरनेेशनल एयरपोर्ट के प्रभावित किसानों को आबादी भूखंड के लिए जारी शासनादेश में घेर, सहन आदि की तरह लीजबैक प्रकरण में भी इसे शामिल किया गया था।
लेकिन बोर्ड की 85वीं बैठक में इस पर कोई सुनवाई नहीं हो पाई। इसे अगली बोर्ड बैठक तक टाल दिया गया, जो छह सितंबर को हुई, लेकिन इस बैठक में भी लीजबैक व शिफ्टिंग के प्रकरण शामिल नहीं हो पाए।
लीजबैक प्रकरणों की दोबारा जांच के लिए समिति गठित करने की संभावना है। यह समिति सभी प्रकरणों की एक-एक कर जांच कर उनके गुण दोषों के आधार पर श्रेणी बनाएगी। जांच के लिए सैटेलाइट चित्रों को आधार बनाया जाएगा।
इसके साथ ही समिति यह भी देखेगी की किसान की कितनी संपत्ति की लीजबैक का प्रस्ताव है, नियमानुसार अधिकतम 2500 वर्गमीटर की लीजबैक हो सकती है। इसी तरह शिफ्टिंग के प्रकरणों की भी जांच होगी। 2014 के बाद लीजबैक के तीन प्रकरण ही स्वीकृत हुए हैं। इसके पहले 13 प्रकरण स्वीकृत हुए थे।
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