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    अब सीवर में दम घुटने से नहीं होगी कामगारों की मौत, नोएडा की मोनिका ने बनाया खास गैस सेंसर; जानें कैसे करता है काम

    Updated: Sun, 17 Aug 2025 05:46 PM (IST)

    ग्रेटर नोएडा में सीवेज की सफाई के दौरान एक कामगार की दम घुटने से मौत हो गई। इस समस्‍या को ध्‍यान में रखते हुए नोएडा की मोनिका जायसवाल ने नैनोविस्तार गैस सेंसर बनाया है। यह सेंसर जहरीली गैस से कामगार को अलर्ट करेगा और ठेकेदार को सूचना देगा। यह स्वदेशी तकनीक से बना है और कलाई के बैंड के रूप में पहना जा सकता है।

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    मुंबई में आयोजित कार्यक्रम में मोनिका को स्टार्टअप के लिए सम्मानित किया गया।

    गजेंद्र पांडेय, ग्रेटर नोएडा। सीवेज की सफाई के दौरान दम घुटने से कामगार की मौत हो गई। आए दिन देशभर में ऐसी घटनाएं होती हैं। यहां तक की सुप्रीम कोर्ट तक इस पर चिंता जता चुका है। इस बड़ी समस्‍या के निदान को ध्‍यान में रखते हुए एक ऐसा गैस सेंसर तैयार किया गया है जो जहरीली गैस से कामगार को तो अलर्ट करेगा ही इसकी सूचना उनके संबंधित जिम्‍मेदार ठेकेदार के पास भी भेजेगा। 

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    कलाई के एक बैंड के रूप में बनाए गए इस सेंसर उपकरण को तैयार किया है नोएडा निवासी मोनिका जायसवाल ने। इन्‍होंने इस उपकरण को नैनोविस्तार ‍गैस सेंसर नाम दिया है। और सबसे खास बात है कि ये पूरी तरह से स्‍वदेशी तकनीक से तैयार हुआ है।

    मोनिका कहती हैं कि सीवर और रसायन फैक्ट्रियों में अक्‍सर गैस रिसाव के कारण श्रमिकों का जीवन खतरे में होता है। आए दिन ऐसी घटनाएं भी होती हैं। इसकी को ध्‍यान में रखकर विकसित किए गए इस सेंसर को कामगार अपने हाथ में बैंड के रूप में पहन सकेंगे। सभी सेंसर आइओटी आधारित होंगे और एक केंद्रीय साफ्टवेयर से जुड़े रहेंगे, जो सभी कामगारों की लोकेशन और सेंसर डेटा रियल-टाइम में दिखाएगा। गैस रिसाव होने पर सेंसर लाल लाइट और कंपन के जरिये तत्काल अलर्ट कर देगा, जिससे यह पता चल सकेगा कि कौन सा कामगार खतरे में है।

    नवंबर से आ बाजार में आएगा सेंसर

    मोनिका जायसवाल बताती हैं इस नवाचार के लिए उन्‍हें एमएसएमई मंत्रालय 10 लाख रुपये की ग्रांट भी मिली है। आइआइटी बाम्बे  के आइएनयूपी प्रोग्राम के तहत नैनोविस्तार का एमओयू हो चुका है, जिससे तकनीकी मार्गदर्शन प्राप्त हो रहा है। कंपनी की गैस सेंसर निर्माण तकनीक को पेटेंट भी मिल चुका है। शारदा विश्वविद्यालय के माध्यम से एमएसएमई में ग्रांट के लिए आवेदन किया गया था। इस सेंसर के परीक्षण के संबंधित में कहती हैं कि अगस्त में प्रोटोटाइप की टेस्टिंग होगी, उससे जो भी परिणाम मिलेंगे उसके आधार पर सुधार कर नवंबर से बाजार में बिक्री शुरू की जाएगी। 

    आईआईटी बॉम्बे से परीक्षण को हरी झंडी मिल चुकी है। गैस सेंसर स्टार्टअप में मोनिका की टीम में वेदांश कुमार और हर्ष जायसवाल भी सहयोग कर रहे हैं। इस सेंसर का उपयोग कई जगह भंडारण खाद्य वस्‍तुओं के साथ भी किया जा सकता है। मसलन प्‍याज या आलू का भंडारण किया जाता है। लंबे समय तक रखने से उसमें सड़न का खतरा रहता है ऐसे में ये सेंसर पहले ही अलर्ट भेज देगा, इससे समय रहते सड़ने वाली सामग्री को निकालकर बाकी को सुरक्षित बचाया जा सकेगा।

    इन गैस पर कार्य करेगा

    सेंसर हाइर्डोजन सल्‍फाइड , नाइट्रोजन आइक्‍साइड और अमोनिया जैसी गैसों पर कार्य करेगा, जिनकी क्रमशः सुरक्षित सीमाएं 10 पीपीएम, 5 पीपीएम और 25 पीपीएम (पाट्र्स पर मिलियन)  होती हैं। यह जानकारी पहले से सेंसर में फीड होगी, ताकि निर्धारित सीमा से अधिक गैस पर तत्काल चेतावनी दी जा सके। इस सेंसर की कीमत के बारे में कहती हैं कि वर्तमान में देश में उपयोग होने वाले 95 प्रतिशत सेंसर आयातित होते हैं, जो चीन, जापान और अमेरिका से आते हैं। नैनोविस्तार के सेंसर विदेशी विकल्पों की तुलना में लगभग 60 प्रतिशत तक सस्ते हैं।

    आवश्यकताओं के हिसाब से बन रहे गैस सेंसर

    मोनिका ने वर्ष 2020 में नैनो विस्तार प्राइवेट लिमिटेड नाम से कंपनी का पंजीकरण कराया था। उद्देश्य देश में ही भारतीय उद्योगों व कामगारों के हिसाब से सस्ते गैस सेंसर उपलब्ध कराना था। 2016 में एमएससी फिज़िक्स (मटेरियल साइंस स्पेशलाइज़ेशन) से पूरी की फिर नैनोसाइंस और नैनोटेक्नोलाजी में पीएचडी की। मोनिका का दावा है कि वर्तमान में बाजार में उपलब्ध सेंसर पुराने फार्मेट में हैं, जो उद्योगों की वर्तमान ज़रूरतों को पूरा नहीं करते।

    नैनो कंपनी में बने सेंसर की खासियत भारतीय उद्योगों और कामगारों की सुरक्षा आवश्यकताओं के हिसाब से कस्टमाइज्ड समाधान है। कंपनी नवंबर से वितरण शुरू करने के लिए प्रोटोटाइप टेस्टिंग और कैलिब्रेशन का काम पूरा कर चुकी है। डिवाइस की फाइनल पैकेजिंग और मोबाइल एप्लिकेशन डेवलपमेंट का कार्य अंतिम चरण में है। 

    कंपनी के बनाए सेंसर सरकारी एजेंसियों को बड़े पैमाने पर उपलब्ध कराएंगी ताकि इस तकनीक का अधिक से अधिक उपयोग हो सके। प्राइवेट कंपनियों को भी यह तकनीक देंगी, ताकि कर्मचारियों की सुरक्षा सुनिश्चित हो और कंपनियों का आर्थिक नुकसान भी कम हो। मोनिका की कुछ औद्योगिक इकाइयों और स्टार्टअप के साथ बातचीत हो चुकी है। शुरुआती स्तर पर डिस्ट्रिब्यूटर और इंडस्ट्रियल क्लाइंट्स से पायलट डिलीवरी की प्रक्रिया पर चर्चा चल रही है।