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    नई परंपरा से गोसेवा का भाव सशक्त कर रहे उद्यमी, डॉक्टर और इंजीनियर, लोग घरों में नहीं यहां पाल रहे अपनी गायें

    By Vaibhav TiwariEdited By: Geetarjun
    Updated: Mon, 18 Dec 2023 06:15 PM (IST)

    गोसेवा करना मेरे जीवन का सबसे सुखद कार्य है। यह मेरे लिए गर्व की बात है। अपना अधिकतम समय गो-सेवा में लगाने के प्रयास में जुटा रहता हूं। गोमाता मेरे जीवन को पोषण व आनंद से भरने का काम मेरे जन्म से ही कर रहीं। एक परिवार व एक गाय के ध्येय से गाय को गोद ले रखा है। सुख-दुख गोमाता के साथ साझा करता हूं।

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    दिल्ली-NCR में गोसेवा की नई परंपरा, लोग घर में नहीं पाल पा रहे गोवंश तो गोशाला में ले रहे गोद

    वैभव तिवारी, नोएडा। गोसेवा करना मेरे जीवन का सबसे सुखद कार्य है। यह मेरे लिए गर्व की बात है। अपना अधिकतम समय गो-सेवा में लगाने के प्रयास में जुटा रहता हूं। गोमाता मेरे जीवन को पोषण व आनंद से भरने का काम मेरे जन्म से ही कर रहीं। एक परिवार व एक गाय के ध्येय से गाय को गोद ले रखा है।

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    सुख-दुख गोमाता के साथ साझा करता हूं। यह कहना है नोएडा के उद्यमी संदीप अग्रवाल का। वह प्रत्येक सप्ताहांत स्वजन के साथ गो सेवा करने सेक्टर- 94 स्थित श्री जी गौ सदन में पहुंचते हैं। उन्होंने गाय को गोद ले रखा है, जबकि गो-पालन गो शाला की तरफ से किया जा रहा। क्यों कि दिल्ली-एनसीआर में लोग घरों में गो-पालन नहीं कर पा रहे।

    इसलिए गोशाला में गाय गोद लेने की परंपरा में गो-प्रेमी आगे आकर इसे प्रोत्साहित कर रहे। सेक्टर-12 में रहने वाले डॉ. वीएस चौहान का कहना है कि गो सेवा मेरी जिम्मेदारी है। गो सेवा से मुझे आत्म संतुष्टि मिलती है। हमारा यही प्रयास है कि हम लोगों को जागरूक कर गो सेवा से जोड़े। ताकि अधिक से अधिक संख्या में लोग सड़क पर घूम रही गाय की सेवा करते हुए उन्हें गोशाला में आश्रय दें।

    स्वजन के साथ में अपनी गोद ली दो गोमाता के साथ में समय बिताना अच्छा लगता है। सेक्टर-8 स्थित कंपनी के मालिक उद्यमी संदीप मित्तल बताते हैं कि व्यवसाय में सेल इनवाइस में गोसेवा का भी चार्ज दस के राउंड में जोड़ते हैं। इसमें अगर किसी सामान का मूल्य 995 या 999 रुपये हो रहा है तो पूरा एक हजार रुपये का भुगतान करते हैं।

    इसमें से बचे हुए रुपये को गोसेवा के रूप में उपयोग किया जाता है। उनका कहना है कि इसमें आए हुए रुपये के जितना ही खुद के पास से भी रुपया जोड़ कर गोसेवा में लगा रहे। सप्ताहंत में स्वजन के साथ में पूजा करने के साथ में सेवा करने के लिए गो शाला में जाते हैं। दिल्ली के कालका जी में रहने वाले पुरुषोत्तम दास अग्रवाल दिल्ली विद्युत बोर्ड से सेवानिवृत इंजीनियर हैं।

    उन्होंने कहा कि पूरे परिवार के लोग गोसेवा का कार्य कर रहे। इसमें चारा सहित अन्य व्यवस्था करने के लिए भी गो शाला में पहुंचते हैं। गाय के प्रति लगाव के कारण स्वजन के साथ यह कार्य कर रहे। गोमाता भी गोद ली हैं। नोएडा सेक्टर-52 के प्रमोद शर्मा पेशे से सिविल इंजीनियर हैं, लेकिन गोसेवा के प्रति उनका प्यार देखने लायक है।

    गोमाता को गोद लेने के साथ में उनकी तरफ से सप्ताह में करीब दो दिन गोशाला में सेवा दी जाती है। उनका कहना है कि गोसेवा की परंपरा हमारी संस्कृति में है। गोवंशी के संवर्धन के लिए हम उसी को जागृत करने का प्रयास कर रहे ताकि अधिक संख्या में लोग आगे आएं। इसके साथ ही कई आइटी इंजीनियर, वकील, स्टार्टअप डेवलेपर भी गोमाता को गोद लेने की मुहिम से जुड़े हैं।

    लोगों को भा रही गोमाता को गोद की प्रक्रिया

    सेक्टर-94 स्थित श्री जी गौ सदन की तरफ से शुरू की गई गो-गोद योजना लोगों को भा रही है । गोशाला में लोग 11 हजार रुपये का वार्षिक अंशदान देकर लोग अपनी गोमाता को गोद लेते हैं। इसके बाद जब चाहे तब गोमाता से मिलकर उसकी सेवा भी करते हैं। गोशाला की तरफ से गो पालन किया जाता है।

    अभी गोशाला में स्थित करीब 1600 गोवंशी में से 503 गऊ को नोएडा, ग्रेटर नोएडा, दिल्ली, गाजियाबाद, इंदिरापुरम, बेंगलुरु, बंगाल, रायपुर सहित अन्य जगह के लोगों ने गो गोद ली है। गोशाला के पदाधिकारियों का कहना है कि एक गोमाता पर एक वर्ष में 35 हजार रुपये का खर्च आता है, लेकिन अधिक लोगों की सुलभता की ध्यान में रखते हुए सिर्फ 11 हजार रुपये का वार्षिक शुल्क निर्धारित किया गया है।

    नई पीढ़ी को दे रहे सेवा का संदेश

    दिल्ली- एनसीआर में गो सेवा की सीख नई पीढ़ी को गोमाता को गोद लेने के बाद लोग अपने बच्चों को दे रहे। कई ऐसे परिवार हैं, जिन्होंने घर के सभी सदस्यों के नाम पर गोमाता गोद ले रखी हैं। गोशाला में प्रत्येक महीने के रविवार को मासिक हवन होता है। इसमें लोग विशेष रूप से अपने स्वजन के साथ पहुंचते हैं। इसके साथ ही सप्ताहांत पर लोगों की संख्या बढ़ जाती है।

    गोशाला पिछले 20 वर्ष से सेवा करने के लिए प्रेरित कर रही। गोमाता के प्रति स्नेह पैदा करने के लिए गोशाला की तरफ से पहल की जा रही। असहाय गोमाता को बूचड़ खाने में कटने से बचाने के साथ में लोगों को जागरूक करने का काम गोशाला कर रही। गो-गोद की योजना गोसेवा के लिए सहज माध्यम है। -टीएन चौरसिया, अध्यक्ष, श्रीजी गोसदन।