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    जानिये- यूपी के दिग्गज नेता के बारे में जिन्होंने पैदल प्रचार कर जीता था 1967 का विधानसभा चुनाव

    By Jp YadavEdited By:
    Updated: Sat, 15 Jan 2022 11:53 AM (IST)

    तेज सिंह भाटी इस क्षेत्र के बड़े नेता और मंत्री पद हासिल करने वाले शख्स थे। आज भी उनकी पैदल यात्रा कर चुनाव प्रचार करना क्षेत्र के लोगों में मिसाल बनी हुई है। वे उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री रह चुके हैं।

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    जानिये- यूपी के इस नेता ने पैदल प्रचार कर जीता था 1967 का चुनाव, बने सूब के उपमुख्यमंत्री

    ग्रेटर नोए़डा [अर्पित त्रिपाठी]। आज के समय में चुनावी प्रचार चुनौतीपूर्ण नहीं रह गया है। इंटरनेट मीडिया ने इसे और आसान और व्यापक स्तर पर पहुंचा दिया है। इंटरनेट और टीवी के जरिये प्रत्याशियों को करीब से लोग जानने लगे हैं। लेकिन पुराने दौर में संसाधनों की कमी के बीच प्रचार-प्रसार काफी जटिल होता था। ऐसी ही चुनौतियों को पार कर 1967 का चुनाव जीता था गौतमबुद्ध नगर के देवटा गांव निवासी तेज सिंह भाटी ने, तब यह क्षेत्र बुलंदशहर जिले में आता था। तेज सिंह भाटी इस क्षेत्र के बड़े नेता और मंत्री पद हासिल करने वाले शख्स थे। आज भी उनकी पैदल यात्रा कर चुनाव प्रचार करना क्षेत्र के लोगों में मिसाल बनी हुई है।

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    अकेले ही करते थे प्रचार

    ग्रेटर नोएडा के राजपुर गांव निवासी हरस्वरूप सिंह ने बताया कि तेज सिंह भाटी अपना प्रचार अकेले ही करते थे। उनकी खासियत थी कि वह प्रचार करने के बाद घर नहीं जाते थे। देर शाम तक प्रचार करने बाद जिस गांव में होते थे, वहीं रुक जाया करते थे। गांवों में मतदाताओं यहां भोजन करते और रात्रि निवास भी उन्हें के यहां करते। इससे हर वर्ग में उनकी लोकप्रियता बढ़ गई थी। यहीं कारण था कि वे तीन बार यहां से विधायक चुने गए। बुजुर्ग आज भी उनकी उस पहचान को याद कर क्षेत्र के लिए गर्व महसूस करते हैं।

    पूर्व पीएम चंद्रशेखर बुलाते गुर्जर नेता

    वे बताते हैं कि तेज सिंह अपने साथ कपड़े साथ में रखते थे। दरअसल चुनाव के दौरान प्रचार वे घर नहीं जाते थे। जिस घर में रुकते अगली सुबह वहीं कपड़े धोते। जब तक गांव में लोगों के साथ जनसभा करते तब तक कपड़े सूख जाते। उसके बाद उनकी इस्त्री करवा लेते। उनकी यही सादगी लोगों के बीच उनकी लोकप्रियता को बढ़ाती थी। पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर उन्हें गुर्जर नेता कहकर पुकारते थे।

    एनडी तिवारी भी करते थे तारीफ

    वहीं, कांग्रेस नेता व उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री नारायण दत्त तिवारी उनकी ईमानदारी की मिसाल देते थे। यही कारण है कि 1967 में कांग्रेस के बड़े नेता रामचंद्र विकल का टिकट काटकर उन्हें दादरी से प्रत्याशी बनाया गया। रामचंद्र विकल ने किसान मजदूर पार्टी बनाकर सिकंदराबाद से चुनाव लड़ा।

    रह चुके हैं यूपी के डिप्टी सीएम

    तेज सिंह भाटी के बेटे व नेता इंद्रवीर भाटी ने बताते हैं कि 1971 के चुनाव में हुए चुनाव में रामचंद्र विकल से वह मात्र 300 वोट से हार गए थे। 1974 में फिर हुए चुनाव में तेज सिंह भाटी ने रामचंद्र विकल को हराया। 1977 में तेज सिंह ने जनता पार्टी से फिर जीत हासिल की और प्रदेश के गन्ना मंत्री बने। बता दें कि रामचंद्र विकल का देश की राजनीति में बड़ा स्थान था और वे उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री रह चुके हैं।