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    नोएडा के चार हजार फ्लैट खरीदारों को बड़ी राहत, इस प्रोजेक्ट में जल्द मिल सकता है आशियाना

    Updated: Tue, 17 Dec 2024 10:12 AM (IST)

    नोएडा के अर्थ इंफ्रा के चार हजार खरीदारों के लिए राहत की खबर है। नेशनल बिल्डिंग्स कंस्ट्रक्शन कार्पोरेशन लिमिटेड (एनबीसीसी) ने अर्थ टेकवन एसोसिएशन सफायर एसोसिएशन और अर्थ टाउनी वेलफेयर एसोसिएशन के प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया है। अब एनबीसीसी और पंजीकृत एसोसिएशन निर्माण कार्य की योजना तैयार कर संयुक्त रूप से सुप्रीम कोर्ट में अनुमति के लिए दरवाजा खटखटाएंगे।

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    एनबीसीसी ने अर्थ इन्फ्रा के खरीदारों को राहत दी है। (जागरण फाइल फोटो)

    जागरण संवाददाता, नोएडा। नेशनल बिल्डिंग्स कंस्ट्रक्शन कार्पोरेशन लिमिटेड (एनबीसीसी) ने अर्थ इन्फ्रा के चार हजार खरीदारों को राहत देते हुए एसोसिएशन के प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया है। अर्थ टेकवन एसोसिएशन, सफायर एसोसिएशन और अर्थ टाउनी वेलफेयर एसोसिएशन के पदाधिकारियों ने एनबीसीसी में 2019 में परियोजना पूरी करने के लिए संपर्क किया था।

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    जांच में एनबीसीसी अधिकारियों ने पाया कि परियोजना पूरी करने के लिए बिल्डर या किसी पक्ष ने उनसे संपर्क नहीं किया था। अब एनबीसीसी और पंजीकृत एसोसिएशन निर्माण कार्य की योजना तैयार कर संयुक्त रूप से सुप्रीम कोर्ट में अनुमति के लिए दरवाजा खटखटाएंगे।

    ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण और निजी बिल्डर के बीच हुआ था विवाद

    यूनिफिक टेक वन पेट्रंस इंडिपेंडेंट एसोसिएशन (यूटोपिया) के अध्यक्ष अरविंद कुमार अवस्थी ने बताया कि कई लेनदारों ने अर्थ इन्फ्रा के रेजोल्यूशन प्रोफेशनल से परियोजना पूरी करने के लिए एनबीसीसी से संपर्क करने को कहा था, लेकिन उनके सुझाव को नजरअंदाज कर दिया गया था। बाद में निजी बिल्डर के साथ काम शुरू तो किया, लेकिन ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण और निजी बिल्डर के बीच विवाद होने लगा।

    करीब 14 सालों से खरीदार देख रहे थे आशियाने का सपना

    दोनों पक्षों का मामला सुप्रीम कोर्ट में पहुंचा और उसके बाद से परियोजना अटक गई। करीब 14 सालों से खरीदार परियोजना पूरी होने पर आशियाना मिलने का सपना देख रहे हैं। 2019 में एसोसिएशन ने एनबीसीसी से संपर्क किया। अधिकारियों ने पाया कि रेजोल्यूशन प्रोफेशनल ने परियोजना को पूरा करने के लिए एनबीसीसी से एक बार भी संपर्क नहीं किया था।

    प्रस्ताव को स्वीकृति देने से खरीदारों को होगा फायदा 

    एनबीसीसी सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर आम्रपाली की रुकी हुईं परियोजनाओं को पूरा कर रही है। वहीं, अरविंद कुमार के मुताबिक, एनबीसीसी द्वारा परियोजना पूरी करने के प्रस्ताव को स्वीकृति देने से खरीदारों को काफी लाभ होगा। केंद्र सरकार की कंपनी होने पर अधिकारी लंबे विवादों और जटिलताओं के बारे में संबंधित विभागों से वार्ता कर समाधान भी कर सकते हैं।

    वहीं, इस मामले में अर्थ सफायर एसोसिएशन के महासचिव शशांक राघव का कहना है कि एनबीसीसी की भागीदारी से मामले का जल्द से जल्द समाधान होगा। पूर्व में खरीदारों का कानूनी व्यवस्था पर से भरोसा उठ गया था। लेकिन अब उम्मीद है कि यह किरण फिर से उनमें जग गई है।

    इन परियोजनाओं पर बनी सहमति

    • अर्थ टाउनी ग्रेटर नोएडा 3000 यूनिट
    • अर्थ सफायरकोर्ट ग्रेटर नोएडा 1285 यूनिट
    • अर्थ टेकवन ग्रेटर नोएडा 2800 यूनिट

    अन्य परियोजनाएं

    • कोपिया गुरुग्राम (एनसीएलटी)
    • आइकोनिक गुरुग्राम (एनसीएलटी)
    • इला कासा गुरुग्राम (एनसीएलटी)
    • ग्रेसिया ग्रेटर नोएडा (एनसीएलटी)
    • टाइटेनियम ग्रेटर नोएडा (एनसीएलटी)

    कोर्ट के बाहर सभी क्लेम पर हुआ समझौता

    स्काईगेट, गुरुग्राम घरौंदा, लखनऊ मार्बल, लखनऊ

    परियोजना पर काम से पहले अनुमति लेने एनबीसीसी जाएगी सुप्रीम कोर्ट

    अर्थ टाउनी वेलफेयर एसोसिएशन के महासचिव अनुज सिंह ने स्वीकृति को खरीदारों के धैर्य की परीक्षा का परिणाम बताया। उन्होंने बताया कि हमारे प्रस्ताव को स्वीकार कर एनबीसीसी ने काम करने के लिए सहमति दी है।

    एनबीसीसी के अधिकारियों ने कहा है कि योजना तैयार होने के बाद वे अर्थ इन्फ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड की सभी परियोजनाओं पर काम करने से पहले पंजीकृत एसोसिएशन के साथ संयुक्त रूप से सुप्रीम कोर्ट में याचिका भी दायर करेंगे।