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    Noida News: शिक्षिकाओं के झगड़े से अधर में फंसा कस्तूरबा की छात्राओं का भविष्य, बच्चों का नाम कटा रहे अभिभावक

    Updated: Wed, 14 Aug 2024 10:13 AM (IST)

    कस्तूरबा गांधी आवासीय बालिका विद्यालय में शिक्षिकाओं के झगड़े से कस्तूरबा की छात्राओं का भविष्य अधर में फंस गया है। शिक्षिकाओं पर कार्रवाई होने से विद्यालय में स्टाफ की कमी हो गई है। सरकार की ओर से आवासीय बालिका विद्यालय में पढ़ाई की गुणवत्ता पर फोकस किया जा रहा है लेकिन जेवर में शिक्षिकाओं के नहीं होने से छात्राओं का पाठ्यक्रम पूरे होने पर संकट के बादल मंडराने लगे है।

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    विद्यालय का माहौल खराब होने से अभिभावक छात्राओं को स्कूल भेजने से कतरा रहे । फाइल फोटो

    अंकुर त्रिपाठी, ग्रेटर नोएडा। जेवर स्थित कस्तूरबा गांधी आवासीय बालिका विद्यालय में हाल ही में शिक्षिकाओं के बीच हुई मारपीट से छात्राओं का भविष्य अधर में लटका हुआ है। मारपीट की घटना से छात्राएं व उनके अभिभावक इतना सहम गए हैं कि वह अपनी बच्चियों को विद्यालय भेजने से कतरा रहे हैं।

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    कई अभिभावकों ने बच्चियों का दाखिला दूसरे स्कूलों में करा दिया है। एक अभिभावक ने बताया कि लंबे समय से विद्यालय का माहौल खराब था, जिसकी जानकारी शिक्षा विभाग के सभी अधिकारियों को थी। उसके बाद भी समय से जिम्मेदार नहीं चेते। कई बार अभिभावकों ने भी अधिकारियों को अवगत कराया था, लेकिन उसके बाद भी कोई कार्रवाई नहीं की गई।

    अपनी बच्चियों का नाम काटवा रहे कई अभिभावक

    उन्होंने बताया कि बच्ची ने कई बार कहा था कि उसे कस्तूरबा गांधी आवासीय बालिका विद्यालय में नहीं पढ़ना है। वहां उससे काम कराया जाता है। इसके साथ ही आए दिन शिक्षिकाओं के बीच में मारपीट होती रहती है। बच्ची की बताई गई बातें सच साबित हुईं।

    हाल ही में शिक्षिकाओं के बीच हुई लड़ाई पुलिस तक पहुंच गई थी। कई अभिभावक अपनी बच्चियों का नाम काटवा रहे हैं। उन्हें अब विभाग की ओर से समझाया जा रहा है कि दोषी शिक्षिकाओं पर कार्रवाई की जा चुकी है।

    70 से अधिक छात्राएं विद्यालय में नहीं आई

    जनपद में तीन कस्तूरबा गांधी आवासीय बालिका विद्यालय संचालित होते हैं। पिछले कई सालों से जेवर का विद्यालय चर्चा में बना हुआ है। विद्यालय का माहौल सही नहीं होने के कारण यहां छात्राओं का नामांकन 100 हुआ ही नहीं।

    विद्यालय सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार इस सत्र में 100 छात्राओं का नामांकन हुआ, लेकिन 70 से अधिक छात्राएं कभी विद्यालय में मौजूद ही नहीं रहीं। कक्षा छह में मंगलवार को 33, कक्षा सात में 14 और कक्षा आठ में नौ छात्राएं ही सुबह उपस्थित रहीं।

    आवासीय विद्यालय में मिल रहीं सभी सुविधाएं

    छात्र संख्या के हिसाब से शासन की ओर से छात्राओं के रहने,खाने, मेडिकल के साथ अन्य सुविधाओं के लिए हर साल तीनों कस्तूरबा विद्यालय के लिए करीब 30 लाख का बजट दिया जाता है।

    विद्यालय में छात्राओं को न केवल पढ़ाई में सशक्त किया जा रहा है बल्कि उन्हें कौशल में भी निपुण बनाया जाता है। उन्हें भविष्य के लिए भी तैयार किया जाता है। उन्हें सिलाई, कढ़ाई के साथ अन्य कौशल सिखाए जा रहे हैं। उसके बाद भी विभाग छात्राओं को विद्यालय में रुकने में नाकाम साबित हो रहा है।

    छात्राओं के अभिभावकों को समझाया जा रहा है कि शिक्षिकाओं पर कार्रवाई की जा चुकी है। छात्राओं के नाम कटवाने की जानकारी संज्ञान में नहीं है। विद्यालय के माहौल को बेहतर करने के लिए कदम उठाएं जा रहे हैं। सभी छात्राओं की सुरक्षा की जिम्मेदारी विभाग की है। - राहुल पंवार, बेसिक शिक्षा अधिकारी