Noida Airport से प्रभावित विस्थापित तीन हजार किसानों को जल्द मिलेगा मालिकाना हक, रजिस्ट्री की तैयारी पूरी
नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट से विस्थापित किसानों को जल्द ही मालिकाना हक मिलेगा। तहसील प्रशासन सात गांवों के तीन हजार परिवारों को लीजडीड के माध्यम से रजिस्ट्री कराने की तैयारी कर रहा है। एयरपोर्ट लिमिटेड ने स्टाम्प शुल्क के रूप में 16 करोड़ 96 लाख रुपये भेजे हैं। प्रशासन का लक्ष्य है कि तीन महीने में सभी किसानों को मालिकाना हक मिल जाए।

मनोज कुमार शर्मा, जेवर। नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट के प्रथम चरण में प्रभावित विस्थापित किसानों को सबकुछ ठीकठाक रहा तो जल्द उनके प्लॉटों का मालिकाना हक मिल जाएगा। तहसील प्रशासन ने सात गांव के तीन हजार किसान परिवारों को उनके प्लाटों (मकानों) की लीजडीड के माध्यम से रजिस्ट्री कराने की तैयारी पूरी कर ली हैं।
नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट लिमिटेड ने स्थानीय प्रशासन के खाते में स्टंप,निबंधन और प्रतिलिपिकरण शुल्क सहित कुल खर्चा 16 करोड़ 96 लाख 95 हजार रूपये भेज रखा है। तहसील प्रशासन ने सभी किसानों को तीन माह के अंदर मालिकाना हक दिलाने का लक्ष्य तय किया है।
एयरपोर्ट के प्रथम चरण में जेवर के रोही,नगला गनेशी,नगला छीतर नगला फूलखां,नगला शरीफ,किशोरपुर आंशिक, दयानतपुर खेडा गांव की जमीन अधिग्रहण के साथ ही सात गांव को विस्थापित किया गया था। विस्थापित परिवारों को जेवर बांगर में टाउनशिप विकसित कर लकी ड्रा के माध्यम से प्लॉट आवंटित करते हुए आवंटन पत्र सौपते हुए कब्जा दे दिया गया।
ज्यादातर किसान इन प्लाटों पर अपने मकानों का निर्माण कर रह रहे है लेकिन चार साल से 3065 परिवारों को मालिकाना हक का इंतजार है। नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट लिमिटेड में अंशधारिता के हिसाब से नागरिक उड्डयन विभाग और जिले के तीनों प्राधिकरणों ने अपनी-अपनी हिस्सेदारी की धनराशि भी स्थानीय प्रशासन को लगभग एक साल पहले खाते में दे दी थी।
लेकिन कुछ वजहों से रजिस्ट्री का काम शुरू नहीं हो पाया था। स्थानीय प्रशासन ने अब किसानों की लीजडीड कराने की जिम्मेदारी नायब तहसीलदार अजेंद्र कुमार सिंह दी है। लीजडीड तैयार कराने उपनिबंधक कार्यालय में पंजीकरण एवं अन्य आश्वयक कार्रवाइ पूर्ण करने की जिम्मेदारी लेखपाल निरंजन मिश्रा को दी है।
जेवर बांगर टाउनशिप में रोही के 1074, नगला छीतर में 771, नगला शरीफ में 552, दयानतपुर खेडा में 244, नगला गणेशी में 236, नगला फूलखां में 176, किशोरपुर में 12 परिवारों को सात पाकेट में कुल 3065 प्लाट आंवटित किए गए थे। जिनका रकबा 1 लाख 94 हजार 700 वर्गमीटर है। मालिकाना हक देने के लिए 5 प्रतिशत स्टंप शुल्क 14 करोड़ 11 लाख व 1 प्रतिशत निबंधन शुल्क 2 करोड़ 82 लाख व प्रतिलिपिकरण शुल्क सहित कुल खर्चा 16 करोड़ 96 लाख 95 हजार रूपये बनता है।
लीजडीड निष्पादन के लिए आवश्यक दस्तावेज
आवंटी के चार फोटो, आधार कार्ड, पैनकार्ड, दो गवाह, आरक्षण पत्र की कापी, शपथ पत्र, अर्जन निकाय देयता प्रमाण पत्र, सभी दस्तावेजों में नाम एक जैसा नहीं होने पर लेखपाल की सत्यापन रिपोर्ट के बाद लीजडीड तैयार की जाएगी।
प्रथम चरण में विस्थापित होने वाले सात गांव के लगभग तीन हजार परिवारों को उनके प्लाटों का मालिकाना हक देने के लिए लीजडीड तैयार कराने का काम शुरू कर दिया है। इस कार्य में खर्च होने वाली धनराशि प्राप्त हो चुकी है। नायबतहसीलदार और उनकी टीम डीड तैयार कराने में जुटी है। डीड तैयार होते ही उपनिबंधक कार्यालय में निष्पादन का काम शुरू कराते हुए तीन महीने में इसे पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है। - अभय कुमार सिंह, उपजिलाधिकारी, जेवर
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