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    Traffic Challan: नोएडा में कैसे होगा हजारों चालानों का निपटारा? 80 प्रतिशत लोगों ने नहीं दिया प्रार्थना पत्र

    Updated: Thu, 18 Sep 2025 10:37 AM (IST)

    नोएडा में चालान माफी के बाद भी 80% वाहन चालकों ने निरस्तीकरण के लिए आवेदन नहीं किया है जिससे परिवहन विभाग पर दबाव बढ़ गया है। 2017 से 2021 तक के लंबित 26669 चालानों को हटाने के लिए विभाग प्रयासरत है लेकिन वाहन चालकों के प्रार्थना पत्र की कमी से परेशानी हो रही है। एआरटीओ प्रशासन ने एक महीने में निस्तारण का आश्वासन दिया है।

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    हजारों वाहन चालकों को चालान रद होने से राहत मिलेगी। फाइल फोटो

    प्रवेंद्र सिंह सिकरवार, नोएडा। चालान माफ होने के बाद भी हजारों वाहन चालक इनको पोर्टल से हटाने या शून्य करने के लिए परिवहन विभाग में प्रार्थना पत्र नहीं दे रहे हैं। शासन ने वर्ष 2017 से 2021 तक के डिजिटल चालान शून्य करने के आदेश दिए थे।

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    परिवहन विभाग ने इन पांच वर्षों में जो चालान किए उनके करीब 20 प्रतिशत ही पोर्टल से हटे हैं। बकाया चालान अब विभाग को एक महीने में पोर्टल से हटाकर शून्य करने हैं। यह विभाग के सामने अब चुनौती हो गई है।

    वाहन चालक के प्रार्थना पत्र देने पर ही यह चालान हटाए जा रहे हैं। विभाग अधिकारियों के अनुसार अन्य कोई दूसरा विकल्प नहीं हैं। बता दें परिवहन विभाग की ओर से 2017 से 21 तक पांच वर्ष में 33854 चालान किए। यह चालान आरटीए (रीजनल ट्रांसपोर्ट अथारिटी), एसटीए (स्टेट ट्रांसपोर्ट अथारिटी) और न्यायालय में यह चालान लंबित रहे।

    विभाग को 7225 वाहन मालिकों ने प्रार्थना पत्र देकर इन सभी चालानों को शून्य कराया। इसके बाद भी 26669 चालान आरटीए, एसटीए और न्यायालय में लंबित हैं। बीते दिन परिवहन आयुक्त के जारी हुए आदेश के अनुसार पांच वर्ष की अवधि के सभी चालकों को निरस्त कर पोर्टल से हटाकर शून्य करना है।

    विभाग के पास वाहन मालिकों के प्रार्थना पत्र के अलावा इनको पोर्टल से हटाने का कोई दूसरा विकल्प नहीं हैं। कई वाहन चालकों के अपडेट कराए नंबर बदल चुके हैं। ऐसे में बिना नंबर के विभाग का वाहन मालिकों के पास पहुंचना भी मुश्किल हो रहा है।

    एआरटीओ प्रशासन डॉ. सियाराम वर्मा ने बताया कि एक माह में सभी चालानों को निस्तारित कर दिया जाएगा। वाहन मालिक प्रार्थना पत्र आकर देंगे तो बिना देरी के इनको पोर्टल से हटाया जा रहा है। प्रार्थना पत्र के अलावा अन्य कोई दूसरा रास्ता नहीं है।