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    Noida Builder Fraud: मोबाइल फोन पर आया 1 मैसेज ले गया जिंदगीभर की कमाई

    By Arpit TripathiEdited By: JP Yadav
    Updated: Thu, 13 Oct 2022 12:16 PM (IST)

    Noida Builder Fraud नेशनल कंपनी ला ट्रिब्यूनल (एनसीएलटी) ने रिजोल्यूशन एप्लीकेंट यानी एक नए बिल्डर की नियुक्ति कर दी है जो परियोजना को पूरी करेगा लेकिन ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण अपने बकाये को लेकर अनुमति नहीं दे रहा है।

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    अर्थ इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट में निवेश करने वाले हजारों लोग परेशान। फोटो प्रतीकात्मक

    नोएडा, जागरण संवाददाता। अर्थ इन्फ्रास्ट्रक्चर के निवेशक आज भी उस समय को कोसते हैं, जब उन्होंने बिल्डर की परियोजनाओं में निवेश करने का निर्णय लिया था। ग्रेटर नोएडा के टेकजोन में बनने वाली टेकवन परियोजना के निवेशक 11 वर्ष से आशियाने के लिए लड़ाई लड़ रहे हैं। 

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    फंसी हजारों लोगों की कमाई

    निवेशकों को कहना है कि यह पहला मामला है, जहां एनसीएलटी ने परियोजना को पूरी करने के लिए दूसरा बिल्डर नियुक्त किया है। ऐसे में प्राधिकरण को बकाये से अधिक लोगों की परेशानी और जरूरत को समझना चाहिए। हजारों लोगों की जिंदगीभर की कमाई फंसी है। कुछ बुजुर्ग निवेशक तो इंतजार करते-करते इस दुनिया को छोड़ गए। यह समय उन हजारों लोगों के दर्द को समझने का है।

    बिल्डर अपने निवेशकों से बात तक करने को नहीं तैयार

    दिल्ली स्थित खानपुर के संजय भल्ला ने बताया कि टेकवन परियोजना 2011 में लांच हुई थी। इसमें कमर्शियल, स्टूडियो अपार्टमेंट व आफिस स्पेस था। करीब 2800 यूनिट थीं। उन दिनों मोबाइल पर बिल्डरों के निवेश करने के मैसेज आते थे। अर्थ इन्फ्रास्ट्रक्चर ने ग्रेटर नोएडा के टेकजोन में टेकवन परियोजना की जानकारी दी। इसके साथ ही पजेशन होने तक 12 से 15 प्रतिशत गारंटी रिटर्न देने का भी वादा किया। आफिस स्पेस में निवेश किया। बिल्डर रिटर्न भी देने लगा। कुछ महीने ही यह सिलसिला चला, फिर रुक गया। बिल्डर से संपर्क किया तो कई जवाब नहीं मिला।

    प्राधिकरण नहीं दिखा रहा सकारात्मक रुख

    2013 में जानकारी हुई कि बिल्डर ने पुरानी परियोजनाओं में भी यही खेल किया है। यहीं से लड़ाई शुरू हुई। 11 वर्ष लड़ाई लड़ने के बाद एनसीएलटी ने रिजोल्यूशन एप्लीकेंट अल्फा कार्प बिल्डर को परियोजना पूरी करने की जिम्मेदारी दी है। अब प्राधिकरण अपने करीब दो करोड़ रुपये बकाया वसूली के बाद अनुमति की बात कह रहा है। प्राधिकरण को रजिस्ट्री, ओसी, सीसी जैसी कई कागजी कार्रवाई से पैसा मिलेगा। यह तभी होगा, जब परियोजना का निर्माण होगा। प्राधिकरण को उन हजारों निवेशकों से हमदर्दी नहीं है।

    दिवालिया घोषित हुई टाइटेनियम परियोजना 

    टेकजोन में ही अर्थ बिल्डर की टाइटेनियम परियोजना भी है। यह स्पेशल इकोनामिक जोन में है। 2014 में इसे लांच किया गया था। बिल्डर ने बिना प्राधिकरण की अनुमति के भूखंड को सबलीज के तहत अंसल बिल्डर को बेच दिया था। इसके बाद से ही संकट शुरू हो गया था। अर्थ और अंसल के पास 37.5-37.5 एकड़ जमीन थी। इसमें स्टूडियो अपार्टमेंट व कमर्शियल की 1200 यूनिटें थीं। 700 यूनिटें बुक हो गई थीं। बुकिंग के दौरान बिल्डर को बैंक खाते में करीब 120 करोड़ रुपये मिले। बिल्डर ने कई निवेशकों से नकद भी लिए थे।

    2021 तक निवेशकों से क्लेम फाइल कराया गया

    निवेशकों की लड़ाई लड़ रहे खरीदार अंकुर सारस्वत ने बताया कि 2015 में बिल्डर का खेल सामने आने के बाद एनसीएलटी का दरवाजा खटखटाया। एनसीएलटी के आदेश पर परियोजना की दिवालिया प्रक्रिया जनवरी 2020 में शुरू हुई। वर्ष 2021 तक निवेशकों से क्लेम फाइल कराया गया था। अब जमीन को बेचकर निवेशकों के पैसों को लौटाने की प्रक्रिया होनी है, जिसे एनसीएलटी की देखरेख में पूरा किया जाएगा।

    निपटारे की राह हो रही आसान

    आकाश सिंघल (पूर्व रिजोल्यूशन प्रोफेशनल) का कहना है कि एनसीएलटी ने रिजोल्यूशन एप्लीकेंट नियुक्त कर दिया है, जो परियोजना को पूरा करेगा। ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण की ओर से बकाये का एक मामला नेशनल कंपनी ला एपीलेट ट्रिब्यूनल (एनक्लैट) में चल रहा है। इसका निपटारा होने पर आगे का मार्ग साफ हो सकेगा।