Yamuna Flood: यमुना नदी में बाढ़ से हाहाकार, जेवर में सैकड़ों बीघा फसल पानी में डूबी
यमुना नदी में आई बाढ़ ने जेवर के किसानों को भारी नुकसान पहुंचाया है। सैकड़ों बीघा फसलें पानी में बह गईं जिससे किसानों के भविष्य के सपने टूट गए। किसानों को झोपड़ियों से सामान निकालने का भी मौका नहीं मिला। परमल लौकी और कद्दू की फसलें पूरी तरह से बर्बाद हो गईं जिससे किसानों को भारी आर्थिक नुकसान हुआ है।
मनोज कुमार शर्मा, जेवर। यमुना में सोमवार तड़के आई बाढ़ ने किसानों के अच्छी पैदावार को लेकर चित पर सज रहे भविष्य के अरमानों पर पलभर में पानी फेर दिया। रविवार शाम से सोमवार शाम तक शनिवार को बढ़ा जलस्तर कम हो रहा था किसानों ने भी राहत की सांस ली थी।
अचानक मंगलवार तड़के एकदम तेजी से पानी का जलस्तर बढ़ना शुरू हुआ और किसानों की सैकड़ों बीघा सब्जी की फसल को अपने आगोश में ले लिया। किसान जबतक अपने आप को संभाल पाते तबतक बाढ़ का पानी उनकी झोपड़ी में रखे समान और फसलों की बेल अपने साथ बहाकर ले गया। सबकुछ लुटाने के बाद दिन निकलने पर किसान आंखो में आंसू लिए किसी तरह किनारे पर पहुंचे।
जेवर क्षेत्र में कानीगढ़ी से लेकर पूरन नगर तक यमुना किनारे से लेकर पुश्ता तक क्षेत्रीय किसानों के अलावा बाहर से आकर किसान पेसगी पर खेती लेकर सब्जी की पैदावार करते हैं। इस समय किसानों ने परमल, लौकी और कद्दू की फसलें लगाई हुई थी।
ज्यादातर किसान फसलों की रखवाली के लिए खेतों पर पर झोपड़ी बनाकर दिनरात वहीं रहते हैं। आबादी से दूर होने की वजह से खाने पीने और रहन सहन का समान भी झोपड़ियों में रखते हैं। मंगलवार तड़के अचानक तेजी से बढ़े यमुना के जलस्तर ने किसानों को संभलने का मौका नहीं दिया।
पानी किसानों की झोपड़ियों में रखे समान को अपने साथ बहा ले गया। सैकड़ों बीघा जमीन पर लगी सब्जी की फसल में फल भी पानी के साथ बहते चले गए। बेबस किसान अपनी बर्बादी का मंजर अपनी आंखों से असहाय देखने के लिए मजबूर बने रहे।
बाढ़ प्रभावित किसानों के द्वारा बताई गई व्यथा
किसानों से पेसगी (फसल उगाने के लिए एक साल तक पैसों से जमीन लेना) पर 90 बीघा जमीन ली थी। 50 बीघा में परमल और 40 बीघा में लौकी और कद्दू की फसल लगाई थी। इस बार काफी अच्छी फसल तैयार होने से अच्छी आमदनी की उम्मीद भी थी। परिवार की कई जरूरतों को पूरा करने के अरमान पाले हुए थे लेकिन बाढ़ ने सबकुछ बर्बाद कर गई।
- ओमकार नाथ पूरन नगर
चार बीघा में परमल और पशुओं के लिए हरे चारे के लिए लगभग 5 बीघा में ज्वार बो रखी थी। यमुना में आई बाढ़ ने परमल की फसल को पूरी तरह से बर्बाद कर दिया। ज्वार भी पानी में डूबी हुई है। यदि दो दिन में जलस्तर कम नहीं हुआ तो धान,ज्वार और सब्जी सभी फसलें खत्म हो जाएंगी।
- महेश शर्मा
हाथरस से जेवर आकर बटाई पर फसल लेकर सब्जी लगाई थी। दिल्ली गुरुग्राम के नजदीक होने की वजह से सब्जी की अच्छी कीमत मिलने की आस लेकर फसल लगाई थी लेकिन सारी महनत बाढ़ के पानी में बह गई। अभी फसल तैयार हुई थी लागत भी वापस नहीं हो पाई।
- सोनू कुमार मिर्जापुर हाथरस
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।