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    Nithari Case: निठारी कांड में कोर्ट से बरी, पर अब तक मोनिंदर पंढेर को क्यों नहीं मिली जेल से रिहाई, जानिए वजह

    By Jagran NewsEdited By: Shyamji Tiwari
    Updated: Thu, 19 Oct 2023 07:05 PM (IST)

    निठारी कांड में कोर्ट से बरी होने के बाद मोनिंदर पंढेर अभी तक जेल से रिहा नहीं हो सका है। वह जिला जेल गौतमबुद्धनगर जेल में बंद है। कोर्ट के आदेश पर पंढेर जेल से बाहर आ जाएंगे लेकिन सुरेंद्र कोली के अभी भी जेल में रहने की संभावना है। एक मामले में उन्हें अब भी उम्रकैद की सजा का सामना करना पड़ रहा है।

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    अब तक जेल से रिहा क्यों नहीं हुए मोनिंदर पंढेर

    जागरण संवाददाता, ग्रेटर नोएडा। निठारी कांड में दोष मुक्त हुआ मोनिंदर पंढेर जिला जेल गौतमबुद्धनगर जेल में बंद है। वह दो दिन से रिहाई का इंतजार कर रहा है, रिहाई का परवाना न आने के कारण बृहस्पतिवार शाम पांच बजे तक उसकी रिहाई नहीं हो सकी।

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    क्यों नहीं रिहा हुए पंढेर

    जेल के अधिकारियों का कहना है कि परवाना का इंतजार किया जा रहा है, परवाना आने के बाद कागजी कार्रवाई पूरी कर उसे रिहा किया जाएगा। मोनिंदर पंढेर पिछले लंबे समय से गौतमबुद्ध नगर जेल में बंद है। न्यायालय के आदेश के बाद वह दो दिन से रिहा होने का इंतजार कर रहा है।

    दो मामलों में जेल में है पंढेर

    अधिकारियों ने बताया कि वह पिछले लंबे समय से बीमार चल रहा है। इस कारण अधिकतर सयम जेल के अस्पताल में ही उपचार कराता रहता है। बीमारी के कारण जेल में उससे कोई कार्य नहीं लिया जाता है। जेलर जेपी तिवारी ने बताया कि हत्या के दो मामलों में पंढेर जेल में बंद है। एक मामले में रिहाई के आदेश का परवाना प्राप्त हो चुका है। दूसरे मामले में परवाना अभी तक नहीं आया है।

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    जेल से बाहर नहीं आ सके कोली

    बता दें कि इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सोमवार (16 अक्टूबर) को निठारी कांड में दोषी मोनिंदर सिंह पंढेर और सुरेंद्र कोली को बरी कर दिया है। इन्हें सबूतों के अभाव में बरी किया गया है। कोर्ट के आदेश पर पंढेर जेल से बाहर आ जाएंगे, लेकिन सुरेंद्र कोली के अभी भी जेल में रहने की संभावना है। एक मामले में उन्हें अब भी उम्रकैद की सजा का सामना करना पड़ रहा है।

    2007 में पंढेर और कोली के खिलाफ कुल 19 मामले दर्ज किए गए थे। सबूतों की कमी के कारण सीबीआई ने 19 में से तीन मामलों में क्लोजर रिपोर्ट दायर की थी। बाकी 16 मामलों में से कोली को पहले तीन मामलों में बरी कर दिया गया था और एक मामले में उसकी मौत की सजा को उम्रकैद में बदल दिया गया था।

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