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    मुफ्त में कंपनी ने प्राधिकरण से ली 50 करोड़ कीमत की जमीन, विज्ञापन से कमाई का अधिकार किया हासिल

    Updated: Sun, 21 Sep 2025 06:51 AM (IST)

    नोएडा प्राधिकरण की ई-साइकिल परियोजना में घोटाले का मामला सामने आया है। कंपनी को मुफ्त में करोड़ों की जमीन दी गई और विज्ञापन नियमों में बदलाव किया गया। अनुबंध शर्तों का उल्लंघन किया गया और कंपनी को बेच दिया गया जिसकी जानकारी प्राधिकरण को नहीं है। अधिकारियों का कहना है कि कंपनी के हस्तांतरण के बाद अनुबंध बरकरार रखने का कोई नियम नहीं है।

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    मुफ्त में कंपनी ने प्राधिकरण से 50 करोड़ की कीमती जमीन ली।

    कुंदन तिवारी, नोएडा। प्राधिकरण में जनता के पैसों की किस प्रकार से बर्बाद किया जा रहा है। इसका ताजा मामला ई साइकिल परियोजना के जरिये प्रकाश में चुका है। परियोजना को धरातल पर उतराने के लिए टर्बन मोबिलिटी कंपनी के साथ नोएडा ट्रैफिक सेल (एनटीसी) 30 सितंबर 2022 को अनुबंध किया।

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    इस अनुबंध शर्त में ई साइकिलों को खड़ा करने के लिए वर्ष 2021 में दो करोड़ रुपये की लागत से विभिन्न सेक्टरों में तैयार करीब दो हजार वर्ग मीटर वर्ग मीटर जमीन पर बनाए गए 62 डाक स्टेशनों का मालिकाना हक मुफ्त में दे दिया। यह जमीन वर्तमान में 50 करोड़ रुपये की आकी जा रही है।

    ऊपर से कंपनी को इसके ऊपर 50 वर्ग फिट विज्ञापन लगाने का अधिकार भी दिया गया। यही से प्राधिकरण में घोटाले की आधारशिला रखी गई, क्योंकि कंपनी को कमाई का जरिया मिल गया। जबकि अनुुबंध शर्त थी कि 62 डाक स्टेशन पर 620 ई साइकिल को रखा जाएगा। प्रतिदिन एक साइकिल के जरिये 15 चक्कर शामिल होंगे।

    इससे 1125 टन कार्बन उत्सर्जन कम होगा, किन आज तक कंपनी की ओर से परियोजना का मूल भावना को पूरा नहीं किया। इसके उलट कंपनी अधिकारियों ने प्राधिकरण के शीर्ष अधिकारियों से सांठगांठ कर विज्ञापन नियमों में बदलाव करवा लिया। यह 50 वर्ग फिट विज्ञापन डाक स्टेशन के ऊपर किया जाना था, उसको नियम शर्त में उल्लंघन कर यूनीपाेल में परिवर्तित करवा लिया, जबकि पोल पर विज्ञापन प्रतिबंधित है।

    जब सुप्रीम कोर्ट की गाइड लाइन है कि एक्सप्रेसवे व हाइवे पर यूनीपोल विज्ञापन नहीं होगा, तो बाजार व घनी आबादी में यूनीपोल के जरिये विज्ञापन का अधिकारी कैसे दिया गया। यही नहीं कंपनी का अनुबंध उस दिन ही समाप्त हो जाना चाहिए था, जब कंपनी को अनुराग श्रीवास्तव ने मोटी रकम लेकर वर्ष 2023 में चंद्र मोहन बाली के हाथ बेच दिया, क्योंकि अनुबंध शर्त नियम में यह शामिल ही नहीं है कि कंपनी बिकने के बाद अनुबंध बरकरार रहेगा।

    इसके लिए कंपनी की ओर प्राधिकरण या एनटीसी में कोई सूचना तक नहीं दी गई। अब कंपनी चंद्र मोहन बाली भी मोटी रकम लेकर बेच चुके है। इसकी जानकारी भी प्राधिकरण कार्यालय पर नहीं होने की बात कही जा रही है। नोएडी ट्रैफिक सेल महाप्रबंधक एसपी सिंह ने कहा कि उन्हें इस बात की जानकारी नहीं है कि कंपनी बेची जा चुकी है। कंपनी बिकने के बाद अनुबंध बरकरार रखने को नियम नहीं शामिल है।