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    GDA विकास नहीं करा रहा तो नोएडा का पैसा क्यों ले रहा? कैबिनेट की बैठक में उठेगा मुद्दा

    By Jagran NewsEdited By: Abhishek Tiwari
    Updated: Sun, 04 May 2025 12:08 PM (IST)

    गौतमबुद्ध नगर के छह गांवों से जीडीए द्वारा प्राप्त शुल्क के बावजूद विकास कार्य न होने का मुद्दा जल्द ही कैबिनेट में उठेगा। एमएलसी श्रीचंद शर्मा ने सवाल उठाया है कि विकास कार्य नहीं कराने पर जीडीए गौतमबुद्ध नगर का पैसा क्यों ले रहा है। प्राक्कलन समिति के सभापति ने जीडीए से शुल्क और विकास कार्यों की जानकारी मांगी है। इस मुद्दे पर आगामी कैबिनेट बैठक में विचार किया जाएगा।

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    गाजियाबाद विकास प्राधिकरण कार्यालय। फाइल फोटो सौ.- जागरण आर्काइव

    गजेंद्र पांडेय, ग्रेटर नोएडा। गाजियाबाद विकास प्राधिकरण (जीडीए) के अधिसूचित क्षेत्र में गौतमबुद्ध नगर के छह गांवों के शामिल होने का मुद्दा जल्द ही प्रदेश की कैबिनेट की बैठक में गूंजेगा। छह गांवों में संपत्ति की रजिस्ट्री होने पर दो प्रतिशत शुल्क जीडीए को दिया जाता है। इसकी एवज उसे इन गांवों में विकास कार्य कराने हैं।

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    शुल्क देने के बावजूद जीडीए इन गांवों में विकास कार्य नहीं करा रहा है। विधान परिषद श्रीचंद शर्मा ने इस मुद्दे को उठाते हुए कहा कि विकास नहीं कराने है तो फिर गौतमबुद्धनगर का पैसा जीडीए क्यों ले रहा है। उन्होंने मु्ददा हाल ही में विधानसभा की प्राक्कलन समिति की प्रथम उप समिति के सभापति मेरठ कैंट विधायक अमित अग्रवाल के सामने भी उठाया।

    गौतमबुद्ध नगर शहर का दृश्य। फाइल फोटो- सोशल मीडिया

    जीडीए को मिल रही रजिस्ट्री का 2 प्रतिशत शुल्क

    गौतमबुद्ध नगर के बिसरख ब्लाक के छह गांव दुजाना, कचेड़ा, बादलपुर, दुरियाई, गिरधरपुर और कलदा करीब 20 वर्ष पहले गाजियाबाद विकास प्राधिकरण के अंतर्गत अधिसूचित कर दिए गए थे। इसके बाद से इन गांवों के अंतर्गत जमीन की होने वाली रजिस्ट्री का दो प्रतिशत शुल्क जीडीए को दिया जा रहा है।

    जीडीए को यह शुल्क इन छह गांवों के विकास कार्यों पर खर्च करना है, लेकिन ऐसा नहीं किया जा रहा है। बाकी शुल्क गौतमबुद्धनगर को ही मिल रहा है। जो जिले की नगर पालिका या संबंधित प्राधिकरण को देकर इन गांवों के विकास कार्यों में खर्च कर दिया जाता है। गौतमबुद्ध विश्व विद्यालय में 23 अप्रैल को विधानसभा की प्राक्कलन समिति की प्रथम उप समिति की बैठक में एमएलसी श्रीचंद्र शर्मा ने सभापति के सामने यह मुद्दा उठाया था।

    उनका कहना था कि गाजियाबाद विकास प्राधिकरण जब जिले के अधिसूचित छह गांवों की रजिस्ट्री का दो प्रतिशत शुल्क ले रहा है तो उसे इन गांवों में विकास कार्य कराने चाहिए। यदि विकास कार्य नहीं कराए जाते जो गौतमबुद्धनगर का पैसा जीडीए को क्यों दिया जा रहा। मामले में एमएलसी का कहना है कि समिति के सभापति ने इस मुद्दे को बैठक के रिकॉर्ड में दर्ज किया है। सभापति ने मुद्दे को आगामी कैबिनेट की बैठक में उठाने का भी आश्वासन दिया था।

    समिति के सभापति ने जीडीए से मांगी शुल्क की जानकारी

    बैठक के दौरान समिति के सभापति अमित अग्रवाल ने छह गांवों की जमीनों की रजिस्ट्री से अब तक मिले शुल्क और कराए गए विकास कार्याें की गाजियाबाद विकास प्राधिकरण से विस्तृत जानकारी मांगी है। गौतमबुद्धनगर के परियोजना निदेशक डा. अजितेश कुमार सिंह ने बताया सभापति ने बिसरख ब्लाक के छह गांवों के विकास कार्यां में खर्च राशि की जीडीए से जानकारी मांगने के निर्देश दिए थे। इस संबंध में जीडी को जल्द ही पत्र भेजेंगे।

    बिसरख ब्लाक के जो छह गांव गाजियाबाद विकास प्राधिकरण में अधिसूचित हैं। उनका दो प्रतिशत रजिस्ट्री शुल्क लेने के बाद भी इन गांवों में विकास कार्य नहीं करा रहा। ऐसे में या तो जीडीए को यह शुल्क देना बंद किया जाए या फिर रजिस्ट्री में दो प्रतिशत शुल्क में छूट दी जाए। प्राक्कलन समिति की बैठक में इस बिंदु को रखा था, सभापति ने रिकॉर्ड में रखवाया है। आगामी कैबिनेट की बैठक में भी यह मुद्दा उठाएंगे।

    श्रीचंद्र शर्मा, एमएलसी, गौतमबुद्धनगर