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    Noida Flat Registry: फ्लैट खरीदारों को भूले बिल्डर, पहली किस्त जमा करने के बाद खुद उठा रहे सारे लाभ

    Updated: Thu, 04 Sep 2025 11:59 AM (IST)

    नोएडा में फ्लैट खरीदारों को राहत मिलने में देरी हो रही है क्योंकि बिल्डरों ने प्राधिकरण खाते में दूसरी और तीसरी किस्त जमा नहीं कराई है। प्राधिकरण ने कम्प्लीशन सर्टिफिकेट रोक दिए हैं जिससे हजारों फ्लैटों की रजिस्ट्री अटक गई है। बिल्डरों ने कोविड काल का लाभ उठाया लेकिन खरीदारों को पूरा लाभ नहीं मिला। अब प्राधिकरण बिल्डरों को नोटिस भेजने की तैयारी कर रहा है।

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    प्रतीकात्मक तस्वीर का इस्तेमाल किया गया है।

    कुंदन तिवारी, नोएडा। शासन की ओर से फ्लैट खरीदारों के हित में बिल्डरों को ब्याज में राहत दी गई थी। इसके बावजूद बिल्डर खरीदारों की रजिस्ट्री करने के लिए आगे नहीं आ रहे है। बिल्डरों ने प्राधिकरण खाते में पहली किस्त जमा कर इतिश्रि कर ली।

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    दूसरी व तीसरी किस्त का भी समय गुजर गया, लेकिन उन्होंने जमा नहीं कराई। किस्त नहीं मिलने पर प्राधिकरण ने बिल्डरों को दिए जाने वाले कम्प्लीशन सार्टिफिकेट (अधिभोग प्रमाण पत्र) को रोक दिया है। इससे नोएडा में 17665 फ्लैट खरीदारों को रजिस्ट्री अटक गई है।

    शासन ने जो छूट अमिताभ कांत समिति की सिफारिशो के बाद बिल्डरों दी थी, उसकी समय सीमा भी दिसंबर में समाप्त होने जा रही है। इसका लाभ फ्लैट खरीदारों को पूरी तरह से नहीं मिल सका है। यह लाभ बिल्डरों की मनमानी की वजह से नहीं मिला है।

    बिल्डरों ने पहली किस्त जमा कर अपनेे सभी लाभ तो हासिल कर लिया, फ्लैट खरीदारों को संपूर्ण लाभ से दूर रखा गया। प्रथम किस्त लेने के बाद 35 बिल्डरों को 5536 फ्लैट खरीदारों की रजिस्ट्री कराने की अनुमति प्राधिकरण ने दी थी, लेकिन बिल्डरों ने सिर्फ 3379 फ्लैट खरीदारों की ही रजिस्ट्री कराई है।

    इस दौरान नोएडा प्राधिकरण के ग्रुप हाउसिंग विभाग की लापरवाही भी सामने आई है, क्योंकि उन्होंने समय रहते बिल्डरों पर कार्रवाई नहीं की। यदि प्राधिकरण का ग्रुप हाउसिंग विभाग समय रहते बिल्डरों पर नकेल कसता तो यह दिक्कत नहीं आती।

    एक वर्ष में 13,639 होम बायर्स की रजिस्ट्री हो जाती। बिल्डरों की दूसरी किस्त बकाया होने पर ही ग्रुप हाउसिंग विभाग को वित्त विभाग से नोटिस जारी कराया जाना चाहिए था, लेकिन तीसरी किस्त बाकी होने के बाद अब नोटिस जारी करने की प्रक्रिया प्राधिकरण में शुरू हो रही है।

    बिल्डरों ने यह लाभ लिया

    • शासनादेश की आड़ में बिल्डरों ने एक अप्रैल 2020 से 31 मार्च 2022 तक समय को कोविड काल मान जीरो पीरियड का लाभ लिया है।
    • बिल्डरों ने कुल बकाए का मार्जिनल कास्ट आफ फंड्स-बेस्ड लेंडिंग रेट (एमसीएलआर) के हिसाब से गणना करवाई। इसके बाद आर्थिक बोझ का हवाला देकर 25-25 प्रतिशत की चार किस्त बनवाई। यह किस्त भी बिल्डरों को छह छह माह में प्राधिकरण के खाते में जमा करनी थी।
    • पहली किस्त जमा करने के बाद 12 बिल्डरों ने नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) की ओर से वर्ष 2011-2013 के बीच निर्माण पर लगी रोक के दौरान का प्रभावित निर्माण पर 78 दिन का जीरो पीडियड लाभ लिया।

    1.65 लाख फ्लैट्स अटके हुए

    नोएडा-ग्रेटर नोएडा में 1.18 लाख करोड़ रुपये के 1.65 लाख फ्लैट्स अटके हुए हैं। यह हाउसिंग प्रोजेक्ट्स 2014 के पहले लांच हुए थे। इनका लेकर अमिताभ कांत समिति ने अपनी सिफारिशों को लागू कराया है।

    शासनादेश के बाद बिल्डर-बायर्स की स्थिति 

            वर्ग                     संख्या

    • कुल डिफाल्टर- 57 बिल्डर
    • 25 प्रतिशत राशि जमा प्राधिकरण खाते में जमा कराई : 35 बिल्डर
    • बिल्डरों ने आंशिक राशि प्राधिकरण खाते में जमा कराई : 12 बिल्डर
    • प्राधिकरण में बकाया राशि जमा नहीं कराई : 04 बिल्डर
    • बकाया जमा करने की सहमति नहीं दी-06 बिल्डर

                  वर्ग                   संख्या

    • 57 परियोजना में अपंजीकृत फ्लैट : 21034
    • 25 प्रतिशत राशि जमा के बाद फ्लैट रजिस्ट्री की अनुमति : 5536
    • अब तक कराई गई फ्लैटों की रजिस्ट्री : 3379
    • पहली किस्त के रूप में जमा 25 प्रतिशत राशि : 530 करोड़
    • आंशिक रूप में जमा कराई गई राशि : 25.38 करोड़
    • अब तक बिल्डरों ने कुल जमा कराई राशि : 720 करोड़

    शासनादेश के अनुसार बिल्डरों को कुल बकाया की छह-छह माह में 25-25 प्रतिशत की चार किस्त चुकानी थी। अक्टूबर में एनजीटी पर लिया गया लाभ भी समाप्त होने वाला है लेकिन प्रथम किस्त के बाद बिल्डर बकाया राशि की किस्त जमा नहीं करवा रहे है। बिल्डरों को अब नोटिस भेजने की प्रक्रिया शुरू हो रही है।

    -वंदना त्रिपाठी, अपर मुख्य कार्यपालक अधिकारी, नोएडा

    अमिताभ कांत कमेटी की सिफारिश के अनुरूप सभी बिल्डर अपनी किस्तें जमा कर रहे हैं। क्रेडाई ने प्राधिकरण से डाटा देने के लिए कहा है। इससे पता चल सके कि कौन-कौन से बिल्डर अपनी किस्तें लगातार जमा कर रहे हैं, किन्हें परेशानी आ रही है। डाटा मिलने के बाद यदि यह सामने आता है कि कुछ डेवलपर्स किस्तें जमा नहीं कर रहे हैं तो उनसे बात कर समस्या का समाधान निकाला जाएगा।

    -दिनेश गुप्ता, अध्यक्ष, क्रेडाई वेस्टर्न यूपी

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