Noida News: एक समान बिल्डिंग बायलाज के लिए मांगे गए सुझाव, ग्राउंड कवरेज और एफएआर में हो सकती है बढ़ोतरी
उत्तर प्रदेश के औद्योगिक विकास प्राधिकरणों में बिल्डिंग बायलॉज को एक समान करने की तैयारी है। नोएडा ग्रेटर नोएडा और यमुना प्राधिकरण से शासन ने सुझाव मांगे हैं। इस पहल का उद्देश्य प्रदेश को गुजरात और तमिलनाडु जैसे राज्यों की तरह विकसित करना है। ग्राउंड कवरेज की सीमा खत्म करने और फ्लोर एरिया रेशियो में बदलाव करने की योजना है जिससे निवेशकों को प्रोत्साहन मिलेगा।

जागरण संवाददाता, ग्रेटर नोएडा। प्रदेश के सभी औद्योगिक विकास प्राधिकरणों मेंं बिल्डिंग बायलाज में एकरूपता लाने की तैयारी है। शासन ने इसके लिए नोएडा, ग्रेटर नोएडा व यमुना प्राधिकरण से सुझाव मांगे हैं। एनसीआर में होने के कारण तीनों प्राधिकरण पर एनसीआर प्लानिंग बोर्ड की शर्तों की बाध्यता है। इसके मद्देनजर प्राधिकरण शासन को बिल्डिंंग बायलाज के लिए सुझाव तैयार करने में जुटे हैं।
प्रदेश में औद्योगिक विकास प्राधिकरण अभी तक अपनी जरूरत के अनुसार बिल्डिंग बायलाज बनाकर उनके हिसाब से काम करते रहे हैं। प्राधिकरणों के अलग-अलग बिल्डिंग बायलाज की वजह से कई बार मुश्किलें होती है।
आवंटी एक दूसरे प्राधिकरणों के बायलाज का हवाला देकर बिल्डिंग बायलाज में राहत की मांग करते हैं। प्रदेश में औद्योगिक विकास प्राधिकरणों में एकरूपता के लिए शासन ने एक समान बिल्डिंग बायलाज लागू करने का फैसला किया है। इसके लिए प्रमुख सचिव नियोजन की अध्यक्षता में समिति गठित की गई है।
एक सितंबर को राज्य स्तरीय समिति ने समीक्षा कर लैंड यूज, एफएआर (फ्लोर एरिया रेश्यो), ग्राउंड कवरेज, सेटबैक, पार्किंग और ग्रीन एरिया से जुड़े बड़े बदलावों पर विचार किया और प्राधिकरणों ने इन पर सुझाव मांगने का फैसला किया गया। यीडा की ओर से बिल्डिंग बायलाज पर सुझाव के साथ रिपोर्ट तैयार की गई है।
बिल्डिंग बायलाज में बदलाव का मकसद प्रदेश को गुजरात, तेलंगाना और तमिलनाडु जैसे राज्यों व शहरों को सिंगापुर-हांगकांग की तरह विकसित करने का है। ग्राउंड कवरेज की सीमा खत्म किया जा सकता है। अभी उद्योग में 35 से 60 प्रतिशत, आवास 35 से 40 प्रतिशत और वाणिज्यिक/संस्थागत परियोजनाएं 30 से 60 प्रतिशत क्षेत्र पर ही निर्माण की अनुमति है। जबकि आवासीय प्राधिकरणों में ऐसी कोई पाबंदी नहीं थी।
नए बिल्डिंग बायलाज में प्राधिकरणों में कवरेज की सीमा हटाने का प्रस्ताव है। इससे उद्योगों को फायदा होगा। निर्माण क्षेत्र बढ़ जाएगा। फ्लोर एरिया रेशियो में भी बदलाव की तैयारी है। वर्तमान में उद्योग के लिए 0.6 से 2.0, ग्रुप हाउसिंग में 2.75 से 3.5, संस्थागत में 0.8 से 2.75 और वाणिज्यिक 1.2 से 4 की सीमा है।
एक समान बायलाज में उद्योग को 2.5 से 3, ग्रुप हाउसिंग को 3.5, संस्थागत को 1.2 से 3 और कामर्शियल को 1.5 से 4 तक एफएआर की अनुमति होगी। इससे घनी आबादी वाले क्षेत्रों में अधिक निर्माण किया जा सकेगा।
निवेश करने वाले इससे प्राधिकरण क्षेत्र में निवेश के लिए आकर्षित होंगे। बड़े भूखंड में 16 मीटर तक का सेटबैक को तीन से नौ मीटर तक सीमित करने का प्रस्ताव है। पार्किंग व ओपन एरिया की सीमा को पांच से दस प्रतिशत किया जा सकता है। अभी यह सीमा 25 से 50 प्रतिशत तक है।
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