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    Noida News: रोबोटिक्स एआई में गांव के बच्चे हो रहे निपुण, दरवाजे तक पहुंच रहा स्कूल

    नोएडा में छाया शर्मा पिछले नौ सालों से उषाकिरण संस्थान के माध्यम से बच्चों को शिक्षित कर रही हैं। वह कंप्यूटर एआई रोबोटिक्स जैसे कौशल में मुफ्त प्रशिक्षण दे रही हैं। शिक्षा गाड़ी के माध्यम से गांवों में कचरा बीनने वाले बच्चों को भी शिक्षा प्रदान की जा रही है जिससे हर दिन लगभग दो सौ बच्चे लाभान्वित हो रहे हैं। उनका लक्ष्य है कि गांव-गांव तक शिक्षा पहुंचे।

    By Chetna Rathore Edited By: Abhishek Tiwari Updated: Thu, 14 Aug 2025 10:15 AM (IST)
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    दीवार पर पेंटिंग करते विद्यार्थी। फोटो सौजन्य- छाया शर्मा

    चेतना राठौर जागरण, नोएडा। शहर के बीच बसे गांव में बच्चों को शिक्षित बनाने और उनमें स्किल्स विकसित करने के लिए कक्षाएं लगाई जा रही हैं। ऐसी स्किल्स को सीखने के लिए बच्चों को बड़े-बड़े संस्थानों में पढ़ाया जाता है।

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    वही स्किल्स की कक्षाएं गांव के बच्चे सीख होनहार बन रहे हैं। स्किल्स कोर्स में बच्चों को कंप्यूटर,एआइ,रोबोटिक्स,समय प्रबंधन,पेंटिंग एवं ड्राइंग आदि में निश्शुल्क प्रशिक्षित किया जा रहा है। शहदरा, कुलेसरा, याकुबपुर, नयागांव, इलाबास, गढ़ी गावं के बच्चों को हाईटेक बनाया जा रहा है। ऐसे बच्चों को भी स्किल्स सिखाई जा रही हैं, जिन्होंने कभी विद्यालयों की कक्षाओं में पढ़ाई नहीं की है।

    बता दें बच्चों के जीवन को संवारने के लिए छाया शर्मा नौ सालों से काम कर रहीं है। छाया उषाकिरण संस्थान का संचालन करती हैं। वे अब तक पांच हजार बच्चों को स्कूल में प्रवेश करा चुकी हैं। बच्चों को स्कूली शिक्षा देने के साथ उनकी स्किल्स को भी विकसित कर रही हैं। साथ ही परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक न होने के कारण बच्चों की पढ़ाई छूट गई थी,उन्हें प्रवेश दिलाकर शिक्षित कर रही हैं।

    गांव-गावं पहुंच कर ही शिक्षित

    शाहदरा, नयागांव, गढ़ी, कुलेसरा में ''पहियों पर शिक्षा'' गाड़ी गांव में पहुंच कचरा बीनने वाले बच्चों को शिक्षित कर रही हैं। गाड़ी हार्न सुनकर बच्चे घेर कर खड़े हो जाते हैं। इसके माध्यम से शिक्षा को बच्चों के दरवाज़े तक पहुंचा रही हैं।

    चार घंटे रोजाना गाड़ी से पहुंचकर शिक्षक गांव में ही कक्षाएं लगाते हैं। चार घंटे की कक्षा में हर दिन दो सौ बच्चे शिक्षित हो रहे हैं। गाड़ी पहुंचते ही दिनभर कचरा बीनने वाले बच्चे झुंड में बैठकर पढ़ाई करते हैं। पढ़ने की इतनी ललक होती है कि गाड़ी पहुंचने से पहले ही बच्चे बैठ इंतजार करते हैं।

    बच्चों को पढ़ाने का सपना था,अब बच्चों को स्कूली शिक्षा देने के बाद कालेज तक के सफर में उनका साथ दे रहे हैं। गावं तक शिक्षा पहुंचाना है।

    -छाया शर्मा, संस्थापक,ऊषाकिरण,नोएडा