ग्रेटर नोएडा में क्यों GDP में शामिल नहीं औद्योगिक इकाइयां? अब प्राधिकरण ने सरकार से कर दी ये डिमांड
उत्तर प्रदेश सरकार 2027 तक अर्थव्यवस्था को एक ट्रिलियन डॉलर तक ले जाना चाहती है लेकिन ग्रेटर नोएडा की कई औद्योगिक इकाइयां फैक्ट्री एक्ट में पंजीकृत नहीं हैं। जटिल पंजीकरण प्रक्रिया और वैकल्पिक शाप एक्ट के कारण इकाइयां पंजीकरण से बचती हैं। प्राधिकरण ने प्रक्रिया को सरल बनाने के लिए सरकार से अनुरोध किया है ताकि अधिक से अधिक इकाइयां जीडीपी में शामिल हो सकें।

अर्पित त्रिपाठी, ग्रेटर नोएडा। उत्तर प्रदेश सरकार का लक्ष्य है कि वर्ष 2027 तक सूबे की अर्थव्यवस्था को एक ट्रिलियन डॉलर तक पहुंचाना है, लेकिन प्रदेश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में ग्रेटर नोएडा की 2700 में 2000 औद्योगिक इकाइयों के आंकड़े ही शामिल नहीं हो रहे हैं।
दरअसल 2700 में से महज 700 औद्योगिक इकाइयों ने फैक्ट्री एक्ट में पंजीकरण कराया है। प्रदेश की जीडीपी में उन्हीं औद्योगिक इकाइयों के आंकड़े शामिल होते हैं जो फैक्ट्री एक्ट में पंजीकृत होते हैं।
फैक्ट्री एक्ट में इतनी बड़ी संख्या में औद्योगिक इकाइयों का पंजीकरण न कराने का सबसे बड़ा कारण एक्ट में पंजीकरण कराने की जटिल प्रक्रिया है। फैक्ट्री एक्ट में पंजीकरण कराने के लिए 19 सर्टिफिकेट के लिए आवेदन करना पड़ते हैं।
इनमें से कई एनओसी प्राधिकरण को आवंटन के दौरान ही जमा करने पड़ते हैं। जटिल प्रक्रिया होने और शाप एक्ट का विकल्प होने के कारण इकाइयां फैक्ट्री एक्ट में पंजीकरण ही नहीं कराती हैं।
वहीं कारखाना विभाग की ओर थर्ड पार्टी के जरिये सत्यापन कराया जाता है, इसमें कई तरह के रुकावटें और उद्यमियों का समय बर्बाद होता। प्राधिकरण में आवेदन के दौरान जो एनओसी व सर्टिफिकेट लगाए जाते हैं, उनका भी सत्यापन होता, जिसे कई बार खारिज कर दिया जाता है।
यही सब कारणों से फैक्ट्री एक्ट में पंजीकरण कराने के उद्यमी बचते हैं। पिछले दिनों ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण ने फैक्ट्री एक्ट में पंजीकरण के लिए कैंप लगाया था, जहां ये सभी खामियां सामने आईं थीं। इसके बाद प्राधिकरण ने कारखाना विभाग के प्रमुख सचिव को पत्र लिख पंजीकरण की प्रकिया को सरल बनाने का अनुरोध किया था।
पांच से अधिक श्रमिक तो पंजीकरण कराना अनिवार्य
आइईए के अध्यक्ष संजीव शर्मा ने बताया कि यदि फैक्ट्री का संचालन कर रहे हैं और पांच से अधिक श्रमिक काम कर रहे हैं, तो फैक्ट्री एक्ट में पंजीकरण कराना अनिवार्य है। हालांकि उद्यमी शॉप एक्ट में पंजीकरण करा लेते हैं।
शाप एक्ट के तहत 20 या उससे कम श्रमिक हैं तो शॉप एक्ट में पंजीकरण करा सकते हैं। फैक्ट्री एक्ट में पंजीकरण का लाभ इतना है कि सरकार द्वारा पांच वर्ष तक नियोक्ता और कर्मचारी दोंनो का पीएफ जमा किया जाता है।
फैक्ट्री एक्ट में पंजीकरण कराने पर कामगारों को बैंक खाते में वेतन देना अनिवार्य है, लेकिन कई कामगार नगद पर ही काम करने को तैयार होते हैं। छोटी इकाइयों में श्रमिक कई कई दिन अवकाश पर चले जाते हैं, ऐसे में नियमित तौर पर श्रमिक बदलते रहते हैं।
फैक्ट्री एक्ट में पंजीकरण होने पर सभी श्रमिकों की पूरी जानकारी देने होती है। नए श्रमिक के आने पर फिर पूरी प्रक्रिया अपनानी पड़ती है, जिसमें समय और पैसे बर्बाद होते हैं।
फैक्ट्री एक्ट में पंजीकरण कराने पर इकाई की खुद की एंबुलेंस, जो मैप है उसी के मुताबिक निर्माण, श्रमिकों को कई तरह के प्रोत्साहन आदि की सुविधा देनी होती है। यही कारण है कि छोटी इकाइयां शाप एक्ट में पंजीकरण कराती हैं।
पिछले दिनों उद्यमियों के लिए फैक्ट्री एक्ट में पंजीकरण कराने के लिए शिविर लगाया गया था। उस दौरान उद्यमियों ने जटिल प्रक्रिया की समस्या रखी थी। उच्चाधिकारियों ने कारखाना विभाग के प्रमुख सचिव से प्रक्रिया सरल करने का अनुरोध किया है।
सौम्य श्रीवास्तव, एसीईओ, ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण

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