मरीजों को अब नहीं जाना होगा दिल्ली-मेरठ, ग्रेटर नोएडा के अस्पताल में शुरू हुआ इस बीमारी का इलाज
गौतमबुद्धनगर के जिम्स में कार्निया रिट्रीवल सेंटर खुलने से कार्निया दान करना आसान हो जाएगा। अब बुलंदशहर गाजियाबाद और नोएडा के लोग भी यहाँ दान कर सकेंगे जिससे दिल्ली या मेरठ जाने की आवश्यकता नहीं रहेगी। जिम्स का दिल्ली के आई बैंक से समझौता हुआ है जहाँ कार्निया प्रत्यारोपित की जाएगी। जागरूकता कार्यक्रम भी आयोजित किए जाएंगे जिससे अधिक से अधिक लोग कार्निया दान करने के लिए प्रेरित हों।
जागरण संवाददाता, ग्रेटर नोएडा। प्रदेश सरकार से ग्रेटर नोएडा के राजकीय आयुर्विज्ञान संस्थान (जिम्स) में कार्निया रिट्रीवल सेंटर बनाए जाने की अनुमति मिल गई है। इससे अब कार्निया दान करने वाले लोग जिम्स में ही दान कर सकेंगे। इसके लिए अब लोगों को दिल्ली या मेरठ नहीं जाना होगा।
लोग जिम्स में दान कर सकेंगे कार्निया
कार्निया दान करने वाले लोगों को पहले से जिम्स में पंजीकरण कराना होगा। अगर किसी की अचानक मृत्यु हो जाती है और उनके स्वजन कार्निया दान करना चाहते हैं तो बिना पंजीकरण के भी कार्निया ली जा सकती है। हालांकि अभी प्रत्यारोपण जिम्स के सहयोग से दिल्ली के दरियागंज आई बैंक में ही किया जाएगा।
गौतमबुद्ध नगर में इकलौते सरकारी मेडिकल कालेज में कार्निया रिट्रीवल सेंटर बनने से कार्निया दान करने वाले लोगों को दिल्ली और मेरठ की ओर रूख नहीं करना पड़ेगा। जिम्स में ही बुलंदशहर, गाजियाबाद, नोएडा-ग्रेटर नोएडा, यमुना सिटी और अलीगढ़ के लोग भी कार्निया दान कर सकेंगे।
कार्निया दान करने के लिए जिम्स की ओर से एक जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया जाएगा। कार्यक्रम का उद्देश्य है कि पहले अपने कर्मचारियों को जागरूक किया जाए इसके बाद लोगों में जागरूकता लाई जाए। एक व्यक्ति की कार्निया दान किए जाने से इस दुनिया में दो लोगों की रोशनी लौटाई जा सकती है।
एमओयू के तहत दिल्ली के आई बैंक में होगा कार्निया प्रत्यारोपण
जिम्स का दिल्ली के दरियागंज स्थित आई बैंक से एमओयू साइन हुआ है। इसके तहत जिम्स के रिट्रीवली सेंटर पर डोनेट की गई कार्निया को आई बैंक में रखा जाएगा और अगर किसी की कार्निया प्रत्यारोपण की जानी है तो उस मरीज को निश्शुल्क कार्निया प्रत्यारोपित की जाएगी। सिर्फ जो दवा होगी वह मरीज को अपने पास से कराई जाएगी।
दो वर्ष के बाद हर वर्ग की ले सकते हैं कार्निया
दो वर्ष से अधिक का कोई भी इंसान अपना कार्निया दान कर सकता है। अगर कोई नाबालिग है तो उसके स्वजनों की अनुमित के आधार पर कार्निया ली जा सकेगी और बालिक है तो सिर्फ उसकी ही अनुमति लेने की जरूरत रहेगी।
अगर किसी की मौत घर पर हो जाती है तो और उसके स्वजनों से जानकारी मिलती है तो घर जाकर कार्निया ले सकेंगे। जितनी कम उम्र होती है उतनी अधिक कार्निया मजबूत होती है।
संक्रमण और डिजीज कार्निया की नहीं ले सकते हैं कार्निया
सेप्सिस, वायरल संक्रमण, हेपेटाइटिस, एचआइवी और डिजीज कार्निया समेत अन्य कई संक्रमण से ग्रसित मरीजों लोगों की कार्निया नहीं ली जा सकती है। इन बीमारियों से ग्रसित लोगों की कार्निया प्रत्यारोपित करने वाले मरीज में वह बीमारी फैला सकती है। इस कारण कार्निया लिए जाने के साथ उस व्यक्ति का ब्लड सैंपल लेकर जांच भी किया जाता है।
जिम्स में कार्निया रिट्रीवल सेंटर की अनुमति प्रदेश सरकार से मिल गई है। लोगों में जागरूकता अभियान भी चलाया जाएगा।
- डॉ. बिग्रडियर राकेश गुप्ता, जिम्स निदेशक
सेंटर बनने से अब जिम्स में कार्निया के आने वाले मरीजों को सुविधा मिल सकेगी। अभी दिल्ली या मेरठ जाना होता था।
- डॉ. कृष्ण कुलदीप गुप्ता, नेत्ररोग विभागाध्यक्ष, जिम्स
हमारा प्रयास है कि जल्द जिम्स में ही प्रत्यारोपण प्रकिया को शुरू करें। इससे लोगों को और अधिक राहत मिल जाएगी।
- डॉ. शैली, कार्निया रिट्रीवल सेंटर प्रभारी, जिम्सन
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।