गांवों को आर्थिक तौर पर सशक्त बनाने का काम कर रहा IIM, स्टार्टअप को विकसित करने के लिए शुरू की खास पहल
ग्रामीण आंचल की समस्याओं के समाधान के साथ अर्थव्यवस्था को गति देने वाले स्टार्टअप को विकसित करने के लिए भारतीय प्रबंधन संस्थान लखनऊ (आईआईएमएल) और राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) ने खास पहल शुरू की है। इसमें कृषि और इससे जुड़े उपक्रम पर आधारित देश के नौ चयनित स्टार्टअप को विकसित किया जा रहा है। प्रशिक्षण का पहला चरण शुरू हो चुका है।

नोएडा, जागरण संवाददाता। ग्रामीण आंचल की समस्याओं के समाधान के साथ अर्थव्यवस्था को गति देने वाले स्टार्टअप को विकसित करने के लिए भारतीय प्रबंधन संस्थान लखनऊ (आईआईएमएल) और राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) ने खास पहल शुरू की है। इसमें कृषि और इससे जुड़े उपक्रम पर आधारित देश के नौ चयनित स्टार्टअप को विकसित किया जा रहा है। प्रशिक्षण का पहला चरण शुरू हो चुका है।
सीके गौतम, क्षेत्रीय प्रबंधक (नाबार्ड) और प्रोफेसर अनादि एस पांडेय, फैकल्टी-इंचार्ज आईआईएमएल ईआईसी।
12 महीने के इस कार्यक्रम में स्टार्टअप को तकनीकी मदद से लेकर नीति निर्धारण और निवेश लाने तक पर काम होगा। आईआईएम और नाबार्ड के साझा कार्यक्रम में स्टार्टअप के विकास पर फोकस आईआईएम के एंटरप्राइज इंक्यूबेशन सेंटर (ईआईसी) के ईको सिस्टम का उपयोग होगा, जबकि नाबार्ड वित्तीय सहायता प्रदान करेगा।
आईआईएमएल ईआईसी की एमडी व सीईओ यामिनी भूषण पांडेय ने बताया कि इसमें एक उद्यम के तौर पर स्टार्टअप की सभी संभावनाओं पर विस्तार से अध्ययन किया जाएगा। स्टार्टअप टूल किट प्रयोग करने की अनुमति मिलेगा, जिसमें की 34 संस्थाओं के साथ कार्पोरेट साझेदारी, करीब 3.5 करोड़ रुपये के निश्शुल्क लोन समेत अन्य सुविधाएं होगी।
वित्तीय, कानूनी और बौद्धिक संपदा अधिकारी (आईपीआर) संबंधी जरूरी कार्यों में सहायता मिलेगी। जरूरत के अनुसार विशेषज्ञ सलाह देंगे। आईआईएमएल ईआईसी पांच से 50 लाख रुपये तक निवेश करेगा। बाहर से भी निवेश जुटाने में मदद की जाएगी।
हमारे यहां से 18 स्टार्टअप निकल चुके है और करीब 87 स्टार्टअप पंजीकृत हैं। स्टार्टअप ईको सिस्टम से जुड़ने से सभी नौ कंपनियों को मजबूती से आगे बढ़ने में मदद मिलेगी।
फल-सब्जियों के भंडारण से लेकर खेती की निगरानी
इन नौ स्टार्टअप का हुआ चयन कार्यक्रम के लिए चयनित स्टार्ट्अप में गोदाम इनोवेशन, सप्तकृषि साइंटिफिक, रूट गुड्स, केनबोट, नेचरेक्स टेक्नोलाजी, फ्यूजलेज इनोवेशन, सोल्यूशन, एजीओटामेशन और कंट्रीवेशन शामिल हैं। यह स्टार्टअप भंडारण से लेकर खेती की निगरानी के लिए इंटरनेट आफ थिंग्स (आइओटी) और रोबोटिक्स आधारित तकनीकी का प्रयोग कर रहे हैं। महाराष्ट्र आधारित गोदाम इनोवेशन ग्रामीण क्षेत्र में प्याज के सुरक्षित भंडारण के काम को बढ़ाव दे रहा है।
कंपनी भंडारण से लेकर सप्लाई चेन की रियल टाइम निगरानी की सुविधा देती है। इसी तरह सप्तकृषि साइंटिफिक रेहड़ी-पटरी और सीमांत किसानों को फल और सब्जियों के संरक्षण के लिए सौर ऊर्जा आधारित सब्जीकोठी प्लेटफार्म उपलब्ध कराती है, जो मात्र 20 वाट बिजली की आवश्यकता होती है। अभी पांच सौ किसानों के साथ काम कर रही है।
फल-सब्जी का 40 प्रतिशत वेस्ट बचा है, जबकि आय में 30 प्रतिशत वृद्धि हुई है। फोर क्लाइमेट ने खेतों की डिजिटल निगरानी के लिए रोबोटिक्स, आटोमेशन आधारित हार्डवेयर तैयार किया है।
कार्यक्रम का उद्देश्य कृषि और गैर-कृषि क्षेत्र में बदलाव लाने और लगातार इसे बनाए रखने में सक्षम स्टार्टअप को बढ़ावा देना है, जिससे ग्रामीण क्षेत्रों में गैर-कृषि आधारित व्यवसाय माडल विकसित हो। लोगों के पास गांवों में भी आय के साधन हो। -प्रोफेसर अनादि एस पांडेय, फैकल्टी-इन-चार्ज आईआईएमएल ईआईसी।
आईआईएम ईआईसी के पास अपना ईको सिस्टम है। इसकी सहायता से ग्रामीण क्षेत्र के स्टार्टअप को बढ़ाव मिलेगा। नाबार्ड इसमें वित्तीय सहायता उपलब्ध करा रहा है। -सीके गौतम, क्षेत्रीय प्रबंधक, नाबार्ड।
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