सेमीकंडक्टर से सुपर हब बनेगा नोएडा, हर महीने बनेंगी 3.5 करोड़ चिप; जानिए क्या होगा फायदा?
गौतमबुद्ध नगर नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट के बाद अब सेमीकंडक्टर चिप का सुपर हब बनेगा। प्लांट में हर महीने 3.5 करोड़ चिप बनेंगी। 3700 करोड़ रुपये के निवेश से उत्तर प्रदेश की अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिलेगा और लगभग चार हजार लोगों को रोजगार मिलेगा। यह संयंत्र मोबाइल फोन और लैपटॉप जैसे उपकरणों के लिए डिस्प्ले ड्राइवर चिप्स का निर्माण करेगा जिससे भारत आत्मनिर्भर बनेगा।
धर्मेंद्र चंदेल, ग्रेटर नोएडा। गौतमबुद्ध नगर अब सेमीकंडक्टर चिप का भी सुपर हब बनेगा। अभी जेवर में बन रहे नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट के कारण शहर की पहचान विश्व पटल पर उभर कर सामने आई है। अब आधुनिक तकनीक के उभरते गढ़ के रूप में भी गौतमबुद्ध नगर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपना प्रभाव छोड़ेगा। आईटी इंडस्ट्री के लिए मशहूर बेंगलुरु व गुरुग्राम के मुकाबले शहर का सेमीकंडक्टर के जरिये भविष्य सुनहरा होगा।
दो दिग्गज प्रौद्योगिकी कंपनियों के 3,700 करोड़ रुपये के निवेश करने से उत्तर प्रदेश को एक ट्रिलियन डालर की अर्थव्यवस्था बनाने की दिशा में मील का पत्थर साबित होगी, साथ ही गौतमबुद्ध नगर की आर्थिकी भी मजबूत होगी। करीब चार हजार लोगों को प्रत्यक्ष रूप से रोजगार मिलेगा। इससे होटल उद्योग, ट्रांसपोर्ट, सर्विस इंडस्ट्री, टैक्स व पर्यटन के जरिये स्थानीय स्तर पर लाभ मिलेगा।
यहां काम करने वाले कर्मचारियों के कारण छोटे-छोटे रेस्टोरेंट भी चलेंगे। उनमें भी लोगों को रोजगार प्राप्त होगा। ट्रांसपोर्ट के जरिये लोगों की आमदनी होगी। तमाम कर्मचारी किराये के मकानों में रहेंगे, तो किराये से लोगों की आर्थिकी मजबूत होगी। होटलों में भोजन में प्रयोग किए जाने वाली खाद्य सामग्री, फल और सब्जियों की बड़े पैमाने पर जरूरत होगी।
इससे स्थानीय लोगों के लिए आमदनी के स्रोत पैदा होंगे। उन्हें उत्पादन सामग्री नजदीक बेचने का अवसर मिलेगा। ये संयंत्र यहां पर डिस्प्ले ड्राइवर चिप का निर्माण करेगा, जो मोबाइल फोन, लैपटाप, ऑटोमोबाइल, पर्सनल कंप्यूटर और अन्य अनेक उपकरणों में प्रयुक्त होता है। संयंत्र की क्षमता प्रति माह 20,000 वैफर और 3.6 करोड़ यूनिट उत्पादन की डिजाइन क्षमता पर आधारित होगी।
मोबाइल फोन, लैपटाप, सर्वर, चिकित्सा उपकरण, पावर इलेक्ट्रानिक्स, रक्षा उपकरण और उपभोक्ता इलेक्ट्रानिक्स के उत्पादन में तेजी से बढ़ती मांग के बीच यह नई यूनिट आत्मनिर्भर भारत के सपने को साकार करने की दिशा में सहायक सिद्ध होगी। अभी तक इन उपकरणों के निर्माण में चीन, ताइवान व अमेरिका का एकछत्र राज है। अब भारत निर्मित (मेक इन इंडिया) भी दुनिया में छाप छोड़ेंगे।
भारत भी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इस सेक्टर में मजबूती से अपनी उपस्थिति दर्ज कराएगा। देश को इसका लाभ इसलिए भी अधिक मिलने की संभावना है, क्योंकि चीन के मुकाबले खरीदार भारत में निर्मित उपकरणों पर ज्यादा भरोसा करते हैं। इसके साथ ही देश इस क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनने की दिशा में आगे बढ़ेगा।
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