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    डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर से यूपी के उद्योग को मिली रफ्तार, किसानों के लिए खुलेंगे समृद्धि के द्वार

    Updated: Tue, 16 Sep 2025 11:14 AM (IST)

    डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर (डीएफसी) परियोजना उत्तर प्रदेश के विकास को गति दे रही है। डीएफसीसीआईएल के प्रबंध निदेशक ने राज्यपाल और मुख्यमंत्री से मिलकर परियोजना की प्रगति और लाभों की जानकारी दी। यह परियोजना किसानों और उद्योगों के लिए नए अवसर खोलेगी लॉजिस्टिक लागत को कम करेगी और रोजगार के अवसर प्रदान करेगी।

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    लखनऊ में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को कॉफी टेबल बुक सौंपते डीएफसी के अधिकारी।

    जागरण संवाददातता, ग्रेटर नोएडा। उत्तर प्रदेश की औद्योगिक और कृषि अर्थव्यवस्था को देश के बंदरगाहों से सीधे जोड़कर डेडिकेटेड फ्रेट कारिडोर (डीएफसी) परियोजना प्रदेश के विकास को नई गति दे रहा है।

    डीएफसीसीआइएल के प्रबंध निदेशक प्रवीण कुमार के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल ने राज्यपाल आनंदीबेन पटेल और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मुलाकात कर उन्हें कॉफी टेबल बुक भेंट की। इस दौरान प्रदेश में परियोजना की प्रगति और इसके दूरगामी लाभों से अवगत कराया। राज्य के किसानों, उद्यमियों और युवाओं की नई उम्मीदें के विषय में भी बताया।

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    राजभवन में हुई बैठक में डीएफसीसीआइएल के सीजीएम-प्रयागराज एबी सरन और जीजीएम सुरक्षा ईडीएफसी आशीष मिश्रा भी मौजूद रहे। प्रवीण कुमार ने राज्यपाल को बताया कि केंद्र की यह परियोजना राज्य सरकार के सहयोग से प्रदेश की तस्वीर बदलने के लिए पूरी तरह तैयार है।

    इससे सबसे अधिक लाभ गौतमबुद्ध उद्योग, कानपुर के चमड़ा उद्योग, अलीगढ़ के ताला उद्योग, फिरोजाबाद के कांच उद्योग और भदोही के कालीन उद्योग जैसे पारंपरिक औद्योगिक क्लस्टरों को लाभ मिलेगा। अभी तक इन उद्योगों को अपना माल बंदरगाहों तक भेजने में सड़क मार्ग का प्रयोग करना पड़ता था। इससे काफी समय लगता था।

    डीएफसी के माध्यम से कम समय और सुरक्षित तरीके से पहुंचाया जा सकता है। डीएफसी के पूरी तरह चालू होने से एक तिहाई समय पर पहुंच जाएगा। इससे न केवल हमारी लाजिस्टिक लागत घटेगी, बल्कि हम वैश्विक बाजार में और अधिक प्रतिस्पर्धी बन सकेंगे।

    यह कॉरिडोर सिर्फ उद्योगों के लिए ही नहीं, बल्कि राज्य के करोड़ों किसानों के लिए भी समृद्धि के नए द्वार खोलेगा। ‘किसान रेल’ जैसी पहल के माध्यम से किसान अपने फल, सब्जी और अन्य कृषि उत्पादों को बिना खराब हुए सीधे मुंबई, कोलकाता और गुजरात के बड़े बाजारों तक भेज सकेंगे। इससे उन्हें अपनी उपज का बेहतर मूल्य मिलेगा और बिचौलियों पर निर्भरता कम होगी।

    परियोजना का एक महत्वपूर्ण केंद्र प्रयागराज में स्थापित अत्याधुनिक ऑपरेशन कंट्रोल सेंटर (ओसीसी) है, जो पूरे कॉरिडोर के लिए ‘नर्व सेंटर’ का काम कर रहा है। इसके अलावा, कॉरिडोर के किनारे बन रहे लाजिस्टिक्स हब, औद्योगिक क्लस्टर व रोजगार के अवसरों के विकास से संतुलित क्षेत्रीय विकास से संतुलित क्षेत्रीय विकास को गति मिलेगी। डीएफसी भारत की विकसित भारत 2047 की परिकल्पना में एक प्रमुख साधन के रूप में उभर रहा है।