Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    ऐसे कैसे पढ़ेगा इंडिया: यूपी के इस मंडल में मोदी सरकार की महत्वाकांक्षी योजना फेल, क, ख, ग भी नहीं पढ़ पा रहे बच्चे

    Updated: Sat, 03 Feb 2024 11:55 AM (IST)

    मोहिनी और फैजान कक्षा एक में पढ़ते हैं लेकिन उन्हें क से ज्ञ तक के अक्षरों का भी ज्ञान नहीं है। जब उनसे किताब में कख ग पढ़ने के लिए कहा गया तो वह शब्द भूल गए। इसके साथ ही वह उच्चारण तक नहीं कर पाए। यह हाल तब है जब भारत सरकार और प्रदेश सरकार की ओर से पिछले दो सालों से निपुण भारत अभियान चलाया जा रहा है।

    Hero Image
    निपुण भारत योजना मेरठ मंडल में फेल। फाइल फोटो

    अंकुर त्रिपाठी, नोएडा। मोहिनी और फैजान कक्षा एक में पढ़ते हैं, लेकिन उन्हें क से लेकर ज्ञ तक के अक्षरों का भी ज्ञान नहीं है। जब उनसे किताब में क,ख, ग पढ़ने के लिए कहा गया तो वह शब्द भूल गए। इसके साथ ही वह उच्चारण तक नहीं कर पा रहे थे।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    यह हाल तब है जब भारत सरकार और प्रदेश सरकार की ओर से पिछले दो सालों से निपुण भारत अभियान चलाया जा रहा है। अभियान शुरू करने का उद्देश्य ही यही था कि छात्रों को हिंदी के वर्ण और गणित के अंकों की पहचान हो सके, लेकिन यह अभियान लगातार फेल साबित हो रहा है।

    मेरठ मंडल के स्कूल नहीं उतरे खरे

    जनवरी के आखिरी सप्ताह में जारी हुई निपुण आंकलन रिपोर्ट में मेरठ मंडल के अधिकतर स्कूलों में कक्षा एक से तीन तक के छात्र तय लक्ष्य पर खरे नहीं उतर पा रहे हैं।

    मेरठ मंडल के जिलों में 21.66 प्रतिशत स्कूल के छात्र ही हिंदी और गणित के लक्ष्य को दो साल में प्राप्त करने में सफल साबित हुए हैं। हर जनपद में शिक्षकों की ट्रेनिंग पर निपुण भारत अभियान के तहत हर साल लाखों रुपये खर्च हो रहे है,लेकिन उसका परिणाम शून्य है।

    सरकार की ओर से सर्व शिक्षा अभियान,कायाकल्प,शारदा अभियान सहित कई योजनाएं चलाई जा रही हैं कि छात्रों को स्कूलों से जोड़ा जा सके और उन्हें भाषा और गणित में निपुण बनाया जा सके,लेकिन सभी योजनाएं कागजों पर प्रगाति कर रही हैं,लेकिन धरातल पर दम तोड़ रही है।

    नंबर गेम

    1. मंडल के 3148 में से 603 स्कूल ही मिले निपुण
    2. मंडल के 21.66 प्रतिशत स्कूल के ही छात्र भाषा और गणित का तय कर पाए लक्ष्य
    3. मेरठ के 13 प्रतिशत ही स्कूल के छात्र ही निपुण
    4. बागपत के 31 प्रतिशत स्कूल हुए निपुण

    मेरठ में 13 प्रतिशत स्कूल के छात्र ही निपुण

    डायट प्रशिक्षुओं की ओर से प्रतिदिन दो स्कूलों के छात्रों का मूल्याकंन किया गया,जिसके लिए उन्हें 500 रुपये प्रति स्कूल मानदेय दिया गया है। नंवबर और दिसंबर में प्रदेश के सभी कक्षा एक से तीन तक के छात्रों का आंकलन निपुण लक्ष्य एप के माध्यम से कराया गया।

    एप के माध्यम से कराएं गए परिणाम में गौतमबुद्ध नगर के 383 में 73,हापुड़ के 354 में 92,मेरठ के 708 में 93,गाजियाबाद के 316 में 93,बुलंदशहर के 954 में 117,बागपत के 433 में 135 स्कूल ही निपुण मिले हैं। मेरठ मंडल में सबसे खराब स्थिति मेरठ जिले की है।

    जहां पूरे मंडल की निगरानी करने के लिए मंडलीय सहायक शिक्षा निदेशक बैठते है। वहीं गौतमबुद्ध नगर के 19 प्रतिशत स्कूल ही निपुण मिले है। जबकि सितंबर में जारी हुए परिणाम में जिले ने प्रदेश में टाप किया था।

    एप में आईं कई परेशानी

    शिक्षकों ने बताया कि निपुण लक्ष्य एप में कई तकनीकी दिक्कतें आने से कई स्कूल निपुण होने के बावजूद भी बाहर हो गए। हर कक्षा में 12 छात्रों का निपुण एसेसमेंट होना था, जिसमें नौ छात्रों के निपुण होने से वह कक्षा निपुण घोषित की जा रही थी।

    12 छात्रों के एसेसमेंट की सूची राज्य परियोजना कार्यालय से भेजी गई थी। सूची में कई ऐसे छात्रों का नाम था,जो स्कूल छोड़ चुके हैं। इसके साथ ही एसेसमेंट के समय कई छात्र स्कूल नहीं आए।

    इस वजह से स्कूल निपुण नहीं हो पाए। एक स्कूल में 36 में से 27 छात्रों को निपुण होना जरूरी था। 27 में से एक भी छात्र यदि फेल हो गया तो वह स्कूल निपुण की श्रेणी में नहीं रखा गया है।

    कक्षावार भाषा में निपुण होने के मानक

    • कक्षा-1: पांच सरल शब्दों से बने वाक्य पढ़ लेना
    • कक्षा-2: 45 शब्द प्रति मिनट के प्रवाह से पढ लेना
    • कक्षा-3: 60 शब्द प्रति मिनट के प्रवाह से पढ़ लेना
    • कक्षावार गणित में निपुण होने के मानक
    • कक्षा-1: एक अंकीय जोड़ व घटाव कर लेना
    • कक्षा-2: दो अंकीय जोड़ व घटाव कर लेना
    • कक्षा-3: तीन अंकीय जोड व घटाव कर लेना

    डीएलएड प्रशिक्षुओं की ओर से कराए गए एसेसमेंट के परिणाम की समीक्षा की जाएगी। छात्रों को निपुण बनाने का लक्ष्य 2025-26 है। इससे पहले सभी स्कूलों के छात्रों को निपुण घोषित कर दिया जाएगा। - दिनेश कुमार यादव,मंडलीय सहायक शिक्षा निदेशक