जमीन बेचने पर निर्माण की अनुमति, खुद के निर्माण पर कार्रवाई क्यों? नोएडा प्राधिकरण और किसानों में खींचतान शुरू
नोएडा के सोहरखा गांव में अतिक्रमण हटाने के बाद किसान और प्राधिकरण के बीच तनाव बढ़ गया है। भारतीय किसान परिषद के प्रतिनिधियों ने प्राधिकरण से किसानों पर दर्ज मुकदमे वापस लेने की मांग की है। किसानों ने आरोप लगाया है कि प्राधिकरण किसानों के साथ भेदभाव कर रहा है और उनकी जमीन पर अवैध निर्माण को बढ़ावा दे रहा है।

जागरण संवाददाता, नोएडा। सेक्टर-115 स्थित सोहरखा गांव में अतिक्रमण के खिलाफ हुई कार्रवाई के बाद प्राधिकरण व किसानों के बीच खींचतान शुरू हो गई है। सोमवार को अपर मुख्य कार्यपालक अधिकारी संजय कुमार खत्री ने भारतीय किसान परिषद के प्रतिनिधियों को आश्वासन दिया कि किसानों पर दर्ज मुकदमे वापस होंगे। इसकी कागजी प्रक्रिया को शुरू कर दिया गया है। इसके बाद आबादी निस्तारित कर किसान की जमीन पर निर्माण की अनुमति दे दी जाएगी।
बता दें कि भारतीय किसान परिषद राष्ट्रीय अध्यक्ष सुखबीर खलीफा के नेतृत्व में किसानों का प्रतिनिधिमंडल प्राधिकरण अधिकारियों के साथ वार्ता करने दाेपहर कार्यालय पहुंचा था। यहां पर दोनाें पक्षों की ओर से कराई गई एफआईआर को लेकर विस्तार से चर्चा हुई।
किसानों ने कहा कि जिस प्रकार से किसानों पर कार्रवाई की गई है, यह उचित तरीका नहीं है। यदि किसान अपनी जमीन पर निर्माण कर रहा है, उसने प्राधिकरण से मुआवजा नहीं उठाया है, तो उसके खिलाफ अतिक्रमण की कार्रवाई की जाती है, लेकिन उसी जमीन को यदि किसान किस को बेच देता है, तो उस पर आसानी से निर्माण वर्क सर्किल की ओर से करवा दिया जाता है।
उन्होंने खसरा संख्या 618 का जिक्र किया, कहा एक बीघा जमीन की रजिस्ट्री आबादी के अंदर है, लेकिन उस खसरा नंबर का निर्माण किसी अन्य खसरा नंबर पर किया जा रहा है। इस पर मौन सहमति प्राधिकरण वर्क सर्किल की ओर से दी गई है। जबकि वह निर्माण भी इसी खसरा नंबर की जमीन पर किया गया है, लेकिन का्र्रवाई किसान पर की गई, उस पर क्यों नहीं की गई। इसकी गहनता से जांच होनी चाहिए, दोषी के खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए।
किसानों ने यह भी कहा कि अतिक्रमण हटाने के दौरान प्राधिकरण की ओर से पूरे प्रकरण की वीडियो फोटोग्राफी कराई जाती है। प्राधिकरण ने आरोप लगाकर चार किसानों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया है कि चार किसान ईट लेकर अवर अभियंता व लेखपाल को पीट रहे थे।
उसकी वीडियो को सार्वजनिक किया गया, क्योंकि वहां पर चार की जगह तीन किसान थे, प्राधिकरण अधिकारी पुलिस के साथ पूरा अमला लेकर मौजूद थी लेकिन वीडियो केवल प्राधिकरण पुलिस की ओर किसानों पर लाठी मारते हुए ही वायरल हुआ।
इस दौरान उन्होंने अधिकारियों से पूछा की इस प्रकरण की जांच में जो अधिकारी दोषी थे, उन पर क्या कार्रवाई की गई है। इस पर उन्होंने आश्वासन दिया गया कि जांच रिपोर्ट के बाद जानकारी से अवगत करा दिया जाएगा। इस मौके पर अपर मुख्य कार्यपालक अधिकारी सतीश पाल, ओएसडी महेंद्र प्रसाद, महाप्रबंधक सिविल एसपी सिंह, ओएसडी इंदु प्रकाश सिंह समेत वकील सचिन, , उदल किसान नेता मौजूद रहे।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।