एमएसपी पर छह दिन से हो रही धान की खरीदारी, नोएडा में अफसरों ने नहीं खोले क्रय केंद्र
गौतमबुद्धनगर जिले में सरकारी धान क्रय केंद्रों के अभाव में किसान परेशान हैं। 1 अक्टूबर से सरकारी खरीद शुरू होने के बावजूद जिले में कोई क्रय केंद्र नहीं खुला है जिससे किसान प्राइवेट मंडियों में कम दाम पर धान बेचने को मजबूर हैं। विपणन विभाग को तीन क्रय केंद्र खोलने का लक्ष्य मिला था जो अभी तक शुरू नहीं हो सका है।

गजेंद्र पांडेय, ग्रेटर नोएडा। सरकार की मंशा किसानों को उनकी उपज का न्यूनतम समर्थन मूल्य उपलब्ध कराने की है। फिर भी जिम्मेदार अधिकारी किसानों को याेजनाओं का लाभ पहुंचाने में लापरवाही बरत रहे हैं।
शासन ने एक अक्टूबर से प्रदेश के सभी जिलों में एमएसपी पर किसानों से धान खरीदारी शुरू करा दी है, लेकिन जिले के किसानों को इसका लाभ नहीं मिल पा रहा है। वजह छह दिन बीतने के बाद भी जिले में किसानों से एमएसपी पर धान की खरीदारी करने एक भी सरकारी क्रय केंद्र नहीं खुला है। मजबूरन किसानों को प्राईवेट मंडियों में आढ़ैतियों के हाथों औने-पौने मूल्य पर धान बेचना पड़ रहा है।
इस बार शासन ने गौतमबुद्धनगर जिले में एमएसपी पर 1000 क्विंटल धान की खरीदारी करने का लक्ष्य निर्धारित किया है। किसानों से धान खरीदारी की जिम्मेदारी विपणन विभाग को मिली है। विभाग को दादरी, दनकौर और जेवर में तीन सरकारी क्रय केंद्र खोलने का लक्ष्य मिला है। लेकिन अभी तक किसी भी ब्लाक में क्रय केंद्र शुरू नहीं हुआ है।
क्रय केंद्र के स्थान या कांटा आदि तक की व्यवस्था नहीं की गई है। जिन किसानों को स्वजन का इलाज या अन्य कार्याें के लिए रुपये की आवश्यकता है, उन्हें प्राईवेट मंडियों में औने-पौने मूल्य पर धान बेचना पड़ रहा है।
सरकार ने अलग-अलग किस्म के धान की एमएसपी 2369 से लेकर 2389 रुपये तक तय की है। इस बार जिले में करीब 59 हजार किसानों ने 33 हजार हेक्टेयर में धान की फसल बोई है। लगभग एक लाख क्विंटल धान की उपज होने का अनुमान है।
इसके बाद भी सरकारी मूल्य पर धान की खरीदारी शुरू नहीं होने से जिन किसानों को स्वजन के इलाज या अन्य कार्यों के लिए रुपये की जरूरत है, प्राईवेट मंडियों में आढ़ैतियों के हाथों औने-पौने मूल्य पर धान बेचना पड़ रहा है।
मंडी शुल्क और अढ़ैत के नाम पर शोषण
जिले में फिलहाल अभी तक सरकारी क्रय केंद्र नहीं खुला है। ऐसे में किसानों को रबूपुरा, जेवर और जहांगीरपुर की प्राईवेट मंडियों में धान की बिक्री करनी पड़ रही है। यहां किसानों से मंडी शुल्क और अढ़ैत के नाम पर धान बिक्री से मिली कुल धनराशि से एक से दो प्रतिशत तक कटौती की जा रही है।
यहीं नहीं लेबर फड़ पर तौल के दौरान आठ से दस किलो धान इधर-उधर बिखेर देते हैं, यह नुकसान भी किसानों को झेलना पड़ रहा है। साथ ही सरकारी मूल्य से सौ से दो सौ रुपये तक कम रेट मिल रहा है। हालांकि पड़ोसी जिले अलीगढ़ के खैर कस्बा की प्राईवेट मंडी में मंडी शुल्क व अढ़ैत कम है, लेकिन वहां तक का किराया ही 40 रुपये प्रति क्विंटल बढ़ जाता है।
जिले के तीनों क्रय केंद्रों के लिए टेंडर निकाला गया था, लेकिन क्रय केंद्र खोलने के लिए कोई आवेदन नहीं मिला है। फिलहाल विभागीय क्रय केंद्र खुलवाने के लिए प्रयास किया जा रहा है। केंद्र खुलते ही एमएसपी पर किसानों से धान की खरीदारी शुरू कर दी जाएगी।
अजीत प्रताप सिंह, जिला खाद्य विपणन अधिकारी
धान की फसल किसान की कटाई शुरू हो चुकी है, लेकिन सरकारी धान क्रय केंद्र शुरू नहीं है। मजबूरन प्राईवेट खरीदारों के यहां धान बेचना पड़ेगा। वहां किसानों से मनमानी की जाती है।
किसान तेजपाल सिंह
फसल तैयार है पहले तो कटाई के लिए मजदूर मिलना बहुत मुश्किल हो रहा है, किसी तरह धान निकाल भी लेगा तो बिक्री के लिए खैर या जहांगीरपुर लेकर जाना पड़ेगा। खैर की दूरी 40 किमी है 40 रुपये क्विंतल का भाड़ा किसान को ही वहन करना पड़ता है।
किसान विजय सिंह
किसान तरह-तरह की मुसीबतों को झेलकर किसी तरह फसल तैयार करता है। जब उस फसल को लेकर मंडी पहुंचता है तो न उसे फसल का उचित भाव मिलता और न ही सम्मान मिलता मजबूर किसान आढ़ैतियों के नखरे झेलने के बाद भी फसल को बेचने पर मजबूर रहता है।
किसान ऋषि सिंह
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