नोएडा में 4 हजार फ्लैट खरीदारों पर लगा 600 करोड़ का ब्याज, बिल्डर परियोजना में बुरे फंसे लोग
जेपी की परियोजनाओं में घर खरीदने वालों की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। दिवालिया प्रक्रिया के दौरान खरीदारों पर 600 करोड़ रुपये का ब्याज और पेमेंट देरी का बोझ लाद दिया गया है। खरीदारों को इसकी जानकारी स्टेटमेंट मांगने पर हुई। हाल ही में ट्रांसफर चार्ज भी बढ़ा दिया गया है। खरीदारों ने कोर्ट जाने का फैसला किया है।

प्रवेंद्र सिंह सिकरवार, नोएडा। जेपी की परियोजनाओं में खरीदारों की मुश्किलें बढ़ती जा रहीं हैं। कॉरपोरेट इंसोल्वेंसी रेजोल्यूशन प्रोसेस (सीआइपीआर) की छह वर्ष की अवधि में चार हजार खरीदारों से 600 करोड़ रुपये लेट पेमेंट और ब्याज के लगाए गए हैं।
खरीदारों ने बकाए का स्टेटमेंट मांगा तो इस बात की जानकारी हुई। हाल में जेपी की परियोजनाओं में घरों का ट्रांसफर चार्ज 29500 रुपये प्रति फ्लैट से बढ़ाकर 400 से अधिक रुपये प्रति वर्ग फुट का कर दिया गया है। जेपी के खरीदारों पर यह अतिरिक्त भार है।
दिवालिया प्रक्रिया के दौरान खरीदारों ने बिल्डर को नहीं दिया पैसा
बता दें जेपी की परियोजना में लंबे से काम बंद होने से खरीदारों ने रुपये जमा करने की अवधि पर अंकुश लगा दिया। अप्रैल 2017 से जेपी की परियोजनाओं की सीआइपीआर शुरू हुई जो मई 2024 तक चली।
दिवालिया प्रक्रिया के दौरान खरीदारों ने बिल्डर को पैसा नहीं दिया। नैशनल कंपनी ला ट्रिब्यूनल (एनसीएलएटी) की ओर से को-डेवलपर सुरक्षा को नियुक्त किया गया। जेपी की अधूरी परियोजनाओं को पूरा करने की जिम्मेदारी अब सुरक्षा की है।
सुरक्षा के आने के बाद खरीदारों ने अपने बकाए का स्टेटमेंट मांगा तो चार हजार लोगों पर 6000 करोड का बकाया लेट पेमेंट और उस पर ब्याज का बताया गया है। इस पर लोगों ने आपत्ति जताई तो बात नहीं मानी गई।
रेरा का री-रजिस्ट्रेशन नहीं होने से फंडिंग पर लगाई रोक
जेपी की परियोजनाओं का रेरा रजिस्ट्रेशन खत्म हो गया है। इसका री-रजिस्ट्रेशन नहीं कराया गया है। री-रजिस्ट्रेशन नहीं होने से बैंक की ओर से होम लोन की फंडिंग पूरी तरह से बंद कर दी गई है। यह फंडिंग रेरा का री-रजिस्ट्रेशन होने के बाद ही शुरू हो सकेगी।
तीन महीने में नहीं मिला 3000 करोड़ का कंस्ट्रक्शन लोन
एनसीएलटी के निर्देशानुसार 24 मई से 90 दिनों के अंदर सुरक्षा को अपनी कंपनी की क्रेडिकाबिलिटी पर 3000 करोड़ रुपये का कंस्ट्रक्शन लोन लेना था। इससे अधूरी परियोजना को पूरा करने का काम किया जाना था। पांच माह से अधिक समय बीतने पर भी यह लोन नहीं मिल सका है।
ट्रांसफर चार्ज बढ़ने से लाखों होंगे खर्च
ट्रांसफर चार्ज बढ़ने से पहले फ्लैट को बेचने के लिए 29500 रुपये में एनओसी दे दी जाती थी। अब अगर कोई अपने एक हजार वर्ग फुट का फ्लैट बेचता है तो उसको चार लाख से अधिक रुपये खर्च कर एनओसी लेनी होगी।
खरीददार जाएंगे कोर्ट
जेआइएल रियल एस्टेट एलाटी वेलफेयर एसोसिएशन के अध्यक्ष आशीष कुमार गुप्ता ने बताया कि जेपी की अलग-अलग परियोजनाओं में से 33 में से 20 हजार से अधिक खरीदार घर मिलने का इंतजार कर हैं। सुरक्षा की ओर से ट्रांसफर चार्ज बढ़ाए जाने और दिवालिया प्रक्रिया के दौरान भी लगाई गई ब्याज और पेमेंट देरी को लेकर एनसीएलटी में याचिका दायर की जाएगी।
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