Noida Fake Marksheet Racket: नोएडा में फर्जी मार्कशीट गिरोह का भंडाफोड़, सरगना समेत दो गिरफ्तार
नोएडा पुलिस ने एक फर्जी मार्कशीट गिरोह का भंडाफोड़ किया है जो बेरोजगार युवाओं को 80 हजार से 2 लाख रुपये में फर्जी मार्कशीट बेचता था। सरगना अभिमन्यु गु ...और पढ़ें

जागरण संवाददाता, नोएडा। फेज-वन थाना पुलिस ने एनसीआर के युवा और बेरोजगारों को 80 हजार से दो लाख रुपये में आन डिमांड फर्जी मार्कशीट देने वाले सरगना समेत दाे को गिरफ्तार कर धोखाधड़ी का पर्दाफाश किया है। सरगना अभिमन्यु गुप्ता युवाओं का ऑनलाइन डेटा लेकर उनसे संपर्क करता था।
पुलिस ने 66 फर्जी मार्कशीट, सात माइग्रेशन सर्टिफिकेट, 22 रिज्यूम, 11 परीक्षा कापी,नौ डाटाशीट, चार फर्जी मोहर, एक इंकपैड, दो लैपटॉप, दो प्रिंटर, एक लैंडलाइन फोन, विभिन्न बैंकों की 14 चैकबुक, नगदी जमा करने की पांच पर्ची, एक पासबुक।
आठ रसीद बुक, आठ डेबिट व क्रेडिट कार्ड, विभिन्न कंपनियों के सात फोन, दो कार और नौ सिम बरामद की हैं। गिरोह के सदस्य अलग-अलग जगह आफिस किराए पर लेकर धोखाधड़ी करते थे।
सेक्टर-100 के सेंचुरी अपार्टमेंट निवासी अभिमन्यु गुप्ता गिरोह का सरगना है। वह कानपुर के थाना गोविंद नगर स्थित रतनलाल नगर का रहने वाला है। सेक्टर- 99 के एलआईजी फ्लैट का निवासी धर्मेंद्र गुप्ता को गिरफ्तार किया है। दोनों ने बीए पास की हुई है।
डीसीपी यमुना प्रसाद ने बताया कि पिछले तीन-चार साल से दोनों लोग अलग-अलग जगह आफिस खोलकर दिल्ली-एनसीआर के युवाओं को हरियाणा, दिल्ली, मेरठ समेत अन्य राज्यों के बोर्ड व विश्वविद्यालय से पढ़ाई कराने का झांसा देते थे। योजना के तहत दोनों छात्र-छात्राओं को बिना स्कूल या कॉलेज जाए मार्कशीट दिलाने के बहाने फंसाते थे।
पुलिस का दावा है कि दोनों गाजियाबाद, दिल्ली, नोएडा के 100 से ज्यादा छात्र-छात्राओं को धोखा चुके हैं। इनका सबसे आसान लक्ष्य बेराेजगार लोग होते थे। वे नौकरी के लिए इनसे विभिन्न कोर्स की मार्कशीट के लिए संपर्क करते थे। जिसकी एवज में उनसे 80 हजार से दो लाख रुपये वसूलकर एक सप्ताह मेंं मार्कशीट देने का झांसा देते थे।
पुरानी मार्कशीट के मन मुताबिक रकम वसूलते थे रकम
एसीपी स्वतंत्र कुमार सिंह ने बताया कि सीबीएसई, यूपी या अन्य कोई बोर्ड और विश्वविद्यालय की परीक्षा में फेल होने वाले छात्र-छात्राएं को दोनों शातिर जल्दी जाल में फंसाते थे। उन्हें डिस्टेंस या रेगुलर पढ़ाई की मार्कशीट दिलाने का झांसा देते थे।
फर्जी मार्कशीट बनवाने लोग लोग प्राइवेट नौकरी या फिर अपने स्वार्थ के लिए इस्तेमाल करते थे। उनके मुताबिक , दोनों शातिरों मेरठ, यूपी, दिल्ली, हरियाणा और अन्य राज्याें के शैक्षणिक बोर्ड व विश्वविद्यालयों में अच्छी जान-पहचान होने का विश्वास दिलाते थे।
सरगना अभिमन्यु अपने बैंक खाते में लोगों से पैसे ट्रांसफर कराता था जबकि महीने में मोटी रकम इकट्ठा होने पर दोनों आपस में बांट लेते थे।
मार्कशीट में हर डिविजन की रकम थी सेट
एसीपी ने बताया कि आरोपित अभिमन्यु जल्दी अमीर बनने का सपना देखता था। लिहाजा उसने लोगाें से मोटी रकम वसूलने के लिए मार्कशीट में फर्स्ट, सेकेंड और थर्ड डिविजन व मार्क्स के लिए अलग-अलग रेट तय किए हुए थे। पुलिस का दावा है कि दोनों शातिरों से मार्कशीट लेने के बाद लोगों ने सरकारी नौकरी में प्रयोग नहीं किया।
थाना प्रभारी अमित मान ने बताया कि दोनों शातिराें की सूचना मिलने पर योजना बनाकर एक पुलिसकर्मी को मार्कशीट बनवाने के लिए भेजा गया। उसने सरगना से बीएससी की मार्कशीट दिलाने की बात कही जिस पर एक मार्कशीट का 66 हजार रुपये में सौदा तय हुआ था। उसके बाद पुलिस ने दोनों को मौके पर दबोच लिया।

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