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    क्या नोएडा में मिडिल क्लास वाले नहीं खरीद पाएंगे घर? इस बड़ी वजह ने घुमाया लोगों का दिमाग

    Updated: Wed, 24 Sep 2025 10:50 AM (IST)

    नोएडा में मध्यम वर्ग के लिए घर का सपना अधूरा है क्योंकि प्राधिकरणों ने 15 सालों से कोई सस्ती हाउसिंग स्कीम नहीं निकाली। उद्योगों के विकास के बावजूद आवास की कीमतें आसमान छू रही हैं जिससे लोग अवैध कॉलोनियों में घर खरीदने को मजबूर हैं। बैंकों की सख्त शर्तें भी लोन लेने में बाधा बन रही हैं और प्राधिकरण की अनदेखी से स्थिति और भी गंभीर हो गई है।

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    नोएडा शहर की हाई-राइज इमारतों का नजारा। (सांकेतिक तस्वीर सौ.- जागरण ग्राफिक्स)

    प्रवेंद्र सिंह सिकरवार, नोएडा। चमचमाती हाई-राइज इमारतें, बहुराष्ट्रीय कंपनियों के दफ्तर और एक्सप्रेसवे की रौनक के बीच गौतमबुद्ध नगर जिले का एक चेहरा अभी ओझल है। यह चेहरा जो सपनों से भरा है, लेकिन हकीकत में आंसुओं से तरबतर। यहां के निम्न और दुर्लब आय वर्ग के लिए सस्ते घरों का सपना आज भी अधूरा है।

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    बीते 20 वर्षों में उद्योगों की बाढ़ आई, लाखों नौकरियां पैदा हुईं, लेकिन आशियाने की कीमतें आसमान छूने लगीं। लोगों ने मजबूरी में अवैध कॉलोनियों की तरफ रुख किया। यहीं कारण है कि जिले में अवैध कॉलोनियों का जाल इस कदर फैल गया कि यह अब विकास का दुश्मन बन चुकी हैं। गौतमबुद्ध नगर में बीते पांच वर्ष में उद्योगों की 119120 यूनिट स्थापित हुईं। इनसे 1353236 लोगों को रोजगार मिला।

    15 साल से नहीं निकली सस्ती हाउसिंग स्कीम

    कुल रोजगार प्राप्तकर्ताओं में आठ लाख करीब न्यूनतम वेतनकर्मी हैं। इनकी मासिक आय 10 से 20 हजार रुपये के बीच में हैं। दूसरे शहरों से यह रोजगार और बेहतर जीवन के तलाश में यहां तक पहुंचे। रोजगार का सपना तो पूरा तो हुआ, लेकिन घर का सपना पूरा होते नजर नहीं आ रहा है। नोएडा, ग्रेटर नोएडा और यमुना प्राधिकरण ने सस्ती हाउसिंग स्कीम बीते 15 वर्षों में नहीं निकाली।

    आवसीय भूखंड बिल्डरों को आवंटित किए। बिल्डरों ने घरों की कीमत को आसमान पर पहुंचा दिया। दो कमरे के फ्लैट की कीमत गौतमबुद्ध नगर की किसी भी हाउसिंग परियोजना में 50 लाख रुपये से कम की नहीं हैं।

    कम वेतनभोगी इतनी महंगी दर पर घर नहीं खरीद सकते। इसका फायदा कॉलोनाइजरों ने उठाया। कामगारों ने सस्ते घर अवैध कॉलोनाइजरों से डूब क्षेत्र में खरीदने शुरू किए। नोएडा-ग्रेटर नोएडा में अवैध रूप से एक लाख से अधिक भूखंड और दो लाख से अधिक फ्लैट बेचे जा चुके हैं।

    नोएडा के छिजारसी के पास हरनंदी के डूब क्षेत्र में बने मकान। जागरण

    बैंकों की सख्त शर्तें, आम आदमी लोन से दूर

    बीते एक दशक में सस्ते घरों की कमी ने कामगारों को सड़क पर या अवैध कालोनी की ओर धकेल दिया। प्रधानमंत्री आवासीय योजना के तहत तहत सब्सिडी (2.67 लाख तक) मिलने के बावजूद, बैंकों की सख्त शर्तें और बढ़ती ब्याज दरें (8.5 प्रतिशत से ऊपर) आम आदमी को लोन से दूर रखती हैं। उद्योगों की बात करें तो गौतमबुद्ध नगर इंडस्ट्रियल है। प्रदेश का 25 प्रतिशत राजस्व यहीं से आता है।

    नोएडा प्राधिकरण ने नहीं लॉन्च की स्कीम

    नोएडा प्राधिकरण ने बीते एक दशक में सस्ते हाउसिंग की स्कीम लॉन्च नहीं की। जिन फ्लैटों की बिक्री नहीं हुई उनकी नीलामी हुई। नीलामी में भी उच्च वर्ग ने इनको ऊंची बोली लगाकर खरीदा। इस तरह से यहां पर भी घर आम लोगों की बजट से बाहर निकल गए।

    ग्रेटर नोएडा में 16 वर्ष से इंतजार

    ग्रेटर नोएडा में आबादी और उद्योग तेजी से बढ़े। प्राधिकरण ने वर्ष 2009 में यहां पर सस्ती हाउसिंग स्कीम आखिरी बार निकाली थी। इसके बाद से यहां पर सस्ते घरों का इंतजार है। सस्ती स्कीम में खरीदे घरों को लोग दो से ढा़ई गुनी अधिक कीमत बेच रहे हैं।

    विचार चल रहा, लेकिन धरातल पर शून्य

    यमुना प्राधिकरण ने 3034 उद्योगों को भूखंड आवंटन किया। करीब 34 उद्योग शुरू हो चुके हैं। यहां कामगार और कर्मचारियों के लिए 30 वर्ग मीटर की भूखंड स्कीम निकाली। अब बीते दो वर्ष से 30 वर्गमीटर की भूखंड स्कीम बोर्ड में मंजूरी होने के बाद भी धरातल पर नहीं उतारी जा सकी।

    क्या बोले लोग?

    दिल्ली से आकर यहां शिफ्ट हुए थे। पता नहीं था जो घर बने हैं वह प्राधिकरण के अधिसूचित क्षेत्र में अवैध बनाए गए हैं। यह बडा घोटाला है।

    -अमर्त्य सिन्हा

    घरों की कीमतें आसमान छू रहीं हैं। जिले में कम आय के वर्ग के लोग सबसे अधिक है। तीनों प्राधिकरण को इनके लिए सस्ती हाउसिंग स्कीम देनी चाहिए।

    - अनुभव दुबे