Hindi Diwas 2025: एमएनसी कंपनी की नौकरी छोड़कर हिंदी भाषा से जुड़ रहे युवा, माई की भाषा में बना रहे करियर
नोएडा में युवाओं का हिंदी के प्रति प्रेम बढ़ रहा है। युवा मल्टीनेशनल कंपनियों की नौकरियां छोड़कर हिंदी में एमए कर रहे हैं। कई लोग रिटायरमेंट के बाद भी हिंदी से जुड़ रहे हैं। हिंदी सिर्फ भाषा नहीं भावना है। युवा अपनी मातृभाषा से जुड़कर खुशी महसूस कर रहे हैं। कॉलेजों में हिंदी की सीटें भी तेजी से भर रही हैं जो युवाओं के रुझान को दर्शाता है।

चेतना राठौर, नोएडा। हिंदी सिर्फ भाषा नहीं भावनाओं को व्यक्त करने का जरिया है। युवाओं का हिंदी विषय की ओर बढ़ता रुझान दिखने लगा है। आज हिंदी दिवस है। युवा मल्टी नेशनल कंपनी में लाखों के पैकेज की नौकरी छोड़कर हिंदी विषय में एमए कर अपना करियर स्थापित कर रहे हैं।
इतना ही नहीं एमएनसी कंपनी में बड़े पद पर रहने के बाद इग्नू से हिंदी में एमए कर मातृभाषा से जोड़ रहे हैं। लोगों का कहना है अन्य भाषाओं से कमाया जा सकता है, लेकिन माई की भाषा हिंदी में रस का अनुभव होता है। इसलिए लोग अपने रिटायमेंट के बाद भी हिंदी से एमए कर भाषा से जुड़े रहने का जरिया खोज रहे हैं।
हिंदी से भाषा नहीं भावना
हिंदी भाषा से स्कूल से ही प्यार रहा। लेकिन किन्हीं कारणवश इंजीनियरिंग कर मल्टी नेशनल कंपनी में लाखों के पैकेज पर सालों काम करने के बाद भी हिंदी से प्यार नहीं छूटा। इसलिए नौकरी छोड़ हिंदी विषय से एमए किया। नेट परीक्षा देकर जेआर एफ क्वालिफाई कर साहित्य की दुनिया से जुड़े। अन्य भाषा कमाई की भाषा हो सकती है, लेकिन माई की भाषा हिंंदी ही है। -शिवेंद्र मणि दुबे
जीवन का दर्शन हिंदी
आइटी कंपनी में बड़े पद पर रहने के बाद भी हिंदी से मोह नहीं छूटा। इसलिए नौकरी के साथ इग्नू में हिंदी से एमए कर रहा हूं। हिंदी से जुड़ाव महसूस होता है। साहित्य पढ़ने और लिखने का शौक हिंदी की ओर ले जाता है। बच्चों से भी हिंदी में बात करता हूं। वह भी मातृभाषा से लगाव महसूस करते हैं। -हेमंत विझ
हिंदी का प्रेम
दिल्ली एडमिनिस्ट्रेशन में नौकरी कर रिटायरमेंट लेने के बाद हिंदी से एमए कर रही हूं। हिंदी भाषा से लगाव हमेशा से रहा है। लोगों के बीच बैठकर हिंदी में ही बात करती हूं। अपने बच्चों से भी हिंदी में बात करती हूं। उन्हें भाषा की बारीकियां भी सिखाती हूं। मेरे साथ बच्चों को भी हिंदी से लगाव है।
- हीरा बिष्ट
सेक्टर-39 स्थित राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय में कॉलेजों में फुल होती सीटों का आंकड़ा भी युवाओं का रूझान बता रहा हैं। जहां अन्य विषयों में खाली सीटें रह जाती हैं,वहीं हिंदी विषय में एमए और बीए की सीटें दूसरी मेरिट लिस्ट में भर जाती हैं। नौकरी छोड़ हिंदी विषय का चुनाव भी युवा कर रहे हैं।
- प्रो.मंजू शुक्ला, हिंदी विभागाध्यक्ष, डिग्री कॉलेज
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