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    गर्भावस्था में सांस फूलना पीपीसीएम होने का संकेत, सामान्य परेशानियों में लापरवाही पड़ रही भारी

    Updated: Tue, 07 Oct 2025 08:09 AM (IST)

    गर्भावस्था में सामान्य लक्षणों को अनदेखा करना खतरनाक हो सकता है। जिम्स ग्रेटर नोएडा के डॉक्टरों ने पेरीपार्टम कार्डियोमायोपैथी के पांच मामलों का अध्ययन किया। सांस फूलना जैसे लक्षण इस बीमारी के संकेत हो सकते हैं। समय पर इकोकार्डियोग्राफी जांच से जान बचाई जा सकती है। उच्च रक्तचाप मोटापा इसके मुख्य कारण हैं।

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    गर्भावस्था में सांस फूलना व दिल की धड़कन में कमी, तो पेरीपार्टम कार्डियोमायोपैथी के संकेत

    जागरण संवाददाता, ग्रेटर नोएडा। गर्भावस्था के दौरान होने वाली सामान्य परेशानियों के जैसे लक्षणों पर लापरवाही गर्भवती महिलाओं के अंतिम तिमाही या प्रसव के तुरंत बाद भारी पड़ रही है। ग्रेटर नोएडा के राजकीय आयुर्विज्ञान संस्थान (जिम्स) के प्रसूति विभाग के डॉक्टरों ने पांच मामलों को आधार बनाते हुए यह स्पष्ट किया है कि सांस फूलना, असामान्य थकान, पैरों, टखनों या पेट में सूजन, दिल की धड़कन तेज होना, चक्कर आना, और खांसी जैसे लक्षण पेरीपार्टम कार्डियोमायोपैथी बीमारी के संकेत देते हैं।

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    जिम्स के प्रसूति विभाग में पांच हजार गर्भवती महिलाओं में से पांच मामले ऐसे पाए गए, जिन्हें गर्भावस्था के दौरान होने वाली सामान्य समस्याएं हो रहीं थीं, लेकिन जब उनकी जांच की गई तो पता चला कि पेरीपार्टम कार्डियोमायोपैथी बीमारी से ग्रसित हैं। यह बीमारी गंभीर होने के साथ ही दुर्लभ भी है। एक हजार में से किसी एक में मिलती है।

    केस सीरीज के अध्ययन में पाया गया है कि 22 से 30 वर्ष आयु की महिलाएं अधिक प्रभावित हो रही हैं। बीमारी से ग्रसित पांचों मरीज तीसरी तिमाही में हृदय विफलता के लक्षणों के साथ जिम्स पहुंची थीं। इनमें उच्च रक्तचाप सबसे सामान्य जोखिम कारण होता है।

    पांच मरीजों में से चार को समय पर मल्टीडिसिप्लिनरी उपचार से बचाया जा सका। एक मरीज की प्रसव के दो घंटे बाद स्ट्रोक के कारण मौत हो गई। पेरीपार्टम कार्डियोमायोपैथी के अध्ययन में प्रसुति विभाग की डा. पिंकी मिश्रा, डा. ऋतु शर्मा और डा. रुचि वर्मा शामिल रहीं।

    इसकी पहचान हृदय की पंपिंग क्षमता में 45 प्रतिशत कम से होती है। इसके लक्षण अक्सर गर्भावस्था के सामान्य असुविधाओं जैसे होते हैं। निदान में देरी होती है और माताओं के लिए जोखिम बढ़ जाता है।

    हृदय रोग विकसित और विकासशील दोनों ही देशों में मातृ मृत्यु दर का एक प्रमुख कारण बना हुआ है, जो लगातार बढ़ रहा है। जन्मजात हृदय रोग से पीड़ित अधिक महिलाएं प्रजनन आयु तक जीवित रह रही हैं। जिम्स अनुसंधान विभाग के को-नोडल अधिकारी असिस्टेंट प्रो. डा. देवेश शर्मा ने कहा कि संदिग्ध हृदय विफलता वाली गर्भवती महिलाओं की प्रारंभिक जांच में इकोकार्डियोग्राफी को शामिल किया जाना चाहिए।

    मुख्य कारण

    • मोटापा
    • उच्च रक्तचाप
    • मधुमेह
    • जन्मजात हृदय रोग

    पेरीपार्टम कार्डियोमायोपैथी के लक्षण अक्सर गर्भावस्था के सामान्य शारीरिक परिवर्तनों से मेल खाते हैं। इस कारण निदान में देरी होती है। कई बार गंभीर परिणाम सामने आते हैं। यह केस सीरीज प्रसूति विशेषज्ञों और प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल चिकित्सकों के बीच समय पर पहचान और उपचार के लिए अधिक जागरूकता की आवश्यकता पर जोर देती है।

    - डॉ. पिंकी मिश्रा, प्रसूति विभाग, जिम्स