Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    गौतमबुद्धनगर सीट पर प्रमुख दलों के ये सूरमा मैदान में ठोक रहे ताल, जानिए कितनी है इनकी संपत्ति और शैक्षिक योग्यता

    गौतमबुद्धनगर लोकसभा सीट पर चुनाव संपन्न कराने को लेकर निर्वाचन विभाग ने तैयारी पूरी कर ली है। चुनाव प्रचार अवधि समाप्त होने के बाद निर्वाचन क्षेत्र में बाहरी राजनीतिक कार्यकर्ताओं की मौजूदगी प्रतिबंधित रहेगी। गौतमबुद्ध नगर सीट पर इस बार प्रमुख दलों के ये सूरमा मैदान में ताल ठोक रहे हैं। आइए जानते हैं कि ये प्रत्याशी कितना पढ़े-लिखें हैं और इनकी प्राथमिकताएं क्या हैं।

    By Dharmendra Kumar Edited By: Abhishek Tiwari Updated: Thu, 25 Apr 2024 11:24 AM (IST)
    Hero Image
    Lok Sabha Election 2024: चुनावी मैदान में ताकत झोंक रहे भाजपा, सपा व बसपा के प्रत्याशी

    जागरण संवाददाता, नोएडा। गौतमबुद्धनगर लोकसभा सीट पर मतदान 26 अप्रैल को होना है। छह सप्ताह चला चुनावी प्रचार बुधवार की शाम को थम चुका है। चुनावी प्रचार में हर सप्ताह नाटकीय बदलाव देखा गया।

    विकास के मुद्दे पर भाजपा, सपा, बसपा ने अपना प्रचार शुरू किया था। किसी ने पिछले 10 साल का विकास और निवेश का हवाला दिया। तो कोई प्रत्याशी 10 साल पहले किए गए विकास पर दम भरता दिखा।

    कल प्रत्याशियों का मूल्याकंन करेंगे मतदाता

    कोई यह आरोप लगाता रहा कि अमुक पार्टी तो सिर्फ उद्घाटन की पार्टी है। प्रचार रफ्तार पकड़ते ही भ्रष्टाचार व स्थानीय मुद्दों ने भी जगह ली। अब कल फैसले की घड़ी है, जिसमें प्रत्याशियों के दावे, वादे व मुद्दों का मूल्यांकन मतदाता करेंगे। गौतमबुद्धनगर लोकसभा सीट पर चुनावी एलान के बाद भाजपा, सपा, बसपा के प्रत्याशी चुनावी मैदान में उतरे।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    ये भी पढ़ें-

    गौतमबुद्ध नगर लोकसभा सीट के पांच विधानसभा नोएडा, दादरी, जेवर, सिकंदराबाद, खुर्जा वाली लोस सीट पर पहले सप्ताह शांति रही, पर पार्टी के प्रत्याशियों घोषित होते ही लोस क्षेत्र में हुए विकास को अपना-अपना बता कर दावा ठोकना शुरू किया।

    इस मुद्दे ने कुछ खास असर नहीं छोड़ा, क्योंकि ज्यों ज्यों चुनावी प्रचार आगे बढ़ा, चुनावी मुद्दों में बदलाव होना शुरू हुआ। विकास का मुद्दे ने दो सप्ताह में ही दम तोड़ दिया। आइए जानते हैं प्रमुख दलों के प्रत्याशियों के बारे में।

    प्रत्याशी : डॉ. महेश शर्मा

    पार्टी : भारतीय जनता पार्टी

    आवास : नोएडा

    आपराधिक मामला : कोई नहीं

    शैक्षिक योग्यता : एमबीबीएस

    पेशा: राजनेता एवं चिकित्सक

    संपत्ति : 83.82 करोड़ रुपये

    राजनीतिक कैरियर: 2014, 2019 में सांसद 2012 में नोएडा से विधायक मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में केंद्र में मंत्री रहे

    प्राथमिकताएं

    • किसानों की मुआवजा व दस प्रतिशत भूखंड की मांग को जल्द से जल्द हल कराने का प्रयास होगा
    • अधूरी विकास परियोजनाओं को प्राथमिकता से पूरा कराया जाएगा
    • फ्लैट खरीदारों की समस्या का समाधान और रजिस्ट्री प्रक्रिया को तेज कराया जाएगा
    • मेट्रो का विस्तार कराया जाएगा
    • युवाओं को रोजगार और उद्योगों की समस्याओं को प्राथमिकता पर हल किया जाएगा

    प्रत्याशी : राजेंद्र सोलंकी

    पार्टी : बहुजन समाज पार्टी

    आवास : सिविल लाइंस, बुलंदशहर

    शैक्षिक योग्यता : एमए

    पेशा: राजनीति

    संपत्ति : 5.78 करोड़

    राजनीतिक अनुभव : सिकंद्राबाद विधानसभा से पूर्व विधायक

    प्राथमिकताएं

    • किसानों को मुआवजा
    • दस प्रतिशत आबादी भूखंड व रोजगार की समस्या का समाधान
    • औद्योगिक इकाईयों में स्थानीय युवाओं को साठ प्रतिशत आरक्षण लागू कराना
    • फ्लैट खरीदार की रजिस्ट्री की समस्या समाधान
    • विकास के अधूरे कार्य पूरा करना, मेट्रो का विस्तार -नोएडा, ग्रेटर नोएडा, यमुना प्राधिकरण, यूपीएसआइडीसी को मिलाकर एक प्राधिकरण बनाना

    प्रत्याशी- डॉ. महेंद्र नागर

    पार्टी: समाजवादी पार्टी (आइएनडीआइए गठबंधन)

    आवास : मिलक लच्छी गांव (ग्रेटर नोएडा वेस्ट )

    पेशा : चिकित्सक शैक्षिक

    योग्यता : एमबीबीएस

    संपत्ति : 8.76 करोड़ रुपये

    आपराधिक इतिहास: 2017 में चुनाव आचार संहिता उल्लंघन का मुकदमा

    राजनीतिक अनुभव : कांग्रेस के जिलाध्यक्ष रह चुके हैं।

    प्राथमिकताएं-

    • फ्लैट खरीदारों की समस्या का समाधान
    • किसानों की समस्या का समाधान
    • सरकारी अस्पताल व स्कूल खोले जाएंगे
    • ग्रेटर नोएडा वेस्ट में मेट्रो का विस्तार
    • औद्योगिक इकाईयों में युवाओं के लिए पचास प्रतिशत रोजगार आरक्षण

    प्रत्याशियों ने सिकंदराबाद, खुर्जा, दादरी को वार जोन में बदला

    प्रत्याशियों के सलाहकारों ने ग्रामीण क्षेत्र की तरफ रुख किया। सिकंदराबाद, खुर्जा, दादरी को प्रत्याशियों ने वार जोन में तब्दील कर दिया। आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू हो गया। सभी प्रत्याशी एक दूसरे की पार्टी को भ्रष्टाचार में संलिप्त बता चुनावी प्रचार में दमखम दिखाने में जुट गई।

    कुछ पर परिवारवाद का आरोप भी लगा, पर यह मुद्दा भी सिरे नहीं चढ़ सका। इसके बाद स्थानीय मुद्दों ने प्रचार में जगह बनानी शुरू की, पर उन्हें भी ज्यादा महत्व नहीं मिला। ज्यों-ज्यों लोकसभा चुनाव का प्रचार अंतिम चरण की तरफ बढ़ा तो विकास और भ्रष्टाचार का मुद्दा पिछड़ता चला गया। प्रचार थमने तक यह दोनों मुद्दे गौण हो गए।