Noida: चिल्ला एलिवेटेड रोड का रास्ता हुआ साफ, दस लाख लोगों को मिलेगी राहत; कैबिनेट ने दिखाई हरी झंडी
चिल्ला एलिवेटेड रोड के जरिये दिल्ली-उत्तर प्रदेश (दो राज्य) को आपस में जोड़ने वाली परियोजना के बनने का रास्ता साफ हो गया है। मंगलवार को उत्तर प्रदेश कैबिनेट से परियोजना के खर्च के लिए बजट को मंजूरी दे दी गई।

नोएडा, जागरण संवाददाता। चिल्ला एलिवेटेड रोड के जरिये दिल्ली-उत्तर प्रदेश (दो राज्य) को आपस में जोड़ने वाली परियोजना के बनने का रास्ता साफ हो गया है। मंगलवार को उत्तर प्रदेश कैबिनेट से परियोजना के खर्च के लिए बजट को मंजूरी दे दी गई।
801 करोड़ का बजट पास
यह रोड सेक्टर-14 ए से एमपी-3 नोएडा को जोड़ते हुए शाहदरा ड्रेन के समानान्तर छह लेन की करीब 5.96 किमी की होगी। इसके निर्माण से अक्षरधाम, मयूर विहार से नोएडा, परी चौक, कालिंदी कुंज, सरिता विहार तक आने वाले लोगों को जाम की समस्या से निजात मिलेगी। इसका बजट 801 करोड़ है।
परियोजना का 50 प्रतिशत खर्च करीब 39,365.91 लाख (393.65 करोड़) रुपये भारत सरकार की स्कीम फार स्पेशल असिस्टेंस टू स्टेट फार कैपिटल इनवेस्टमेंट 2023-24 के तहत दिया जाएगा। शेष 50 प्रतिशत बजट राशि नोएडा प्राधिकरण को खर्च करनी होगी। इसकी जानकारी नोएडा प्राधिकरण की मुख्य कार्यपालक अधिकारी रितु माहेश्वरी ने दी है।
बता दें कि चिल्ला एलिवेटेड को बजट अप्रूवल के लिए कैबिनेट में रखा गया था। इस योजना के बनने से करीब दस लाख लोगों को राहत मिलेगी। परियोजना वर्ष 2008 में तैयार किया गया था लेकिन वर्ष 2019 में धरातल पर उतर सकी। हालांकि, 25 जनवरी 2019 में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के शिलान्यास के बावजूद भी इसका काम पूरा नहीं हो सका।
यदि समय पर यह परियोजना पूरी हो गई होती तो आज चिल्ला बार्डर से महामाया फ्लाईओवर तक वाहन चालकों को जाम नहीं झेलना पड़ता। यही एक लिंक है जो सीधे दिल्ली को नोएडा-ग्रेटर नोएडा एक्सप्रेस वे से जोड़ता है। इसका फिजिकल काम 13 प्रतिशत हो चुका है। इसकी नई डेड लाइन मार्च 2025 तय की गई है।
अब तक चार बार बंद हो चुका परियोजना पर काम
चिल्ला एलिवेटेड रोड का काम चार बार बंद हो चुका है। अब तक परियोजना का 13 प्रतिशत ही काम हो सका है। वर्ष 2020 में कोरोना की आई पहली लहर के कारण करीब चार-पांच माह काम बंद रहा था। फिर उसी साल और फिर 2021 में प्रदूषण की रोकथाम के लिए नेशनल ग्रीन ट्रीब्यूनल (एनजीटी) के आदेश के कारण भी करीब दो माह काम बंद पड़ा रहा। वर्ष 2020 के नवंबर में काम बंद होने पर अक्टूबर 2021 में काम शुरू हुआ था। अब चौथी बार काम बंद हो गया।
605 करोड़ से बजट बकर 1076 करोड़ पहुंचा, विवाद
परियोजना का बजट 2013 में 605 करोड़ था, लेकिन वर्ष 2019 में काम शुरू किया गया। करीब 74 करोड़ रुपये खर्च किए गए। इसके बाद मामला पीडब्ल्यूडी की ओर से बजट रिलीज नहीं होने फंस गया। ब्रिज कारपोरेशन ने परियोजना में वैरिएशन कर बजट 1076 करोड़ प्रस्तावित कर प्राधिकरण को भेजा। प्राधिकरण ने इसे खारिज कर दिया। साथ ही नए सिरे से बजट बनाया गया और आइआइटी अप्रूव के बाद यह बजट 801 करोड़ तय किया गया।
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