पीरियड्स के दर्द से राहत देने वाली मातृ डिवाइस को मिला यूटिलिटी पेटेंट, जिम्स में 400 महिलाओं पर हुआ परीक्षण
महिलाओं को माहवारी के दर्द से राहत दिलाने वाली मातृ डिवाइस को भारत सरकार से यूटिलिटी पेटेंट मिला है। जिम्स ग्रेटर नोएडा में इसका परीक्षण पूरा हो गया है। कोलकाता के तीन युवाओं ने इसे बनाया है जिससे कमर पर लगाने से 95% तक दर्द कम होगा। प्रसूति विशेषज्ञों की निगरानी में 400 महिलाओं पर इसका परीक्षण हुआ। यह डिवाइस दर्द के सिग्नल को ब्लॉक करती है।

आशीष चौरसिया, ग्रेटर नोएडा। महिलाओं और युवतियों को माहवारी के दौरान होने वाले दर्द से राहत दिलाने वाली मातृ डिवाइस को भारत सरकार की ओर यूटिलिटी पेटेंट मिल गया है। इससे अब आगे आने वाले 20 वर्षों तक डिवाइस का उत्पादन, उपयोग करने और बेचने का विशेष अधिकार मिल गया है।
ग्रेटर नोएडा के राजकीय आयुर्विज्ञान संस्थान (जिम्स) में डिवाइस के चल रहे तकनीकी परीक्षण के प्रकिया लगभग पूरी हो चुकी है, जल्द ही इसके परिणाम आने वाले हैं। यह जिम्स के लिए एक बड़ी उपलब्धि है।
दिल्ली के प्रगति मैदान पर आयोजित तीन दिवसीय इंडिया मेडटेक एक्सपो के फ्यूचर पवेलियन में जिम्स के चार स्टार्टअप को स्टाल के लिए सरकार की ओर से चुना गया था, जिसमें मातृ डिवाइस, मेदांत्रिक, ट्रोसा ड्रोन और प्रधान इनोवेशन लैब को शामिल किया गया था।
इसमें से मातृ डिवाइस को भारत सरकार ने यूटिलिटी पेटेंट दिया है। इसको कोलकाता के तीन युवाओं रोहन राय, रोनी मंडल व अमित दत्ता के स्टार्टअप सिलिफर्म ने विकसित किया है, जिसे कमर के आसपास लगाने से दर्द में 95 प्रतिशत तक राहत मिलेगी। इसको डिजाइन का पेटेंट पहले ही मिल चुका था। सरकार के अनुदान से इसकी कीमत भी काफी किफायती है।
प्रसूति विशेषज्ञ की निगरानी में किया गया परीक्षण
डिवाइस को डिजाइन करने वाले युवाओं का कहना है कि नारी सशक्तीकरण की बात तो होती थी, लेकिन उनको मासिक धर्म के दौरान होने वाली होने वाली पीड़ा से निजात दिलाने की ओर किसी का ध्यान नहीं गया था।
जानकारी जुटाने पर पता चला कि कुछ महिलाएं व युवतियां दर्द से राहत पाने को दर्द निवारक गोलियों का सेवन करती हैं, जिससे कई साइड इफेक्ट्स जैसे उल्टी, चक्कर आना, आलस, खुजली या पसीना, अवसाद आदि होते हैं। प्रसूती विशेषज्ञ की निगरानी में इस डिवाइस का 400 महिलाओं पर परीक्षण किया गया था।
प्रति-जलन की तरह काम करती है डिवाइस
डिवाइस को गेट कंट्रोल थ्योरी के सिद्धांत पर डिजाइन और विकसित किया गया है। यह एक विशेष प्रकार के पैटर्न की फ्रीक्वेंसी भेजता है जो पेन सिग्नल को ब्लाक करता है, जिसके परिणामस्वरूप उपयोग करने वाले को दर्द कम महसूस होता है।
यह प्रति-जलन की तरह काम करता है। इसलिए मस्तिष्क विचलित होता है और दर्द को महसूस नहीं कर पाता है। सिग्नल दर्द के मार्ग को रोक देता है और मस्तिष्क दर्द को महसूस नहीं कर पाता है। यह छोटा (पोर्टेबल) और उपयोगकर्ता के अनुकूल बनाया गया है जिसका उपयोग सार्वजनिक स्थानों पर भी किया जा सकता है।
हम लोगों का मकसद है कि मेडिकल केयर की डिवाइस कम मूल्य में बेहतर गुणवत्ता की भारत में बनाई जाए। इस तरह की डिवाइस के लिए जिम्स के इंक्यूबेशन सेंटर में क्लिनिकल ट्रायल की सुविधा दी जा रही है। स्टार्टअप इन यूपी में स्टार्टअप में जो भी सुविधाएं हैं वो स्टार्टअप को आगे बढ़ाने के लिए मुहैया कराई जा रही हैं।
- बिग्रेडियर डॉ. राकेश गुप्ता, निदेशक जिम्स
मातृ डिवाइस को भारत सरकार की ओर से यूटिलिटी पेटेंट मिल गया है। यह जिम्स और देश के लिए बड़ी उपलब्धि है। हमारा प्रयास है कि मेडिकल केयर के क्षेत्र में कम लागत में बेहतर गुणवत्ता की सुविधा दी जाए। इसके लिए हम काम कर रहे हैं।
- डॉ. राहुल सिंह, सीईओ, इंक्यूबेशन सेंटर जिम्स
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।