ब्रांडेड कपड़े-जूते पहनने के शौकीनों को करनी पड़ेगी जेब ढीली, 22 सितंबर से चुकाने होंगे ज्यादा दाम
एनसीआर में ब्रांडेड कपड़े और जूते पहनने वाले युवाओं को 22 सितंबर से ज़्यादा जेब ढीली करनी पड़ेगी। जीएसटी की दरें 12% से बढ़कर 18% हो गई हैं। सरकार के इस फैसले से घरेलू रेडीमेड गारमेंट निर्माताओं को लाभ होगा और बाजार में मांग बढ़ने की संभावना है। सेक्टर-18 मार्केट एसोसिएशन ने सरकार से पुनर्विचार करने का आग्रह किया है।

जागरण संवाददाता, नोएडा। एनसीआर में देश विदेश के ब्रांडेड कंपनियों का रेडीमेड गारमेंट्स व जूता पहनने के शौकीन युवाओं को 22 सितंबर से अधिक जेब ढीली करनी पड़ेगी। बदली जीएसटी दरों से उन्हें 12 की बजाए 18 प्रतिशत शुल्क चुकाना होगा।
सरकार ने 2500 रुपये से अधिक रेडीमेड गारमेंट़स व जूतों की खरीद पर जीएसटी की बढ़ोत्तरी की है, लेकिन इससे घरेलू बाजार के लिए रेडीमेड गारमेट्स तैयार करने वाली मैन्युफैैक्चरिंग यूनिट को सीधा लाभ होगा। उनकी उत्पादन क्षमता बढ़ सकती है। बाजार में मांग 20 से तीस प्रतिशत बढ़ सकती है।
बता दें कि नोएडा से करीब दस हजार करोड़ रुपये का देशी रेडीमेट्स गारमेंट्स व जूतों का करोबार है। इस कारोबार में अप्रत्याशित उछाल आ सकता है। इसके संकेत कारोबारियों की ओर से दिया जा रहा है। हालांकि जीएसटी दरों में बदलाव के बाद इस पर तमाम ब्रांडेड शोरूम संचालकों की आपत्ति व्यापार मंडलों के पास पहुंच रही है।
इसमें केंद्र सरकार से पुनर्विचार करने के लिए आग्रह किया जा रहा है। इस पर सेक्टर-18 मार्केट एसोसिएशन अध्यक्ष सुशील कुमार जैन ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी व केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतामरण को पत्र लिखा कर जीएसटी काउंसिल जल्द बैठक बुलाकर बदलाव करने का आग्रह किया है। तर्क दिया है कि आज की युवा पीढ़ी ब्रांडेड कपड़ाें व जूतों की ओर अधिक आकर्षित है।
रेडीमेड गारमेंट्स व जूता पर सिर्फ पांच प्रतिशत जीएसटी दर पर ही रखा जाए। अन्यथा तमाम व्यापारियों के कारोबार पर असर पड़ेगा। उन्होंने बताया कि पहले एक हजार रुपये तक गारमेंट्स व जूतों को पांच प्रतिशत जीएसटी की श्रेणी में रखा गया था, लेकिन इसके ऊपर पर 12 प्रतिशत जीएसटी दर लागू थी।
बदलाव के बाद एक हजार की सीमा को बढ़ाकर 2500 रुपये कर दिया गया, लेकिन इसके ऊपर जाने पर जीएसटी दर 18 प्रतिशत की श्रेणी में शामिल कर दी गई है। उन्होंने कहा कि आज युवा ब्रांडेड कपड़ों व जूतों की ओर अधिक आकर्षित है। आज युवा ब्रांडेड कपड़ों व जूतों की ओर अधिक आकर्षित है।
नवरात्र, करवा चौथ, दीपावली के साथ शादी ब्याह का सीजन शुरू होने वाला है। महिलाओं के लहंगे,साडृी, सूट, पुरुष के कमीज, कोट पैंट आदि सभी आइटम 2500 रुपये से ऊपर बाजार में बिकते है। इससे ग्राहकों की जेब आर्थिक बोझ पड़ेगा।
त्योहारी सीजन में बाजारों में खरीदारी शुरू हो गई है, लेकिन सरकार ने 2500 रुपये से ऊपर वाले रेडीमेड कपड़ों पर सीधा बोझ डाल दिया है। इसलिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी एवं केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को पत्र लिखकर 22 सितंबर के बाद से 2500 रुपये से अधिक कीमत वाले रेडीमेड कपड़ों व जूतों पर 18 प्रतिशत जीएसटी के फैसले पर पुनर्विचार के लिए पत्र लिखा है।
-सुशील कुमार जैन, अध्यक्ष, सेक्टर-18 मार्केट एसोसिएशन
घरेलू बाजार के लिए कपड़े से निर्मित उत्पाद तैयार करने वालों का कारोबार बढ़ सकता है। इसमें 20 से 30 प्रतिशत तक मांग बढ़ने उम्मीद है। बाजार के लिए अच्छा बदलाव है।
-अक्षय कपूर, उद्यमी।
रेडीमेड कपड़े व जूतों पर पहले 12 प्रतिशत जीएसटी लगता था, लेकिन अब 22 सितंबर से 18 प्रतिशत कर दिया गया है।
-अरविंद वर्मा, निदेशक, रेड टेप।
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